इंटरनेट ने खत्म कर दिया था बेहतरीन इंडी पॉप गायकों को..
90 के दशक में आपने कितने ही इंडी पॉप आर्टिस्ट को सुना होगा।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : 90 के दशक में आपने कितने ही इंडी पॉप आर्टिस्ट को सुना होगा। कोलोनियल कसिन्स, लक्की अली, सिल्क रूट और आर्यन्स। मगर अचानक हिट होने के बाद वे कहां गए? दरअसल, इन्होंने भारतीय संगीत को बदल दिया था। मगर वर्ष 2000 के बाद जैसे ही इंटरनेट आया, तो इन आर्टिस्ट को म्यूजिक लेबल ने खरीदना बंद कर दिया। इंटरनेट में फ्री म्यूजिक परोसा जाने लगा। इसकी वजह से पैसों की किल्लत की वजह से ये ग्रुप टूट गए। हमारे ग्रुप के साथ भी यही हुआ। आर्यन्स ने रोमांटिक गीतों की अच्छी लिस्ट दी। इसमें आंखों में तेरा ही चेहरा, ये हवा कहती है क्या जैसे गीत दिए। मगर दुखद परिस्थितियों में हमें ग्रुप तोड़ना पड़ा। उस दौरान हमारा हर गाना हिट होता था। मगर इंटरनेट और रिमिक्स के उस दौर ने हमें तोड़ कर रख दिया। आर्यन बैंड के प्रमुख गायक सादू कुछ इसी अंदाज में बैंड टूटने का दुख ब्यान करते हैं। फार्मास्यूटिकल कंपनी खोलनी पड़ी
सादू ने कहा कि वह केरल से हैं। घर में पढ़ाई का माहौल था। खुद मैंने ऑर्गेनिक कैमिस्ट्री में एमएससी की है। इसकी वजह से मैंने बैंड के टूटने के बाद कंपनी खोल ली। मुझे दवाई बनाने में भी कभी बुरा नहीं लगा। मैंने संगीत और दवाई बनाने में एक अलग संबंध देखा। इसकी वजह से अभी तक इस काम को कर रहा हूं। हालांकि मेरे कई दोस्त पंजाब है, उन्होंने मुझे फिर से गाने के लिए प्रेरित किया। इसकी वजह से गीत होर किन्ने सबूत लेयावां को गा सका। इसमें मैलोडी अहम है, जो हमारे गीतों का सबसे जरूरी हिस्सा है। जल्द पैसा कमाने की चाहत में कचरा बन रहा है.
सादू ने कहा कि आज भी हमारे गीत सुन लोग झूम झाते हैं। उन्हें इसमें असली मेलोडी मिलती है। हां, इन दिनों पंजाबी म्यूजिक तो सराहा जा रहा है, मगर सच कहूं तो ये सब मुझे जल्दबाजी का काम लगता है। इसमें कोई मैलोडी नहीं होती। कुछ दिनों में भूलने वाले गाने है ये सब। मैं ऐसे गीत नहीं बन सकता, मैं चाहता हूं कि कुछ ऐसा बनाया जाए, जो बरसों तक याद रहे, बेशक इसमें समय लगे। युवाओं के लिए ये जरूरी है अगर वह गायकी में सच में आना चाहते हैं।