पंचकूला में हरियाणा सफाई कर्मचारी आयोग के चेयरमैन कृष्ण कुमार बोले- कर्मचारियों के लिए शुरू किए गए दो पायलट प्रोजेक्ट
आयोग द्वारा चार अप्रैल को करनाल में सफाई मित्र उत्थान सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है जिसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल मुख्यातिथि होंगे। सम्मेलन के दौरान मुख्यमंत्री रेवाड़ी व गुरुग्राम में पायलट आधार पर शुरू किए गए दो प्रोजेक्ट का विधिवत शुभारंभ करेंगे।
पंचकूला, जेएनएन। हरियाणा में सफाई कर्मचारियों की काम के दौरान होने वाली मौत मामलों को देखते हुए हरियाणा सफाई कर्मचारी आयोग सेंसर आधारित दो पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। यह प्रोजेक्ट रेवाड़ी और गुरुग्राम में स्थापित किए गए हैं। इन दो परियोजनाओं की सफलता को देखते हुए अब प्रदेश के दूसरे जिलों में भी चरणबद्ध तरीके से यह प्रोजेक्ट शुरू किए जाएंगे। यह बात हरियाणा सफाई कर्मचारी आयोग के चेयरमैन कृष्ण कुमार कही। कृष्ण कुमार वीरवार को पंचकूला के सेक्टर-4 स्थित अपने कार्यालय में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हरियाणा देश का पहला राज्य है, जहां सीवर कर्मियों की सुरक्षा के लिए इस प्रकार के आधुनिक निवारक उपाय लागू किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि आयोग द्वारा चार अप्रैल को करनाल में सफाई मित्र उत्थान सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल मुख्यातिथि होंगे। सम्मेलन के दौरान मुख्यमंत्री रेवाड़ी व गुरुग्राम में पायलट आधार पर शुरू किए गए दो प्रोजेक्ट का विधिवत शुभारंभ करेंगे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के समक्ष इन दो प्रोजेक्ट का डेमो भी प्रस्तुत किया जाएगा और उपस्थित सफाई कर्मचारियों को इसकी जानकारी उपलब्ध करवाई जायेगी। उन्होंने कहा कि आज तकनीकी का समय है और इसका समुचित उपयोग कर न केवल सीवर की सफाई के दौरान होने वाले हादसों में अंकुश लगाया जा सकता है बल्कि सीवर की बेहतर साफ सफाई भी सुनिश्चित की जा सकती है।
सीवर में मिथेन जैसी जहरीली गैस होती है और सफाई के दौरान सीवर कर्मियों के शरीर में प्रवेश कर फेफडों को संक्रमित कर देती है। पिछले 25 वर्षों में सफाई के दौरान 117 सीवर कर्मचारी और पांच सीवरमैन ने सफाई के दौरान अपनी जान गंवाई। सीवर की साफ सफाई के दौरान मृत्यु होने पर ऐसे सीवरकर्मियों के परिवारों को 10 लाख रुपये की राशि मुआवजे के रूप में दी जाती है।
ऐसे काम करेगा प्रोजेक्ट
कृष्ण कुमार ने बताया कि इन परियोजनाओं के अंतर्गत रेवाड़ी में आठ व गुरुग्राम में चार सेंसर लगाए गए है। इन सेंसर के माध्यम से सीवर की एक निर्धारित सीमा के बाद ओवरफ्लो होते ही संदेश संबंधित जेई व एसडीओ को वाट्सएप, टैक्सट मैसेज और ई-मेल के द्वारा पंहुचेगा। इसके उपरांत उस क्षेत्र के सीवरमैन को इसकी जानकारी उपलब्ध करवाई जाएगी जो तुरंत मौके पर पंहुचकर सीवर की सफाई करेगा। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली का फायदा यह होगा की सीवरमैन को सफाई के लिए सीवर के अंदर प्रवेश करने की जरूरत नहीं होगी। इस तकनीक के माध्यम से सीवर के ओवरफ्लो की जानकारी कहीं पर भी बैठकर डेसबोर्ड के माध्यम से देखी जा सकती है।
मुख्यमंत्री से की जाएगी यह मांग
उन्होंने बताया कि यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है, जिसका मुख्य उद्देश्य सीवरमैन के जीवन की रक्षा करना, समयवद्ध तरीके से सीवर की सफाई व उसकी निगरानी सुनिश्चित करना तथा सीवर कर्मियों को उद्यमी बनाकर रोजगार मुहिया करवाना है। चार अप्रैल को करनाल में आयोजित होने वाले सफाई मित्रा उत्थान सम्मेलन के दौरान वे मुख्यमंत्री से मांग करेंगे कि रेवाड़ी व गुरुग्राम में इन दो पायलट प्रोजेक्ट की सफलता देखते हुए इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाए। इस अवसर पर हरियाणा सफाई कर्मचारी आयोग के सचिव अनिल नागर व आयोग के मेंबर नामतः रामफल लोट व आजाद सिंह भी उपस्थित थे।