Punjab Scholarship Scam: स्कॉलरशिप घोटाले में बढ़ी पंजाब सरकार की परेशानी, हाई कोर्ट ने मांगा जवाब, जांच रिपोर्ट तलब
Punjab scholarship scam पंजाब में हुए पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब व केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जांच रिपोर्ट तलब की है। यह घोटाला दैनिक जागरण ने उजागर किया था।
जेएनएन, चंडीगढ़। Punjab scholarship scam : पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाले (Post Metric Scholarship Scam) में पंजाब सरकार और कैबिनेट मंत्री साधू सिंह धर्मसोत की परेशानी बढ़ गई है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) के चीफ जस्टिस रवि शंकर झा एवं जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप मामले की सीबीआइ जांच की एक मांग पर केंद्र व पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब कर लिया है।
हाई कोर्ट ने पंजाब व केंद्र सरकार को इस मामले में अगली सुनवाई पर जांच रिपोर्ट भी देने का आदेश दिया है।एडवोकेट फैरी सोफत ने जनहित याचिका में घोटाले को बैंक फ्राड बताते हुए सीबीआइ जांच की मांग की है। याचिका में केंद्र सरकार, पंजाब सरकार, सीबीआइ, पंजाब के चीफ सेक्रेटरी, मंत्री साधू सिंह धर्मसोत और विभाग के निदेशक को प्रतिवादियों में शामिल किया गया है।
इस मामले में याचिकाकर्ता ने कहा है कि यह घोटाला सिर्फ पंजाब तक सीमित नहीं है, बल्कि ऐसे मामले कई अन्य राज्यों में भी सामने आए हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार ने ऐसे मामले में सीबीआइ जांच शुरू करवा दी है और हरियाणा में स्कॉलरशिप घोटाले में एफआइआर दर्ज हो चुकी है।
केंद्र सरकार ने एससी, एसटी व अल्पसंख्यक वर्ग के विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए 303 करोड़ की राशि जारी की थी। जिसे फर्जी बैंक खाते खुलवाकर जमा करवाया गया और बिना औपचारिक कागजी कार्रवाई किए बिना खुद-बुर्द कर दिया गया। विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी कृपा शंकर सरोज की रिपोर्ट को गंभीरता से नहीं लिया गया, जिसमें मंत्री साधू सिंह धर्मसोत सहित कई अफसरों की भूमिका पर सवाल किए गए हैं।
याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को बताया है कि पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप के जरिए केंद्र सरकार अनुसचित जाति, पिछड़े वर्ग आदि के होनहार छात्रों को स्कॉलरशिप जारी करती है। यह राशि राज्य सरकार के जरिए जारी की जाती है। केंद्र सरकार ने इसके लिए मार्च 2019 में तीन किश्तों में 303.92 करोड़ रुपये जारी किए थे। गत वर्ष 18 दिसंबर की ट्रेजरी एक्सपेंडिचर रिपोर्ट के अनुसार विभाग 248.11 करोड़ निकलवा चुुका था और खाते में 55.81 करोड़ बचे थे, जिसे बाद में 2015-16 और 2016-17 के छात्रों के मेंटेनेंस अलाउंस के नाम पर निकाला गया, जो 248.11 करोड़ निकले गए थे, उनमेंं से ट्रेजरी विभाग को काफी मशक्कत के बाद भी 39 करोड़ की पेमेंट्स को फाइल या दस्तावेज मिला ही नहीं। बताया जाता है कि यह राशि कई संस्थानों को जारी की गई है।
केंद्र सरकार के वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि इस मामले में पंजाब सरकार से जानकारी मांगी गई थी, जो कि अभी तक उपलब्ध नहीं करवाई गई। इस मामले में केंद्र सरकार ने दो संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों की कमेटी गठित करके जांच शुरू की हुई है, जबकि मुख्यमंत्री ने इस मामले में चीफ सेक्रेटरी को जांच सौंपी थी। चीफ सेक्रेटरी ने जांच के लिए तीन आइएएस अधिकारियों की टीम का गठन किया था। बता दें, दैनिक जागरण ने इस घोटाले को उजागर किया था। मामले में 27 अगस्त को पूरी जांच रिपोर्ट को भी प्रकाशित किया गया था।