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थाने में नाबालिग को निर्वस्त्र कर बनाई अश्लील वीडियो, हाई कोर्ट ने दिए जांच के आदेश

खन्ना में थाने में पिता नाबालिग बेटे और साथी को निर्वस्त्र कर अश्लील वीडियो के मामले में हाई कोर्ट ने जांच के बाद कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 12:03 PM (IST)Updated: Sat, 23 May 2020 12:03 PM (IST)
थाने में नाबालिग को निर्वस्त्र कर बनाई अश्लील वीडियो, हाई कोर्ट ने दिए जांच के आदेश
थाने में नाबालिग को निर्वस्त्र कर बनाई अश्लील वीडियो, हाई कोर्ट ने दिए जांच के आदेश

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब पुलिस के एक थाने में एक पिता, उसके नाबालिग बेटे और उनके अनुसूचित जाति के साथी को निर्वस्त्र कर अश्लील वीडियो बनाने के मामले में कड़ी टिप्पणी करते हुए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा है कि पुलिस के इस कृत्य से अदालत भी शर्मसार है। पंजाब के खन्ना के सदर पुलिस थाने में हुई इस घटना का वीडियो वायरल होने के लगभग एक साल बाद जारी किए आदेशों में हाई कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को इस मामले की जांच करवाने के आदेश दिए हैं।

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मामले में पीड़ितों में एक ने हाई कोर्ट में दायर याचिका में अपनी जान-माल की सुरक्षा और उनके साथ थाने में दुर्व्यवहार करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने की मांग की है। याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस निर्मलजीत कौर ने डीजीपी कार्यालय से 18 अप्रैल से जारी आदेशों का उल्लेख करते हुए कहा कि डीजीपी ने इस मामले की जांच लुधियाना रेंज के आइजी जसकरण सिंह को सौंपी थी, लेेेेेकिन अब तक यह जांच आगे नहीं बढ़ी है।

मामले में अब सीधे डीजीपी की निगरानी में जांच करवाने के आदेश जारी करते हुए जस्टिस निर्मलजीत कौर ने कहा है कि डीजीपी अगर चाहें तो स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम का गठन करके इस मामले की जांच करवाएं। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि डीजीपी इस मामले की समयबद्ध ढंग से जांच करवाए और जांच रिपोर्ट मिलने पर इसका अध्ययन करने के बाद आवश्यक कार्रवाई करें। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई को 8 जुलाई तक स्थगित करते हुए डीजीपी को जांच रिपोर्ट और उस पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट अदालत में पेश करने को भी कहा है।

याचिकाकर्ता को सुरक्षा भी मुहैया कराए पुलिस

अपने आदेशों में जस्टिस निर्मलजीत कौर ने कहा है कि किसी प्रभावशाली व्यक्ति राजवीर सिंह के कहने पर पुलिस के एक इंस्पेक्टर बलजिंदर सिंह की तरफ से किए गए इस कृत्य से अदालत भी शर्मसार है। उन्होंने कहा कि अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ता की सुरक्षा को सुनिश्चित करना राज्य पुलिस की जिम्मेदारी है। यह ध्यान रखा जाए कि उन्हें कोई शारीरिक या मानसिक कष्ट नहीं पहुंचे।


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