कैफी से सीखा काफी कुछ
उनकी कविताएं गहनता लिए थी। उनका अनुवाद करने लगा तो शब्दों के सागर में डूब गया।
शंकर सिंह, चंडीगढ़ : कैफी आजमी। उनकी कविताएं गहनता लिए थी। उनका अनुवाद करने लगा तो शब्दों के सागर में डूब गया। जब लिखने वाला महान हो तो उसे दूसरी भाषा में लाना और मुश्किल होता है। ये मुश्किलात मुझे भी आई। फिर भी दो वर्ष की मुश्किलात के बाद ये आखिरकार मुमकिन हो पाया। यूं लगा कि जैसे कैफी की कविताओं का अनुवाद करते हुए काफी कुछ सीख गया हूं। कवि सुदीप सेन कुछ इन्हीं शब्दों में कैफी आजमी की कविताओं के अनुवाद के अपने अनुभव को साझा करते हैं। शुक्रवार को वह लेक क्लब में पहुंचे।
स्पेनिश भाषा और नए शब्द बुने तो बन पाई कविता
सुदीप बोले कि कैफी की कविताओं में कई शब्द ऐसे रहे जिसे अंग्रेजी में अनुवाद करना अपने में संघर्ष रहा। मसलन झिलमिलाते जैसे शब्द के लिए काफी सोचना पड़ना। शब्द लंबा है जिसके लिए अंग्रेजी में इतने साउंड का कोई शब्द नहीं। वो दिखने में और सुनने में इतना ही बड़ा लगना चाहिए। मैं अनुवाद के लिए बीट्स को सुनता हूं। झिलमिलाते के लिए मैंने ग्लिटर, ग्लो जैसे शब्द चुने। मगर इसे कैसे लिखूं? पहले ग्लो एंड ग्लिटर लिखा। फिर एंड ज्याद लगा तो एंड हटाया तो गोल्ड ग्लिटर शब्द बना नहीं। फिर गोल्ड-ग्लिटर लिखा तो बात बनी। ऐसे ही कविता प्यार का जश्न में वाह शब्द का बहुत बार प्रयोग होता है। इसके लिए मैंने काफी सोचा। आखिरकार दिमाग स्पेनिश भाषा के शब्द ब्रेवो में आकर टिका। ये शब्द लोगों को कविता में बहुत पसंद आया। मैं भारतीय अंग्रेजी भाषा में लिखता हूं
सुदीप ने कहा कि उन्हें लेखन के लिए कई बार ट्रोल किया जाता है। हालांकि ट्रोलर्स को नासमझ बच्चा मानते हैं। बोले कि मैं अंग्रेजी भाषा में लिखता हूं जो भारतीय अंग्रेजी है। जो हम जानते हैं और अकसर बोलते हैं। हां, क्राफ्ट पर मैं ज्यादा काम करता हूं। करीब 25 ड्राफ्ट मैं एक कविता के लिखता हूं। इसमें भी कई बार लिखे हुए से सहमति नहीं बनती को अपने कुछ दोस्तों को याद करता हूं। जो मुझसे ज्यादा उम्र के हैं। वो मुझे इस बारे में ज्यादा मदद करते हैं। इन दिनों जीवन की हर घटना से विषय निकालता हूं। मेरी पहली दो किताबें एक सीमित विषय पर रही मगर इसके बाद मैंने विभिन्न विषयों को चुना। जिसमें क्राफ्ट को अहमियत तो देता ही हूं, साथ ही अपनी रूह को भी।