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हर किरदार में ढूंढ़ता हूं कहानी

कई लोग पूछते हैं कि क्राइम से जुड़े सीरियल की एंकरिग क्यों करते हो।

By JagranEdited By: Published: Thu, 12 Dec 2019 08:30 PM (IST)Updated: Thu, 12 Dec 2019 08:30 PM (IST)
हर किरदार में ढूंढ़ता हूं कहानी
हर किरदार में ढूंढ़ता हूं कहानी

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : कई लोग पूछते हैं कि क्राइम से जुड़े सीरियल की एंकरिग क्यों करते हो। मैं उनसे क्या कहूं। मेरा कार्य अभिनय है तो यही करूंगा। आप इंडस्ट्री का हिस्सा हैं, आपको कुछ भी मिले, आपको करना होता है। इसमें भेदभाव कैसा। आप उस कार्य को कितना आगे तक लेकर जा सकते हैं, ये आपके हाथ में होना चाहिए। मैं हर किरदार में एक कहानी ढूंढ़ता हूं और फिर उसे बड़ा बनाता हूं। एक्टर सुशांत सिंह कुछ इस अंदाज में अपने अभिनय करियर पर बात करते हैं। शुक्रवार को वह होटल ताज-17 में एक कार्य से पहुंचे। उन्होंने इस दौरान बातचीत की। बोले कि अब अभिनय की दुनिया काफी बदल गई है। इन दिनों जो भी मिले, उसे शिद्दत से करता हूं। हां, शर्त ये रहती है कि किरदार में दम हो। किरदार आप किसी भी रूप में बना सकते हो। जरूरी नहीं कि आपको एक फिल्म ही मिले। चाहे जो भी प्लेटफॉर्म हो, आपको अपने को साबित करना जरूरी है। किताब लिखने का भी शौक जागा

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सुशांत ने कहा कि उन्होंने हाल ही में एक किताब लिखी। जिसे उन्होंने को ऑथर के रूप में लिखा। बोले कि क्राइम सीरियल के लिए एंकरिग करते-करते कुछ सुझाव देने के लिए मेरा भी मन हुआ। ऐसे में मैंने किताब लिखने का मन बनाया। उम्मीद करता हूं कि लोग खुद को सुरक्षित रखेंगे। इन दिनों आप देखेंगे कि क्राइम कितना बढ़ा है। गांव के शहर बनने से काफी बदलाव हुए हैं। हालांकि मुझे आज भी गांव का जीवन ही पसंद आता है जब मौका मिलता है तो शहर के आसपास बसे गांव निकल जाता हूं। ये सुकून देता है, ऐसे लगता है कि आप पुराने वक्त में लौट आए हैं। सुखदेव का किरदार जीकर खुशी हुई

अपने अभिनय करियर पर बात करते हुए सुशांत ने कहा कि अभिनय करते हुए कभी कभार आपके पास ऐसे किरदार आते हैं जो जीवन से बड़े होते हैं। मैं शहीद भगत सिंह के साथ शहीद होने वाले सुखदेव की बात कर रहा हूं। जिनका किरदार निभाने का मौका मुझे फिल्म द लैजेंड ऑफ भगत सिंह में मिला। मैं उस किरदार को जीने में इतना खुश हुआ कि मुझे लगा मेरा अभिनय करना सफल हो गया है। हालांकि, उस तरह का किरदार मुझे फिर कभी नहीं मिला। मगर जब भी इस फिल्म को देखता हूं, तो ये कहने में फख्र महसूस होता है कि मैंने ये किरदार निभाया है। मैं अपने बच्चों को भी ये फिल्म दिखाता हूं ताकि वो भी देश से जुड़ें। मेरे अनुसार एक मां-बाप के रूप में हमे अपने बच्चों को देश से जोड़ना जरूरी है ताकि वो भविष्य में इसके लिए कार्य कर सकें।


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