एक्टर राकेश बेदी बोले, जहां मैं हूं वहां कॉमेडी तो होगी ही..
मैं जहां हूं, वहां कॉमेडी तो होगी ही। एक्टर राकेश बेदी ने कुछ इन्हीं शब्दों में अपने नाटक जब वी सेपरेटेड पर बात की। शनिवार को नाटक का मंचन टैगोर थिएटर-18 में हुआ।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : कॉमेडी एक ऐसा जोनर है, जो मुझमें समा गया है। विषय चाहे जितना गंभीर हो, मैं उसमें ह्यूमर न ढूंढ़ लूं। ऐसे में नाटक 'जब वी सेपरेटेड' को लिख रहा था तो उसमें भी मैंने ह्यूमर को डाला। हालांकि शुरुआत में जब इसे लिखा तो ये गंभीर था। मगर धीरे-धीरे इसमें ह्यूमर का ऐसा इनपुट डाला कि इसमें भी कॉमेडी ही निकली। वैसे ये भी सच है कि मैं जहां हूं, वहां कॉमेडी तो होगी ही। एक्टर राकेश बेदी ने कुछ इन्हीं शब्दों में अपने नाटक 'जब वी सेपरेटेड' पर बात की। शनिवार को नाटक का मंचन टैगोर थिएटर-18 में हुआ।
राकेश ने नाटक से पहले इस पर चर्चा की। बोले कि ये नाटक मेरे पास पांच साल पहले से पड़ा था। मगर कुछ वर्ष पहले ही इसे दोबारा शुरू किया। दरअसल, ये नाटक आज के समय में रिश्तों पर बात करता है। जिसमें कई परते हैं। संयुक्त से एकल परिवार होने पर भी रिश्ते टूट रहे हैं। अब तो दहेज जैसी प्रथा भी नहीं, मगर फिर भी रिश्ते टूट रहे हैं। ऐसे में मैंने इस नाटक को करना उपयुक्त समझा।
टीवी, फिल्म और रंगमंच तीनों में ही कामयाब हूं
पिछले कुछ वर्षों से आपके नाटक निरंतर शहर में मंचित हो रहे हैं? इस सवाल पर राकेश ने कहा हां, दरअसल मैं घमंड नहीं करता। मगर सच यही है कि मैं शायद ऐसा एकमात्र कलाकार हूं, जो टीवी, फिल्म और रंगमंच तीनों में ही कामयाबी से काम कर रहा हूं। ऐसा कोई महीना नहीं है, जब मैं स्टेज पर प्रस्तुति नहीं देता। हाल ही में उरी फिल्म भी की। ऐसे में टीवी और फिल्म दोनों में ही बैलेंस बनाए रखता हूं। लोग कहते हैं कि नाटक की विधा पुरानी हो चुकी है। मगर सच कहूं, तो ये आज भी जीवित है और लोग इसे पसंद करते हैं। मैं नाटक को पूरी तरह जीवंत बनाने की कोशिश करता हूं। इसमें सबसे ज्यादा काम भी ह्यूमर आता है।
नाटक देखने के बाद जब एक बच्ची रोते हुए आई...
राकेश ने नाटक से जुड़े अपने अनुभव पर बताया कि गुरुग्राम में हाल ही में इसका शो किया। शो के बाद एक लड़की मुझसे मिलने पहुंची। उन्होंने कहा कि मैं उनके पिता के साथ काम करता था। मुझे याद नहीं आई। मगर फिर उसने कहा कि ये नाटक तो मेरी जिदंगी है। मेरी खुद की एक बेटी है और मेरा पति से रिश्ता टूटने को है। ऐसे में आपका नाटक देखा तो खुद रोने लगी। मुझे उसके आंसू देखकर थोड़ी देर बुरा तो लगा। मगर फिर उसने कहा कि नाटक में जो ह्यूमर था, उसने मुझे दोबारा खुश रहने का मौका भी दिया।
श्वेता ही इस नाटक के लिए बेस्ट च्वाइस
राकेश ने कहा कि नाटक में जिस हालात से लीड एक्ट्रेस गुजर रही है, वैसे ही हालात श्वेता तिवारी की जिदंगी में भी आए। उनकी भी एक बेटी है। ऐसे में नाटक का मुख्य किरदार उनके लिए फिट बैठ रहा था। जब उनके पास इस स्क्रिप्ट को सुनाने के लिए गया, तो वो रोने लगी। मुझे भी कई बार लगता है कि नाटक ज्यादा भारी न हो जाए, इसलिए उसमें खुद को भी जोड़ लेता हूं, ताकि लोग थोड़ा हंस सके।