हर साल मेयर चुनाव होने से भाजपा में बढ़ रही गुटबाजी
चुनाव के लिए उम्मीदवार तय करना भाजपा के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है।
राजेश ढल्ल, चंडीगढ़ : हर साल होने वाले मेयर चुनाव के लिए उम्मीदवार तय करना भाजपा के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है। क्योंकि हर बार पार्टी को किसी एक का नाम तय होने से दूसरे की नाराजगी मोल लेनी पड़ती है। ऐसे में गुटबाजी हर साल ज्यादा बढ़ जाती है। पार्टी चाहती है कि मेयर का कार्यकाल बढ़ना चाहिए। संगठन मंत्री दिनेश कुमार खुद भी चाहते हैं कि मेयर का कार्यकाल कम से कम ढाई साल जरूर हो। संगठन मंत्री दिनेश कुमार पिछली सरकार में तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मिलकर भी यह मांग कर चुके हैं। अब मेयर चुनाव के बाद एक बार फिर से वह यह मांग हाईकमान के समक्ष जोरों से उठाने जा रहे हैं। या फिर सीधे जनता द्वारा प्रत्यक्ष तौर पर मेयर को मतदान द्वारा चुना जाए। किसी एक गुट का उम्मीदवार बनने से मेयर चुनाव में क्रॉस वोटिग की भी संभावना बढ़ जाती है। पिछले साल और इस साल पार्टी को बगावत भी झेलनी पड़ी जिससे पार्षदों और नेताओं के आपस में रिश्ते भी कमजोर हुए। चंडीगढ़ भाजपा की इसी गुटबाजी से पार्टी प्रभारी प्रभात झा भी नाराज हैं। जब मोदगिल के खिलाफ जसवाल ने भर दिया था नामांकन
पिछले साल जब पार्टी ने देवेश मोदगिल को उम्मीदवार बनाया तो टंडन गुट से आशा जसवाल ने बगावत करते हुए निर्दलीय नामांकन भर दिया। हालांकि बाद में राष्ट्रीय संगठन मंत्री के हस्तक्षेप के बाद आशा जसवाल ने नामांकन वापस ले लिया लेकिन देवेश मोदगिल से टंडन गुट ने लिखित में माफी तक मंगवाई। इस साल जब पार्टी ने राजेश कालिया को मेयर का उम्मीदवार बनाया तो कैंथ ने बगावत करते हुए चुनाव लड़ लिया। जिस कारण भाजपा के अपने पार्षदों ने क्रॉस वोटिग की जिससे पार्टी की शहर में किरकिरी भी हुई। पार्षदों के साथ कोर ग्रुप के सदस्यों से भी ली जाएगी राय
मेयर का उम्मीदवार तय करने के लिए पार्षदों के साथ-साथ भाजपा के कोर ग्रुप के सदस्यों से भी राय ली जाएगी। ऐसे में जिसका नाम सबसे ज्यादा सदस्य लेंगे, उसका नाम हाईकमान से चर्चा करके घोषित कर दिया जाएगा। छह जनवरी को नामांकन दाखिल करने की तारीख है जबकि नामांकन वापस दस जनवरी को मतदान से पांच मिनट पहले तक भी लिया जा सकता है। पार्टी प्रभारी प्रभात झा पांच जनवरी से पहले चंडीगढ़ में आएंगे। नगर निगम में भाजपा के 26 में से 20 पार्षद हैं। जबकि सांसद का भी वोट होता है। मालूम हो कि दस जनवरी को होने वाले मेयर चुनाव के लिए पूर्व मेयर राजबाला मलिक, हीरा नेगी और सुनीता धवन तीन प्रबल दावेदार हैं। मेयर का कार्यकाल एक साल काफी कम है। दावेदार ज्यादा होते हैं लेकिन बनना तो किसी एक ने ही है। ऐसे में मेयर का कार्यकाल कम से कम ढाई साल का जरूर होना चाहिए या फिर भी मेयर का चुनाव सीधा जनता द्वारा ही होना चाहिए। हाईकमान को इस मांग से अवगत करवाया गया है। अब फिर से यह मांग फिर से मजबूती से उठाई जाएगी। ऐसे में हर साल मेयर का उम्मीदवार तय करने की प्रक्रिया से भी छुटकारा मिल जाएगा और कार्यकाल बढ़ने से मेयर ज्यादा बढि़या तरीके से काम कर पाएगा।
-दिनेश कुमार, संगठन मंत्री, भाजपा