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युवाओं को पारंपरिक तीरंदाजी से जोड़ रहे हैं जसमिंदर सिंह, आत्मरक्षा के भी सिखाए गुर

मोहाली में रहने वाले जसमिंदर पाल सिंह ने अमृतसर में सिख शस्त्र विद्या कौंसिल( भारत) की तरफ से आयोजित दो दिवसीय शिविर में युवाओं को तीरंदाजी के गुर सिखाए। इस शिविर के आयोजन का लक्ष्य घर -घर तक तीरंदाजी को पहुंचना है।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 08:32 AM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2020 08:32 AM (IST)
युवाओं को पारंपरिक तीरंदाजी से जोड़ रहे हैं जसमिंदर सिंह, आत्मरक्षा के भी सिखाए गुर
इस शिविर में भारत के विभिन्न स्थानों से आए हुए युवाओं ने हिस्सा लिया।

चंडीगढ़, जेएनएन। मोहाली में रहने वाले एडवोकेट व पारंपरिक तीरंदाजी के इंटरनेशनल खिलाड़ी जसमिंदर पाल सिंह ने सिख शस्त्र विद्या कौंसिल( भारत) की तरफ से आयोजित दो दिवसीय शिविर में युवाओं को तीरंदाजी के गुर सिखाए। इस शिविर का आयोजन अमृतसर में किया गया था। जसमिंदर ने बताया कि इस शिविर में भारत के विभिन्न स्थानों से आए हुए युवाओं ने हिस्सा लिया और पारंपरिक तीरंदाजी व अन्य शस्त्र विद्याओं के गुर सीखे। उन्होंने बताया कि भारत से पारंपरिक तीरंदाजी लगभग लुप्त हो चुकी है और वह इसे पुनर्जीवित करने के लिए वह प्रयासरत्त हैं। इस शिविर के आयोजन का लक्ष्य घर -घर तक तीरंदाजी को पहुंचना है।

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धनुर्विद्या के बारे में लोगों को किया जागरूक

जसमिंदर ने धनुर्विद्या में बताई गई तीरंदाजी की विधियों के बारे में शिविर में हिस्सा लेने आए हुए युवाओं को बताया। इसके अलावा युवाओं को धनुष और तीर का सही प्रयोग करने का तरीका भी सिखाया। इस शिविर में बहुत से युवा ऐसे थे जिन्होंने अपने जीवन में पहली बार तीरंदाजी का अनुभव लिया। इस शिविर में जसमिंदर पाल सिंह ने युवाओं को घुड़सवारी करते हुए तीरंदाजी करना भी सिखाया। जसमिंदर ने बताया कि सही जानकारी न होने के कारण समय के साथ हम अपने सबसे लोकप्रिय पारंपरिक खेल तीरंदाजी को भूल गए हैं, युवा इसे सीखने के लिए बेहद उत्साहित दिखे, ऐसे में उम्मीद है कि हम एक बार तीरंदाजी को लोकप्रियता के शिखर पर ले जाएंगे।

युवाओं को आत्मरक्षा के गुर भी सिखाए गए

जसमिंदर ने बताया कि इसके अलावा शिविर में चक्र इस्तेमाल और बिना हथियार के भी अात्मरक्षा करने के गुर युवाओं को सिखाए गए। अमेरिका से आए सरदार गुरिंदर पाल सिंह जोसन ने युवाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाए। शिविर में निहंग बाबा बुड्ढा दल की ओर से भेजे गए घोड़ो की भी सेवा ली गई, जिसपर शिविर में आए युवाओं को घुड़सवारी सिखाई गई। इसके अलावा शिविर में गतका सीखने के प्रति भी खासे युवा उत्साहित दिखे।


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