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कॉजवे पर नहीं लगा सके 14 लाख, सर्वे पर 23 लाख खर्च करने का प्लान

जागरण संवाददाता, मोहाली :नगर निगम बरसात में बरसाती पानी की निकासी को लेकर इस बार भी

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 01:50 AM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 01:50 AM (IST)
कॉजवे पर नहीं लगा सके 14 लाख, सर्वे पर 23 लाख खर्च करने का प्लान
कॉजवे पर नहीं लगा सके 14 लाख, सर्वे पर 23 लाख खर्च करने का प्लान

जागरण संवाददाता, मोहाली :नगर निगम बरसात में बरसाती पानी की निकासी को लेकर इस बार भी नाकाम साबित हुआ। लेकिन बरसात के मौसम के जाते-जाते एक नए सर्वे करवाने का प्रस्ताव ले आए, हालांकि इस प्रस्ताव को रोक दिया। पार्षदों का कहना है कि निगम के अधिकारी व कर्मचारी सब जानते हैं कि पानी कहां से आता है और कहां से होकर निकलना है। बाहर से आने वाले इंजीनियर्स सर्वे कर क्या पता लगाएंगे। उल्लेखनीय है कि कॉजवे बनाने का काम निगम की ओर से बरसात से पहले शुरू किया गया था, लेकिन ये राजनीति की भेंट चढ़ गया और कॉजवे का काम बीच में रोकना पड़ा।

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पहले इतना किया जा चुका खर्च

इस से पहले पंजाब इंजीनिय¨रग कॉलेज (पेक) की टीम ने सर्वे किया था। टीम ने सर्वे कर जो कॉजवे बनाने की सलाह दी थी, उस पर तो 14 लाख रुपये खर्च होने थे। लेकिन नए सर्वे के लिए 23 लाख रुपए खर्च कर सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआइ) से सर्वे करवाया जाना था। अगर निगम चाहता तो 14 लाख खर्च कर कॉजवे बनवा सकता था। ऐसे में पहले भी आइआइटी मुंबई की टीम से गमाडा ने सर्वे करवाया और दो साल पहले निगम ने 12 लाख खर्च कर पेक की टीम से सर्वे करवाया था। इन सर्वे की रिपोर्ट फाइलों में बंद पड़ी है। निगम सर्वे पर पैसे खर्च करने की जगह जमीनी हकीकत में बरसाती पानी की निकासी का प्रबंध करें।

ये बोले पार्षद

पानी से प्रभावित फेजों के पार्षद कुलजीत सिंह बेदी, कुलदीप कौर कंग, अशोक झा ने कहा कि इस बार बरसात बीत चुकी है। लेकिन अगले वर्ष तक बरसाती पानी की निकासी के लिए पुख्ता प्रबंध करना चाहिए। बरसाती पानी की चंडीगढ़ से आने वाले पानी की ढलान मोहाली की ओर है, इसलिए सबसे ज्यादा परेशानी फेज-4 के लोगों को होती है। पीटीएल चौक से चीमा कॉम्पलेक्स की ओर जाने वाला मार्ग ऊंचा है इसलिए पानी फेज-4 एरिया में ब्लॉक होता है और लोगों के घरों में भरता है। पार्षद कुलजीत सिंह बेदी ने कहा कि शहर में पिछले 15 सालों से बरसाती पानी की समस्या है। जो हर साल लोगों को किसी न किसी रूप में झेलनी पड़ती है। जिस कारण फेज-3बी2, 4, 5 तथा शाहीमाजरा के लोगों को सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। ऐसे में निगम के इंजीनिय¨रग विंग के कर्मचारी लोगों के लिए निकासी का प्रबंध करते हैं। उन्होंने कहा कि जितना निगम के इंजीनियर पानी की निकासी को लेकर शहर से वाकिफ हैं, उतना बाहरी इंजीनियर नहीं हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए कोई नया सर्वे करवाना पूरी तरह से पैसे की बर्बादी है। कहा पानी भरता है, कहा से निकलना है, यह सब इंजीनियरिंग विंग जानता है, इसलिए उन्हें अपना काम करने दिया जाए।


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