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पंजाब में नियमों के खिलाफ कई विभागों ने अपने खातों में रखे पैसे, कैग ने उठाए सवाल

CAG Report कैग रिपोर्ट में पंजाब के विभिन्‍न विभागों को लेकर सवाल उठाया है। पंजाब के सरकारी विभागों ने टैक्‍स सैस व अन्‍य शुल्‍कों से वसूली गई राशि अपने खातों में रखा हुआ है और उसे खजाना में जमा नहीं करवाया है। इस पर कैग ने आपत्ति की है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 05:13 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2022 05:13 PM (IST)
पंजाब में नियमों के खिलाफ कई विभागों ने अपने खातों में रखे पैसे, कैग ने उठाए सवाल
कैग ने पंजाब के विभागों के टैक्‍स की राशि अपने खातों में रखने पर सवाल उठाए हैं। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। CAG Report: पंजाब में कई सरकारी विभागों ने नियमों को ताक पर रखकर अपने खातों में पैसा रखा है। इस पर महालेखाकार ने अपनी रिपोर्ट (CAG Report) में ऐतराज उठाया है। कैग रिपोर्ट विधानसभा में दो दिन पहले पेश की गई थी। संविधान की धारा 266 के अनुसार राज्य सरकार की ओर से प्राप्त सभी पैसे खजाने में जमा करवाने का प्रविधान है। 

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विभागों ने टैक्‍स व अन्‍य शुल्‍क के रूप में प्राप्‍त राशि को खजाना में नहीं जमा कराया

पंजाब सरकार ने भी साल 2018 में सभी प्रशासनिक विभागों और इसके अधीन आने वाली एजेंसियों की ओर से लगाए गए टैक्‍स, सैस, ड्यूटी, यूजर चार्जेस आदि को अपने पास रखने की बजाए इसे खजाने में जमा करवाने का प्रविधान किया था।  लेकिन,  कैग ने जब विभागों का ऑडिट किया तो पाया कि सभी विभागों ने लगाई गई फीस को अपने पास रखा हुआ है और इसे खजाने में जमा नहीं करवाया।

किन किन विभागों ने रखा कौन कौन सा सैस

सांस्कृतिक सैस

राज्य सरकार ने पुरातन , ऐतिहासिक इमारतों, स्मारको, पुरातत्व स्थानों आदि को संभालने के लिए साल 2013 में एक फंड का गठन किया था। ऑडिट रिपोर्ट में आया कि 4.14 करोड़ रुपये की राशि जो संचित फंड में जमा करवानी थी , मार्च 2020 तक कलेक्टिंग एजेंसियों के खातों में पड़ी थी। जब इस संबंधी महालेखाकार ने विभाग से पूछताछ की तो उन्होंने कहा कि संबंधित एजेंसियों को नए सिरे से निर्देश जारी किए जाएंगे।

मार्केट फीस व लाइसेंस फीस 

इसी तरह विभिन्न मंडियों की ओर से एकत्रित की गई मार्किट फीस और उत्पादक द्वारा लाइसेंस फीस को अधिसूचित किया गया था। साल 2019-20 के दौरान 388.90 करोड़ पिछले बकाए समेत 19-20 में 1803.95 करोड़ रुपए जो उपयोग में नहीं लाए गए, वे संचित फंड में जमा करवाए बगैर मंडी बोर्ड के पास जमा करवा दिए। लगभग ऐसा ही देहाती विकास फंड के साथ भी किया गया है।

लेबर सैस 

लेबर सैस के साथ भी ऐसा ही किया गया है। यह सैस केंद्र सरकार ने निर्माण कार्यों की लागत का एक फीसदी लगाया था जो श्रमिकों के कल्याण के लिए रखा गया था। 2019 तक 5.09 करोड़ रुपये और साल 2020 19.27 करोड़ रुपये एकत्रित किए गए। इसमें से 18 करोड रुपये नामांकित की गई अथॉरिटी के खाते में डाल दिया गया जबकि 6.36 करोड़ रुपये कलेक्टिंग एजेंसियों के खाते में ही पड़ी है।

कैंसर सैस

कैंसर सैस को सरकार ने नशा उन्मूलन और कैंसर के इलाज के लिए आधारभूत ढांचा विकसित करने के लिए लगाया था जो 50 करोड़ से ज्यादा लागत वाले कामों पर लगाया गया। इस एवज में दो सालों में सरकार को 18.82 करोड़ रुपए एकत्रित हुए जिनमें से नामांकित एजेंसियों को 10.98 करोड़ ट्रांसफर कर दिए,,  जबकि 7.84 करोड़ रुपये कलेक्टिंग एजेंसी के खाते में पड़े हैं। इसी तरह रिसर्च लैब पीडब्लूडी पटियाला, की ओर से 1.63 करोड़ रुपये की फीस प्राप्ट की गई लेकिन यह खाते में जमा नहीं करवाई।

कैग ने सरकार से सिफारिश की है कि सैस आदि की उगाही और उसका उपयोग करने के लिए उचित लेखा प्रणाली स्थापित की जाए ताकि इसका ऑडिट सही तरीके से हो सके।


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