चमकी बुखार के बाद चंडीगढ़ में कम हुई मुजफ्फरपुर की लीची की मिठास
बुखार के खौफ का असर चंडीगढ़ की मंडी में भी साफ नजर आ रहा है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : बिहार में चमकी बुखार के खौफ का असर चंडीगढ़ की मंडी में भी साफ नजर आ रहा है। चंद दिनों पहले तक 150 रुपये प्रति किलो बिकने वाली लीची अब 60 से 80 रुपये किलो में बिक रही है। डर का आलम यह है कि लोग बड़ी मुश्किल से लीची की खरीदारी कर रहे हैं। पिछले साल तक लीची की बिक्री करने वाले जो दुकानदार अच्छी कमाई करते थे, वे इस बार लीची की जगह दूसरे फल बेचते नजर आ रहे हैं। फल विक्रेताओं का कहना है कि सोशल मीडिया और न्यूज चैनलों के माध्यम से मुजफ्फरपुर की खबर ने देशभर के लीची के बाजारों को काफी नुकसान पहुंचाया है। बीते कुछ दिनों से बिहार में चमकी बुखार के कहर की वजह से 130 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। जिसकी मुख्य वजह लीची बताई जा रही है। लेकिन कुछ शोधकर्ताओं और डॉक्टरों का कहना है कि लीची से चमकी बुखार का कोई तालुक नहीं हैं। फल विक्रेताओं ने कैंसिल किए ऑर्डर
बिहार का मुजफ्फरपुर जिला लीची का सबसे बड़ा उत्पादक है। जहां लीची की 65 प्रतिशत पैदावार होती है। जोकि पूरे देश में सप्लाई की जाती है। मुजफ्फरपुर के बाद उत्तरप्रदेश के तराई क्षेत्र, उत्तराखंड और पंजाब के कुछ इलाकों में लीची की पैदावार होती है। चंडीगढ़ की सबसे बड़ी सेक्टर-26 मंडी के एक फल विक्रेता राजू ने बताया कि उसने बिहार के मुजफ्फरपुर से लीची ऑर्डर की थी। लेकिन चमकी बुखार और लीची को लेकर लोगों में जिस प्रकार डर फैला हुआ है। और जिस प्रकार बाजार में लीची के दाम में एकदम से गिरावट दर्ज की गई है। उसके बाद मैंने यह ऑर्डर कैंसल कर दिया। ऑर्डर कैंसल करने के चलते उसे डेढ़ से दो लाख रुपये का नुकसान भी हुआ। ऐसे कई फल विक्रेता हैं जोकि इस सीजन में लीची से लाखों रुपये का कारोबार करते थे। लेकिन इस बार यह सभी विक्रेता दूसरे फल बेचकर अपना कारोबार कर रहे हैं। चंडीगढ़ की मंडी में यहां से आती हैं लीची
-बिहार के मुजफ्फरपुर
-उत्तराखंड
-उत्तरप्रदेश
-पंजाब के पठानकोट एरिया से लीची के प्रकार
तीन प्रकार की लीची की पैदावार की जाती है। जिनमें शाही, बेदाना और बंबई लीची शामिल है।
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