पंजाब आप की सियासत में फेल होकर लौटे केजरीवाल
-नहीं मना पाए बागी खैहरा गुट के विधायकों को, मजबूत हुए खैहरा, और बढ़ेगी तकरार -विरोधी
-नहीं मना पाए बागी खैहरा गुट के विधायकों को, मजबूत हुए खैहरा, और बढ़ेगी तकरार
-विरोधी गुट का एक भी विधायक केजरी से नहीं मिला, दुआ-सलाम भी नहीं
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मनोज त्रिपाठी, चंडीगढ़: आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय कन्वीनर अरविंद केजरीवाल रविवार को पंजाब में आप के घमासान को खत्म करवा पाने में विफल रहे। लिहाजा वे निराश होकर दिल्ली लौटे। उम्मीद की जा रही थी कि केजरीवाल बागी हो चुके सुखपाल सिंह खैहरा गुट को मना पाने में सफल हो जाएंगे। इसके मद्देनजर ही उन्होंने बरनाला के महलकलां हलके के विधायक कुलवंत पंडोरी के पिता के भोग में शिरकत करने का कार्यक्रम तय किया था। कार्यक्रम में दोनों नेताओं ने शिरकत की। खैहरा व भगवंत मान ने जफ्फी भी डाली, लेकिन खैहरा व केजरीवाल से दूरी बनी रही। खैहरा ने रविवार को एक बार फिर स्पष्ट किया कि वह बठिंडा कन्वेंशन में पास किए गए प्रस्तावों पर अडिग हैं।
खैहरा को 26 जून को नेता प्रतिपक्ष के पद से हटा दिया गया था। इसके बाद पंजाब में 20 विधायकों वाली आम आदमी पार्टी दोफाड़ हो गई थी। खुद मुख्तियारी (फैसले लेने का अधिकार) की माग को लेकर खैहरा ने 8 विधायकों के समर्थन के साथ बगावत की थी। सभी एकजुट हैं और पार्टी के महत्वपूर्ण फैसले खुद ले रहे हैं। केजरीवाल समर्थित भगवंत मान गुट की तरफ से लिए जा रहे फैसलों का खैहरा गुट खुलकर विरोध कर रहा है।
केजरीवाल के दौरे को काफी गंभीरता से लिया जा रहा था। पूर्व अकाली मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया से नशे के मुद्दे पर माफी मागने के बाद चौतरफा घिरे केजरीवाल के पास यह पहला मौका था, जब वे दोबारा पंजाब में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करवा पाते, लेकिन इस मामले में वह फेल रहे। उनकी कोशिश थी कि खैहरा को पहले ही मना लिया लिया जाए। सुनाम के विधायक अमन अरोड़ा को बार-बार खैहरा से मिलने के लिए भेजा जा रहा था। खैहरा के स्पष्ट स्टैंड के चलते अरोड़ा भी उन्हें मना नहीं पाए। केजरीवाल एक बार फिर पंजाब की सियासत में पिटा हुआ मोहरा साहिब होकर दिल्ली लौट गए हैं। केजरीवाल के इस दौरे ने पार्टी में खैहरा गुट की स्थिति को और मजबूत कर दिया है। आने वाले समय में खैहरा गुट को इसका लाभ मिलना तय माना जा रहा है। 8 विधायकों के साथ आने के बाद पाच विधायक लगातार खैहरा गुट के संपर्क में हैं। जाते-जाते सुलह का रास्ता खोल गए केजरी
पंजाब से बागियों को मना पाने में फेल होने के बाद दिल्ली लौटते समय केजरीवाल सुलह का रास्ता खोल गए हैं। उन्होंने संकेत दिए हैं कि खैहरा गुट की जायज मागों पर विचार किया जा सकता है, लेकिन सबसे बड़ी माग खुद मुख्तियारी की है। इसे लेकर ही दिल्ली और पंजाब आप में विधानसभा चुनाव से पहले से ही अंदरखाते लड़ाई चल रही है। इसे न तो केजरीवाल मानने को तैयार हैं और न ही इसे अब खैहरा गुट छोड़ सकता है। अगर खैहरा गुट ने इस माग को छोड़कर केजरीवाल से हाथ मिला लिया, तो कार्यकर्ताओं की भीड़ का खैहरा गुट से दूर होना तय है।