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पंजाब में किसानों के रेल ट्रैक जाम का असर, खेतों में बिजाई में समस्‍या तो मंडियों में ढुलाई पर संकट

पंजाब में किसानों का आंदोलन जारी रहने और रेल ट्रैक जाम करने से मालगाडि़यों का परिचालन भी बंद है। इसका असर पड़ रहा है। खाद व बीज की सप्‍लाई बंद होने से खेताें में बिजाई का संकट है तो मंडियों में ढुलाई का संकट पैदा हो गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 10:38 AM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 10:38 AM (IST)
पंजाब में किसानों के रेल ट्रैक जाम का असर, खेतों में बिजाई में समस्‍या तो मंडियों में ढुलाई पर संकट
पंजाब में किसान आंदोलन के कारण मालगाडि़यों का परिचालन भी बंद है।

चंडीगढ़़, [इन्‍द्रप्रीत सिंह]। केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदेश में रेल ट्रैक जाम कर बैठे किसानों के कारण जहां लुधियाना, जालंधर से निर्यात होने वाला औद्योगिक सामान रुका हुआ है वहीं, अब इसका असर खुद किसानों पर भी दिखने लगा है। इस सबके बीच वीरवार को प्राइवेट थर्मल प्लांटों को कोयला मुहैया न करवाने की जिद पर अड़े किसानों ने मंत्रियों की अपील को भी खारिज कर दिया है। भाकियू उगराहां ने कहा कि वह सरकारी थर्मल प्लांटों को कोयला मुहैया करवाने के लिए रेलवे ट्रैक छोडऩे को तैयार हैं लेकिन प्राइवेट के लिए ऐसा नहीं होगा।

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डीएपी, यूरिया और बारदाना रास्ते में अटके, इस महीने चाहिए थी 2.50 लाख टन डीएपी, पहुंची मात्र 50 हजार

कृषि विभाग के कमिश्नर डा. बलविंदर सिंह सिद्धू ने किसानों से अपील की है कि आने वाले तीन हफ्तों के लिए वे ट्रैक खाली कर दें। उन्होंने कहा कि पंजाब में गेहूं की बिजाई शुरू हो गई है। अगले पंद्रह दिनों में यह पीक पर होगी। वहीं, बिजाई के लिए जरूरी डाया अमोनियम फास्फेट (डीएपी) और यूरिया के रैक पंजाब से बाहर खड़े हैं। अगर डीएपी और यूरिया नहीं मिला तो गेहूं की बिजाई पिछड़ गई तो इसका असर उनकी पैदावार पर भी होगा।

ये हैं मौजूदा हालात

काबिले गौर है कि बहुत से इलाकों में गेहूं की बिजाई शुरू हो गई है जिसके लिए तुरंत प्रभाव से डीएपी की जरूरत है। इस महीने में लगभग 2.5 लाख टन डीएपी की जरूरत होती है लेकिन इस समय मुश्किल से 50 हजार टन ही पहुंच पाई है। 15 हजार टन डीएपी मालगाडिय़ों के रुक जाने के चलते रास्ते में रुकी हुई है। इसी तरह यूरिया भी चार लाख टन चाहिए लेकिन फिलहाल 60 हजार टन ही पहुंच पाया है और 36 हजार टन रास्ते में रुका हुआ है।

बारदाना नहीं मिलने से मंडियों में लगने लगे अंबार

चूंकि इन दिनों मंडियों में धान की खरीद भी चल रही है इसलिए बारदाने की आवश्यकता है। खाद्य एंड आपूर्ति विभाग के सूत्रों से पता चला है कि 60 हजार गांठों से लदे 1152 कंटेनर कोलकाता से चले थे लेकिन मालगाडिय़ों के बंद होने से ये भी राजपुरा और दिल्ली के बीच खड़े हैं। ऐसे में बारदाने की कमी के चलते कई जगह मंडियों में ढुलाई का काम रुकने से वहां धान के अंबार लगने लगे हैं।

कोयले की कमी, बिजली के लिए अन्य स्रोतो का सहारा

थर्मल प्लांटों में कोयला खत्म होने के कारण तीनों प्राइवेट थर्मल प्लांट बंद हो गए हैं और पंजाब अब पूरी तरह से बिजली के अन्य स्रोतों पर निर्भर है। पंजाब को भाखड़ा, रंजीत सागर बांध, पौंग , गंगूवाल और आनंदपुर हाइडल से बिजली मिल रही है। इसके अलावा नेशनल हाइड्रो और नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन से भी हिस्सेदारी के रूप में बिजली मिल रही है।

पावरकॉम के सूत्रों ने बताया कि सरकारी थर्मल प्लांटों के पास पांच दिन का कोयला पड़ा हुआ है। चूंकि अभी हमारी मांग नेशनल ग्रिड से पूरी हो रही है इसलिए इस कोयले का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। यह कोयला नेशनल ग्रिड फेल होने की आशंका के चलते रखा गया है ताकि प्रदेश को ब्लैक आउट की स्थिति से बचाया जा सके।

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