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कोविड की लड़ाई में मोहाली के राष्ट्रीय संस्थानों का मेन रोल, नाइपर ने बनाया इम्यूनिटी बूस्टर, सीडेक की ई-संजीवनी एप को मिला अवॉर्ड

मोहाली स्थित राष्ट्रीय संस्थानों जैसे नाइपर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च मोहाली और राष्ट्रीय संस्थान सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कम्प्यूटिंग ने कोरोना काल में मुख्य भूमिका निभाई है। इन संस्थानों ने लोगों की सुविधा के लिए कई अविष्कार किए जिन्हें अवॉर्ड भी मिला है।

By Ankesh KumarEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 03:26 PM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 03:26 PM (IST)
कोविड की लड़ाई में मोहाली के राष्ट्रीय संस्थानों का मेन रोल, नाइपर ने बनाया इम्यूनिटी बूस्टर, सीडेक की ई-संजीवनी एप को मिला अवॉर्ड
कोविड की लड़ाई में मोहाली के राष्ट्रीय संस्थानों का मेन रोल, नाइपर ने बनाया इम्यूनिटी बूस्टर।

मोहाली, जेएनएन। कोरोना महामारी से बचाव के लिए देशभर में टीकाकरण चल रहा है। इससे पहले कोरोना से बचाव के उपायों में मोहाली स्थित देश के राष्ट्रीय संस्थानों ने एक नई मिसाल कायम की है। इन संस्थानों के वैज्ञानिकों ने कई चीजों का अविष्कार किया। लोगों की इम्यूनिटी बढ़ाने की बात हो या घरों में रह रहे लोगों को फोन या लैपटॉप के एक क्लिक पर डॉक्टरी सुविधा देने वाली मोबाइल एप, सब इन्हीं संस्थानों की देन हैं।

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मोहाली स्थित राष्ट्रीय संस्थान राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (नाइपर) ने कोरोना के खिलाफ शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली (इम्यूनिटी बूस्टर) हर्बल चाय का अविष्कार किया था। यह चाय संस्थान के रसायन विभाग द्वारा तैयार की गई थी। रसायन मंत्रालय ने बताया था कि चाय में रोगजनक सूक्ष्म जीव जैसे बैक्टीरिया, वायरस और किसी भी अन्य प्रकार के विषाक्त उत्पादों को बेअसर और समाप्त करने की क्षमता है। हर्बल चाय में अश्वगंधा, गिलोय, मुलेठी, तुलसी और ग्रीन टी जैसी छह स्थानीय रूप से उपलब्ध जड़ी-बूटियों का एक मिश्रण है। चाय का दिन में तीन बार प्रयोग करना था। यह बच्चों बुजुर्गों व सभी आयु वर्ग के लिए फायदेमंद है।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च मोहाली के वैज्ञानिक डॉ.सम्राट घोष ने एक एंटी-कोविड 19 वैक्यूम क्लीनिंग सिस्टम बनाया था। इसका प्रयोग घर से लेकर कारोबार व अन्य जगहों पर आसानी से किया जा सकता है। यह उन जगहों के लिए विशेष था जहां पर सेनिटाइजर का छिड़काव आदि संभव नहीं था। उस समय उन्होंने अपनी लैब में एक वैक्यूम क्लीनर तैयार किया था। जिससे आसानी से सफाई की जा सकती थी। साथ ही कोरोना का खतरा कम हो जाता था।

डॉ. घोष ने बताया कि इसका प्रयोग उन्होंने अपने घर में भी किया था। लोग इसका आसानी से प्रयोग कर पाएं, इसके लिए उन्होंने इस एक वीडियो यूट्यूब पर अपलोड किया था। इससे पहले वह मास्क व अन्य चीजें भी तैयार कर चुके हैं।

कोरोना काल में लगे लॉकडाउन में देश के लोगों को घर पर ही बेहतर सेहत सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए मोहाली स्थित देश के राष्ट्रीय संस्थान सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कम्प्यूटिंग (सीडेक) ने ई-संजीवनी एप और डेस्कटॉप एप्लीकेशन तैयार की थी। इस एप को संस्थान ने सेहत एवं परिवार भलाई मंत्रालय की सहायता से बनाया था। इस एप को महामारी में नवीनता (इनोवेशन इन पैंडामिक) की श्रेणी में डिजिटल इंडिया अवॉर्ड-2020 मिला था। यह पुरस्कार राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कार्यकारी निदेशक डॉ. पीके खोसला, एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. एसपी सूद और एमएचएफडब्ल्यू के तीन सीनियर अधिकारियों को दिया गया था। ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सेवा का इस्तेमाल करते हुए तकरीबन 1.2 मिलियन डॉक्टरी राय लोगों को दी गई।


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