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फिर लॉकडाउन का डर... मोहाली से प्रवासी मजदूरों का पलायन, बोले- बीते साल पैदल पहुंचे थे गांव अभी भी हैं निशान

पंजाब में लगातार कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। इससे जहां सरकार की मुश्किलें बढ़ रही हैं। वहीं दोबारा से लॉकडाउन जैसे हालात पैदा होने से प्रवासी मजदूर टेंशन में आ गए हैं। इसी के चलते मोहाली के कुराली से बड़ी संख्या में मजदूर पलायन करने लगे हैं।

By Ankesh KumarEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 12:45 PM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 12:45 PM (IST)
फिर लॉकडाउन का डर... मोहाली से प्रवासी मजदूरों का पलायन, बोले- बीते साल पैदल पहुंचे थे गांव अभी भी हैं निशान
कुराली में अपने गांव को लौटने के लिए स्पेशल बस से रवाना होते मजदूर।

कुराली, [चेतन भगत]। बीते साल कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन के कारण लाखों मजदूरों ने देश के कई हिस्सों से पलायन किया था। इसके कारण उभरे रोजी रोटी के संकट के चलते प्रवासी मजदूरों ने मुश्किल परिस्थितियों में पैदल और साइकिल पर ही हज़ारों किलोमीटर दूर अपने गांवों तक का सफर तय किया था। अब कोरोना की दूसरी लहर ने फिर से वही हालात पैदा कर दिए हैं। लॉकडाउन से डरे प्रवासी मज़दूर स्पेशल बसों के माध्यम से यूपी, बिहार स्थित अपने गांवों के लिए पलायन करने लगे हैं।

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पंजाब में लगातार कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। इससे जहां सरकार की मुश्किलें बढ़ रही हैं। वहीं दोबारा से लॉकडाउन जैसे हालात पैदा होने से प्रवासी मजदूरों के माथे पर चिंता की लकीरें उभरने लगी हैं। इसी के चलते जिला मोहाली के कुराली से रोजाना बड़ी संख्या में मजदूर पलायन करने लगे हैं। हिमाचल प्रदेश के बद्दी स्थित इंडस्ट्रियल हब से वाया कुराली होते हुए यूपी, बिहार के लिए चलने वाली स्पेशल प्राइवेट बसों के माध्यम से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने गांवों को लौट रहे हैं।

लॉकडाउन लगा तो क्या करेंगे

कुराली से गोरखपुर (यूपी) स्थित अपने गांव जा रहे राम खिलावन का कहना था कि जिस प्रकार कोरोना फिर से फैलने लगा है उससे बीते वर्ष लॉकडाउन का भयानक मंज़र फिर से आंखों के सामने आ रहा है। अगर फिर से सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई तो परदेस में दोबारा से फंसना मजबूरी बन जाएगा। उनका कहना था कि ऐसे हालात होने से पहले ही वो जैसे तैसे अपने गांव पहुंचना चाहते हैं।

दोगुना किराया खर्च जा रहे गांव

संजीवन कुमार ने बताया कि ट्रेन से यूपी के जिला गोंडा स्थित उनके गांव का किराया लगभग 800 रुपये है। ट्रेन फिलहाल चल नहीं रही और लॉकडाउन का खतरा सिर पर मंडराने लगा है, जिसके चलते वो अपने परिवार सहित प्रति व्यक्ति करीब 1600 रुपये के हिसाब से किराया अदा कर प्राइवेट बस के माध्यम से अपने गांव वापस जा रहे हैं। हालात ठीक होने पर ही वापस आने के बाबत कोई फैसला लेंगे।

पांव में पड़े छालों के अब भी हैं निशान

स्पेशल बस से यूपी के जिला देवरिया जा रहे राम बाबू का कहना था कि बीते वर्ष लगे लॉकडाउन के चलते गांव तक पहुंचने में बेहद मुश्किलों का सामना करने को विवश होना पड़ा था। लॉकडाउन के बीच गांव तक पहुंचने का कोई साधन नहीं होने के कारण रोपड़ से उनके गांव के बीच लगभग एक हज़ार किलोमीटर की दूरी को उन्होंने लोगों से लिफ्ट मांगने सहित सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर पूरा किया था जिसके फलस्वरूप पैरों में पड़े छालों के निशान अब तक ताजा है।

30 से 40 प्रवासी रोजाना कर रहे पलायन

प्रवासी मजदूरों को स्पेशल प्राइवेट बसों से यूपी एवं बिहार ले जाने वाले बस ऑपरेटर का कहना था कि लॉकडाउन लगने के खतरे के चलते प्रवासी श्रमिक अपने गांवों को वापस जा रहे है। उसने बताया कि हिमाचल स्थित इंडस्ट्रियल हब बद्दी से रोजाना एक स्पेशल बस कुराली होते हुए प्रवासी मजदूरों को लेकर यूपी एवं बिहार को जाती है। कुराली एवं रोपड़ से तकरीबन 30 से 40 प्रवासी श्रमिक रोजाना बस के माध्यम से अपने गांवों को जा रहे है। उसने बताया कि हालांकि यूपी, बिहार से वापसी के दौरान प्रवासी श्रमिक वापस भी आते हैं पर उनकी संख्या जाने वालों की अपेक्षा कम होती है।


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