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शहरी विधायक सरकार के कामकाज से खफा, नहीं हो रहे काम, CM के सामने रखी नाराजगी

कांग्रेस के शहरी क्षेत्रों से संबंधित विधायक अपनी ही सरकार से नाखुश हैं। उनके खफा होने की वजह शहरी क्षेत्रों का कामकाज ठप होना है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 14 Nov 2019 12:48 PM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2019 12:48 PM (IST)
शहरी विधायक सरकार के कामकाज से खफा, नहीं हो रहे काम, CM के सामने रखी नाराजगी
शहरी विधायक सरकार के कामकाज से खफा, नहीं हो रहे काम, CM के सामने रखी नाराजगी

चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। कांग्रेस के शहरी क्षेत्रों से संबंधित विधायक अपनी ही सरकार से खफा हैं। उनके खफा होने की वजह शहरी क्षेत्रों का कामकाज ठप होना है। शहरी विधायकों की नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि सरकार जब भी किसी योजना पर विचार करती है, तो वह ग्रामीण क्षेत्रों को लेकर होता है। शहरी क्षेत्रों को बिल्कुल नजरंदाज किया जा रहा है। नगर निगम की ओर से भी जो प्रस्ताव पास करके भेजा जा रहा है, उन प्रस्तावों पर कई-कई दिनों तक विचार नहीं हो रहा है, बल्कि उसमें त्रुटियां निकाल कर वापस भेज दिया जा रहा है। 

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सबसे अधिक शिकायतें अमृतसर, जालंधर और लुधियाना के विधायकों को हैं। विधायकों की नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि विकास कार्यों को लेकर इन तीन शहरों और पटियाला में भेदभाव किया जा रहा है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के अपने हलके पटियाला में तो किसी प्रकार की परेशानी नहीं आने दी जा रही है। बाकी के तीन नगर निगम की तरफ ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है। चूंकि स्थानीय निकाय मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा भी पटियाला से ही संबंधित हैं, इसलिए भी विधायकों की नाराजगी और बढ़ जाती है।

तीनों शहरों के विधायक पहले गुरु नानक जी के प्रकाश पर्व के संपन्न होने के बाद यह मुद्दा उठाने वाले थे, लेकिन नौ नवंबर को करतारपुर साहिब जाते समय मौका देखकर सभी विधायकों ने अपनी नाराजगी मुख्यमंत्री के सामने रख दी। विधायकों ने सीधे-सीधे स्थानीय सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए। एक विधायक ने तो यहां तक कह दिया कि सरकार को केवल गांव ही नहीं, बल्कि शहरी क्षेत्रों की तरफ भी ध्यान देना चाहिए। क्योंकि वह सब शहरी क्षेत्र से जीत कर आए हैं।

पहले तो मुख्यमंत्री स्थानीय निकाय मंत्री ब्रह्म मोहिंदरा के स्वास्थ्य ठीक नहीं होने का हवाला देते रहे। इस पर विधायकों ने आपत्ति उठाई कि स्वास्थ्य खराब होने से पहले और स्वास्थ्य ठीक होने के बाद की स्थिति में कोई अंतर नहीं है। विधायकों का दबाव देख मुख्यमंत्री ने शहरी क्षेत्र के विधायकों को भरोसा दिलवाया कि वह इस मामले को गंभीरता से लेंगे।

समय पर नहीं पास हो रहे नक्शे

विधायकों की चिंता है कि गांवों में सरकार ने बिजली भी मुफ्त की हुई है। उनकी फसलें भी समय पर उठ जाती हैं। किसानों के कर्ज भी माफ किए हैं, लेकिन कांग्रेस सरकार के ढाई वर्ष के दौरान शहरी क्षेत्र को कुछ नहीं मिला। एक विधायक बताते हैं कि बतौर काउंसलर जो नक्शा वह तीन दिन में पास करवा लिया करते थे। विधायक बनने के बाद तीन माह में भी नहीं करवा पा रहे है।

नक्शे का काम ऑनलाइन किया गया था, ताकि काम सरल हो, लेकिन इतनी त्रुटियां निकाल दी जाती हैं कि तीन माह में भी नक्शा नहीं पास हो पाता है। पूर्व स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के समय में कामर्शियल इमारतों को सील करने का मामला अभी तक हल नहीं हो पाया है। नगर निगम जो प्रस्ताव पास करके चंडीगढ़ भेज देता है, वह अफसरशाही में उलझ कर रह जाता है। वहीं, भरोसे के बाद कांग्रेसी विधायक अब इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री क्या कदम उठाते हैं।

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