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बढ़ता काम और टूटते रिश्ते का असर दिमाग पर, मानसिक रोगियों के आंकड़े शिखर पर

बढ़ते काम का बोझ और टूटते सयुंक्त परिवारों के चलते इंसान लगातार मानसिक रोगों का शिकार होता जा रहा है। माह दर माह मानसिक रोगियों का आकड़ा बढ़ता जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 12:17 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 12:17 PM (IST)
बढ़ता काम और टूटते रिश्ते का असर दिमाग पर, मानसिक रोगियों के आंकड़े शिखर पर
बढ़ता काम और टूटते रिश्ते का असर दिमाग पर, मानसिक रोगियों के आंकड़े शिखर पर

डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ : बढ़ते काम का बोझ और टूटते सयुंक्त परिवारों के चलते इंसान लगातार मानसिक रोगों का शिकार होता जा रहा है। माह दर माह मानसिक रोगियों का आकड़ा बढ़ता जा रहा है। सयुंक्त परिवार टूट कर छोटे हो गए और बढ़ते तनाव को शेयर के लिए अब परिजन भी पास नहीं रहे। इंसान बढ़ते काम और लाइफ स्टाइल के बीच भी संतुलन नहीं बना पा रहा है। इसका खुलासा पीजीआइ के आकड़ों और एक्सप‌र्ट्स ने किया । पिछले डेढ़ साल में पीजीआइ के मनोचिकित्सा विभाग में आने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ोतरी हुई है। साल 2017 में हर माह औसतन 8 हजार से नीचे मरीज आ रहे तो साल 2018 के पहले छह महीनों में औसतन करीब 8368 मरीज हर माह आए। आकड़ों से साफ है कि मानसिक रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। फैमिली एक स्पोर्ट सिस्टम होता है जो दुख व तनाव की स्थिति में इंसान के साथ खड़ा होता है लेकिन छोटे परिवार होने के चलते अब यह स्पोर्ट भी जाती रही। पिछले साल 95 हजार से ज्यादा मरीज पीजीआइ आए

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अगर आकंड़ों पर नजर डालें तो साफ है कि साल 2017 में 95100 मरीज पीजीआइ के साइकियाट्री विभाग में इलाज के लिए आए। हर माह औसतन 7933 मरीज इलाज के लिए आए। जनवरी महीने में सबसे कम मरीज आए तो सबसे ज्यादा मरीज मई माह में आए और आकड़ा 9 हजार से भी उपर चला गया।

इस साल करीब 433 मरीज हर माह बढ़े

इस साल के आकड़ों से पता चलता है कि साल 2017 की तुलना में पीजीआइ आने वाले मरीजों की संख्या में मासिक रूप से चार सौ ज्यादा मरीजों का इजाफा हुआ। साल 2018 में पहले छह महीने में 50209 मरीज आए। पिछले साल के पहले छह महीने के आकड़ों से तुलना करें तो साफ है कि हर माह 433 मरीज ज्यादा आए हैें। आकड़े वास्तव में चिंता जनक हैं। पहले जहा हर माह औसतन 7933 मरीज इलाज के लिए आ रहे थे, अब उनकी आकड़ा बढकर 8368 हो गया है। खुद का ख्याल नहीं रखा तो कोई नहीं रखेगा

एक्सप‌र्ट्स की मानें तो किसी भी इंसान के लिए सबसे जरुरी है कि वो खुद को प्राथमिकता देना शुरू करे। अपने लिए समय निकाले। काम और व्यक्तिगत जिंदगी के बीच संतुलन बनाए। ऐसा नहीं हुआ तो चीजें खराब होना शुरू हो जाएंगी। इसके अलावा डाइट का ध्यान विशेष रूप से रखें। इन सब पहलुओं पर नियमित रुप से ध्यान दें।

साल 2017 और जून 2018 तक इलाज के लिए आए मरीज

2017 मरीज 2018 मरीज

जनवरी 6781 जनवरी 7542

फरवरी 7313 फरवरी 7906

मार्च 8743 मार्च 8775

अप्रैल 7829 अप्रैल 8393

मई 9108 मई 9154

जून 7886 जून 9439

जुलाई 8228

अगस्त 8133

सितंबर 8302

अक्टूबर 7394

नवंबर 7849

दिसंबर 7539 इन बातों का ध्यान जरूर रखें

-रोज कम से कम 30 मिनट दोस्तों और फैमिली के साथ समय जरुर बिताएं

-मेडिटेशन व योगा को रूटिन में शामिल करें

-तनाव ज्यादा है तो अपने करीबियों से शेयर करें

-शराब, स्मोकिंग व किसी भी तरह के नशे से बचें

-हेल्दी डाइट लें

-हर रोज कम से कम 30 से 45 मिनट एक्सरसाइज भी करें

पहले का सामाजिक ताना बाना मजबूत था, इंसान परिवार से हर बात शेयर करता था , अब ऐसा नहीं है। दोस्तों, परिजनों के लिए समय निकालें। एक्सरसाइज, योगा व मेडिटेशन को हर रोज अपनाएं। सयुंक्त परिवार एक स्पोर्ट सिस्टम की तरह होता है।

प्रो डी बासु, साइकियाट्री विभाग, पीजीआइ


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