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चंडीगढ़ टैगोर थिएटर में होगा 'केसर' नाटक का मंचन, बेटियों की कहानी पर आधारित है नाटक

बेटियों पर आधारित नाकट केसर का मंचन टैगोर थिएटर में किया जाएगा। नाटक में ऐसे परिवेश को दिखाया जाएगा जहां पर बेटी गर्भ पर पलने की बात सुनकर ही उसे दुनिया में आने से रोकने के प्रयास शुरू हो जाते हैं।

By Ankesh KumarEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 03:40 PM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 03:40 PM (IST)
चंडीगढ़ टैगोर थिएटर में होगा 'केसर' नाटक का मंचन, बेटियों की कहानी पर आधारित है नाटक
टैगोर थिएटर में नाटक का मंचन करते कलाकार (सांकेतिक चित्र)

चंडीगढ़ [सुमेश ठाकुर]। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर संवाद थिएटर ग्रुप नाटक केसर का मंचन करने जा रहा है। यह नाटक बेटियों की भ्रूण हत्या और पैदा होने के बाद परिवारिक और समाजिक माहौल को पेश करेगा। नाटक का मंचन टैगाेर थिएटर सेक्टर-18 में छह मार्च को शाम साढ़े छह बजे से किया जाएगा। इसका निर्देशन यशपाल कुमार ने किया है।

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नाटक में ऐसे परिवेश को दिखाया जाएगा जहां पर बेटी गर्भ पर पलने की बात सुनकर ही उसे दुनिया में आने से रोकने के प्रयास शुरू हो जाते हैं। ज्यादातर माताएं पति और ससुराल के आगे बेबस होकर बेटी को गर्भ में खत्म कर देती है, वहीं कुछ महिलाएं पति और ससुराल की नहीं सुनती और बेटी गर्भ में खत्म नहीं होने देती, तो उसके पैदा होने के बाद उसके साथ दुरव्यवहार शुरू हो जाता है। जिसे सहते हुए कई बार बेटियां गलत रास्ते पर चल देती हैं और खुद के सपनों को पूरा करने के बजाय जीवन को खत्म कर लेती है। 

निर्देशक यशपाल कुमार ने बताया कि ज्यादातर महिलाएं समाज के आगे झुक जाती हैं, लेकिन कुछ महिलाएं समाज के आगे झुकती नहीं और खुद का वजूद खुद तैयार करती है। नाटक में ऐसी बेटी की कहानी को पेश किया जाएगा जिसे मां ने कोख में मारने के बजाय पैदा किया और उसके बाद बेटी के साथ अत्यचार होना शुरू होता है। बेटी खुद रास्ता भटकने के बजाये स्थिति का मुकाबला करती है और दुनिया में आने से रोकने वाले पिता के खिलाफ खड़े होकर मुकाबला करती है।

यशपाल कुमार ने बताया कि बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटों से कम नहीं है ऐसे में यदि उनके साथ कोई गलत करता है तो बेटियों को सिर उठाकर आगे बढ़ना ही पड़ेगा। जब तक बेटियां या महिलाएं खुद के लिए लड़ना शुरू नहीं करेगी उस समय तक कन्या भ्रूण हत्या के बुरी कुरीति को खत्म नहीं किया जा सकता। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने से पहले बेटियों और महिलाओं को बचाना जरूरी है।


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