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मंजीत ने एक लाख बार लिखा 'धन गुरु नानक', गुरु नानक देव के 551वें प्रकाश पर्व तक लिखने का लक्ष्य किया पूरा

मंजीत ने बताया कि गुरबाणी शब्द सतगुरु की सेवा सफल है जे को करे चित लाए को आत्मसात करने की जरूरत है। गुरु नानक जी के 550वें जन्म प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य पर धन गुरु नानक लिखना शुरू किया था।

By Vinay KumarEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 10:42 AM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 10:42 AM (IST)
मंजीत ने एक लाख बार लिखा 'धन गुरु नानक', गुरु नानक देव के 551वें प्रकाश पर्व तक लिखने का लक्ष्य किया पूरा
चंडीगढ़ में मनजीत शाह जानकारी देते हुए। (जागरण)

चंडीगढ़, जेएनएन। भगवान का नाम लेना है तो जरुरी नही है कि आप किसी मंदिर या मस्जिद में जाएं इसके और भी कई तरीके हो सकते हैं और उसी को साबित कर रहे हैं शहर के मंजीत शाह। मंजीत शाह ने रोजाना एक हज़ार बार 'धन गुरु नानक' लिख कर गुरु नानक देव के 551वें प्रकाश पर्व तक एक लाख बार लिखने का लक्ष्य पूरा किया। मंजीत ने बताया कि गुरबाणी शब्द 'सतगुरु की सेवा सफल है जे को करे चित लाए' को आत्मसात करने की जरूरत है।

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उन्होंने बताया कि गुरु नानक जी के 550वें जन्म प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य पर 'धन गुरु नानक' लिखना शुरू किया था व इस वर्ष 551वें प्रकाश पर्व तक उन्होंने एक लाख बार लिखने का लक्ष्य रखा था जिसे वे 30 नवम्बर को गुरु पर्व के दिन पूरा करके गुरु चरणों में समर्पित करेंगे। उन्होंने कहा कि इस अवधारणा से मेडिटेशन करना आसान होता है व परमात्मा की तरफ लगन बढ़ती है। आप चाहे किसी भी धर्म को मानते हो और यदि आप ईश्वर के बारे में लिखते हैं तो मन की एकाग्रता बढ़ती है। भक्ति के साथ-साथ शारीरिक थकावट भी कम होती है। जिंदगी की दौड़-धूप में यदि हम कुछ समय निकालकर कुछ पवित्र शब्द लिखते हैं तो परमात्मा का ध्यान करना बड़ा ही आसान हो जाता है। उन्होंने बताया कि वे एक वर्ष से भी ज्यादा समय यानी बीते वर्ष के गुरुपर्व से 'धन गुरु नानक' लिख रहे हैं व रोजाना यह हज़ार बार के हिसाब से लिखते रहे।

उन्होंने कहा कि उनके द्वारा गुरु नानक देव जी के इस जन्म प्रकाश पर्व तक एक लाख बार लिखने का लक्ष्य तय किया गया था, जिसे हासिल करने से उन्हें हार्दिक व आत्मिक शांति प्राप्त हुई। उन्होंने बताया कि उन्होंने एक सफ़े के दोनों तरफ 550 बार 'धन गुरु नानक' लिखने हेतु ग्यारह पक्तियों में पचास खाने बनाकर ये अभ्यास आरम्भ किया था। उनका मानना है कि लिखने से मनुष्य का चित्त एकाग्र होता है और वह आसानी से परमात्मा का ध्यान कर सकता है। उन्होने बताया कि कोई भी व्यक्ति, किसी को धर्म को भी मानने वाला है यदि वह कुछ मंत्र या धर्म से संबंधित कुछ स्लोगन लिखना चाहता है तो उन्हें उनकी तरफ से नि:शुल्क स्टेशनरी उपलब्ध करवाई जाएगी। इसके लिए उनसे पर संपर्क किया जा सकता है। 


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