मेयर चुनाव पांच माह बाद, अभी से सियासी गठजोड़ शुरू Chandigarh News
2020 में मेयर का पद महिला पार्षद के लिए रिजर्व है। मेयर चुनाव को पांच माह का समय पड़ा है लेकिन अभी से महिला दावेदारों ने उम्मीदवार बनने के लिए सियासी लड़ाई शुरू कर दी है।
चंडीगढ़ [राजेश ढल्ल]। 2020 में मेयर का पद महिला पार्षद के लिए रिजर्व है। मेयर चुनाव को पांच माह का समय पड़ा है लेकिन अभी से महिला दावेदारों ने उम्मीदवार बनने के लिए सियासी लड़ाई शुरू कर दी है। भाजपा के पास जीत के लिए बहुमत से ज्यादा पार्षद हैं, ऐसे में जिसे भाजपा से उम्मीदवार बनाया गया, उसकी जीत पक्की है। इसलिए उम्मीदवार बनने के लिए दावेदारों ने एड़ी-चोटी का जोर लगाना शुरू कर दिया है। लोकसभा चुनाव में भी इन महिला दावेदारों ने पार्टी को जीत दिलवाने के लिए अपनी अहम भूमिका निभाई।
अभी तक मेयर पद के लिए मुख्य तौर पर दो दावेदारों के लिए संघर्ष चल रहा है जिसमें राजबाला मलिक और हीरा नेगी का नाम शामिल है। यह दोनों ही सांसद किरण खेर गुट से संबंध रखती हैं। जबकि टंडन गुट की ओर से सुनीता धवन का नाम आगे बढ़ाया जा रहा है। लेकिन लोकसभा चुनाव में सुनीता धवन के अपने वार्ड नंबर-4 में भाजपा को बढ़त नहीं मिल पाई। इसके बावजूद टंडन गुट पार्षद सुनीता धवन के लिए लॉ¨बग कर रहा है। इसका कारण यह भी है कि टंडन गुट के पास और कोई दावेदार नहीं है जिसका नाम आगे बढ़ाया जा सके। ऐसे में इस बार उम्मीदवार बनाने में सांसद किरण खेर की अहम भूमिका रहेगी। खेर के लिए अपने ही गुट के दो दावेदारों में से किसी एक का नाम तय करना आसान नहीं होगा।
दावेदारों की क्या है विशेषताएं
राजबाला मलिक : पेशे से वकील राजबाला मलिक दूसरी बार नगर निगम का चुनाव जीतकर आई हैं। वह पहले भी साल 2012 में मेयर रह चुकी हैं। लेकिन उस समय वह कांग्रेस में थी। पिछले कार्यकाल में हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान राजबाला मलिक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गई थी। राजबाला मलिक हरियाणा से संबंध रखती हैं। इस समय सांसद किरण खेर गुट की सक्रिय सदस्य हैं। साल 2012 में मेयर रहते हुए राजबाला मलिक ने सेक्टर-17 की मल्टीलेवल पार्किग और ओवरब्रिज के अहम प्रोजेक्ट को पास करवाया था। खेर गुट के तीन से चार पार्षद राजबाला मलिक के लिए लॉबिंग कर रहे हैं।
हीरा नेगी : हीरा नेगी भी दूसरी बार नगर निगम चुनाव जीतकर आई हैं। हीरा नेगी गढ़वाल से संबंध रखती हैं और शहर में गढ़वाल से संबंध रखने वाले लोगों का अच्छा खासा वोट बैंक है। नेगी लंबे समय से पार्टी के साथ जुड़ी हुई हैं। नेगी कई महिला मोर्चो में भी काम कर चुकी हैं। नेगी शहर की सामाजिक और धार्मिक संगठनों के साथ भी जुड़ी हुई हैं। नेगी के लिए मनोनीत पार्षद सतप्रकाश अग्रवाल लॉ¨बग कर रहे हैं जोकि किरण खेर के करीबी हैं। इस बार भी राजेश कालिया को मेयर का उम्मीदवार बनाने में सतप्रकाश अग्रवाल ने अहम भूमिका निभाई थी।
सुनीता धवन : पहली बार नगर निगम चुनाव जीतकर आई हैं। सुनीता धवन इस समय महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं। शांत स्वभाव के होने के कारण वह विवाद से दूर ही रहती हैं। सुनीता धवन पार्टी से लंबे समय से जुड़ी हुई हैं। सुनीता धवन का परिवार संघ के साथ जुड़ा हुआ है। धवन के लिए पूर्व मेयर आशा जसवाल लॉबिंग करेंगी क्योंकि वे उनकी करीबी हैं। पार्टी की हर गतिविधि में सुनीता धवन बढ़-चढ़कर भाग लेती हैं। भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन की भी करीबी मानी जाती हैं। कांग्रेस जीत से काफी दूर इस समय नगर निगम के कुल 26 पार्षद हैं जिनमें से भाजपा के 20, कांग्रेस के पांच और अकाली दल का एक पार्षद है। ऐसे में कांग्रेस जीत के काफी दूर है लेकिन कांग्रेस मेयर पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में खड़ा करेगी। कांग्रेस गुरबख्श रावत या र¨वदर कौर गुजराल को मैदान में उतार सकती है।
गुटबाजी का शिकार हो गई थी नेगी
साल 2015 में सांसद किरण खेर के प्रयास से भाजपा ने हीरा नेगी को मेयर का उम्मीदवार बनाया था लेकिन उस समय पार्षदों की गुटबाजी के कारण हीरा नेगी मामूली अंतर से हार गई थीं। भाजपा के अपने पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग की थी।
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