आपने भी किया 103 सुरंगों के बीच से ट्रेन का यह रोमांचक सफर, 1903 में अंग्रेजों ने चलाई थी पहली टॉय ट्रेन
Kalka-Shimla World Heritage Railway Track अंग्रेजों ने किन्नौर जिले के कल्पा तक रेल ट्रैक बिछाने की योजना बनाई थी जो पूरी नहीं हो सकी। अब यह वर्ल्ड हेरिटेज ट्रैक रेलवे के अंबाला मंडल के अधीन आता है ।
विकास शर्मा, चंडीगढ़। Kalka-Shimla World Heritage Railway Track: कहने को तो हमने देश की आजादी के बाद खूब तरक्की की है, लेकिन रेलवे विस्तार पर नजर डालें तो 112 वर्षों में कालका-शिमला रेलवे ट्रैक (Kalka-Shimla Railway Track) को एक इंच भी आगे नहीं बढ़ाया गया है। इस रेलवे ट्रैक को वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा भी मिल चुका है और इस पूरे ट्रैक की खास बात यह है कि इसमें 103 सुरंगे हैं। जी हां, कालका-शिमला रेल लाइन बीते 112 वर्षों में एक इंच भी आगे नहीं बढ़ पाई है। कालका और शिमला के बीच 1903 में टॉय ट्रेन का संचालन शुरू हुआ था। 6 साल बाद 1909 में शिमला रेलवे स्टेशन से रेल ट्रैक 890 मीटर आगे शिमला ऐक्सटेंशन तक बढ़ाया गया। इसके बाद 112 साल से रेल ट्रैक आगे नहीं बढ़ पाया है।
सन 1814 से 1816 तक हुए एंग्लो नेपाल युद्ध के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने शिमला को बेस कैंप बनाया था। 1864 में शिमला को ग्रीष्मकालीन राजधानी और ब्रिटिश आर्मी का मुख्यालय बनाया गया। अंग्रेजों ने किन्नौर जिले के कल्पा तक रेल ट्रैक बिछाने की योजना बनाई थी, जो पूरी नहीं हो सकी। अब यह वर्ल्ड हेरिटेज ट्रैक रेलवे के अंबाला मंडल के अधीन आता है।
118 साल पुराना है कालका शिमला रेलवे मार्ग
कालका-शिमला रेलवे मार्ग 118 साल पुराना है। 9 नवंबर 1903 को कालका- शिमला रेल मार्ग की शुरूआत हुई थी। यह रेलमार्ग उत्तर रेलवे के अंबाला डिवीजन के अंतर्गत आता है। 1896 में इस रेल मार्ग को बनाने का कार्य दिल्ली-अंबाला कंपनी को सौंपा गया था। रेलमार्ग कालका स्टेशन (656 मीटर) से शिमला (2,076 मीटर) तक जाता है। 96 किमी. लंबे इस रेलमार्ग पर 18 स्टेशन है। साल 1921 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी इस मार्ग से यात्रा की थी।
103 सुरंगें से ट्रेन को गुजरते देख रोमांचित हो उठते हैं यात्री
कालका-शिमला रेलवे लाइन पर 103 सुरंगें है, जो इस सफर को काफी रोमांचक बना देती हैं। बड़ोग रेलवे स्टेशन पर 33 नंबर बड़ोग सुरंग सबसे लंबी है जिसकी लंबाई 1143.61 मीटर है। सुरंग क्रॉस करने में टॉय ट्रेन अढ़ाई मिनट का समय लेती है। रेलमार्ग पर 869 छोटे-बड़े पुल है जिस पर सफर और भी रोमांचक हो जाता है। कालका-शिमला रेलमार्ग को नैरोगेज लाइन कहते हैं। इसमें पटरी की चौड़ाई दो फीट छह इंच है।
साल 2008 में यूनेस्को ने दिया था वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा
कालका-शिमला रेलवे लाइन को यूनेस्को ने जुलाई 2008 में इसे वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया था। इसी रूट पर कनोह रेलवे स्टेशन पर ऐतिहासिक आर्च गैलरी पुल 1898 में बना था। शिमला जाते हुए यह पुल 64.76 किमी पर मौजूद है। आर्च शैली में निर्मित चार मंजिला पुल में 34 मेहराबें हैं। इस ट्रैक पर विस्टाडोम, टॉय ट्रेन और स्पेशल ट्रेनें सैलानियों के लिए चलाई जाती है।