किडनी पाने की चाह में लगी है लंबी कतार, वेटिंग लिस्ट में ही दम तोड़ रहे सैकड़ों मरीज Chandigarh News
विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों के खानपान और रहन-सहन की गलत आदतों के कारण यह समस्या विकराल रूप ले रही है।
चंडीगढ़ [वीणा तिवारी]। किडनी फेल्योर के मरीजों की संख्या दिनोंदिन तेज रफ्तार से बढ़ रही है। जबकि डोनर चंद गिने-चुने ही हैं। ऐसी स्थिति में वेटिंग लिस्ट में ही सैकड़ों मरीज दम तोड़ दे रहे हैं। पीजीआइ ऑर्गन ट्रांसप्लांट यूनिट की अगर वेटिंग लिस्ट पर गौर किया जाए तो हर साल संख्या दोगुनी रफ्तार से बढ़ रही है। वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों के खानपान और रहन-सहन की गलत आदतों के कारण यह समस्या विकराल रूप ले रही है। अगर नियमित व्यायाम और संतुलित आहार के नियम का पालन किया जाए तो किडनी को मजबूती मिलेगी और किडनी फेल्योर व ट्रांसप्लांट जैसी नौबत कभी नहीं आएगी।
मरीज बढ़ रहे और डोनर हो रहे कम
किडनी फेल्योर के मरीजों की बढ़ती संख्या की तुलना में डोनरों का आंकड़ा बहुत कम है। ऐसी स्थिति में हर साल किडनी फेल्योर के मरीज तो बढ़ रहे हैं लेकिन पीजीआइ के ट्रांसप्लांट यूनिट में किडनी ट्रांसप्लांट की संख्या साल दर साल घटती जा रही है। अगर 2015 से 2019 में जून तक के आंकड़े पर गौर किया जाए तो 2015 में किडनी ट्रांसप्लांट की जो संख्या 251 पर थी, वह 2018 में 217 और 2019 जून तक 115 पर सिमट गई है।
पांच सालों में इतनों को मिली किडनी
साल किडनी ट्रांसप्लांट
2015 251
2016 227
2017 231
2018 217
2019 जून तक 115
अब भी 1749 हैं कतार में
पीजीआइ के ऑर्गन ट्रांसप्लांट यूनिट में अब भी किडनी पाने वालों की वेटिंग लिस्ट सबसे ज्यादा है। 2016 से 2019 में अब तक कुल 1749 केस रजिस्टर्ड किए गए हैं। इन मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट के लिए पंजीकृत किया गया है। लेकिन इनकी संख्या में डोनरों का आंकड़ा बहुत कम है। हर साल लगभग तीन से चार सौ नए मरीज यहां रजिस्टर्ड किए जा रहे हैं। 2018 का आंकड़ा अब तक का सबसे ज्यादा रहा। उस एक साल के दौरान किडनी ट्रांसप्लांट के लिए 630 मरीजों को रजिस्टर्ड किया गया। जबकि उस साल महज 217 लोगों की ही किडनी ट्रांसप्लांट हो पाई थी।
साल नए पंजीकृत मामले
2016 350
2017 450
2018 630
2019 अब तक 319
इंतजार में कइयों की थम जाती है सांसें
किडनी फेल्योर के ऐसे सैकड़ों मरीज हैं जिनको किडनी ट्रांसप्लांट के लिए महीनों और सालों इंतजार करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में डायलिसिस के दौरान उनमें से ज्यादातर मरीजों की मौत हो जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि जागरूकता के अभाव में ऑर्गन डोनेशन की सीमित संख्या भी इसका एक प्रमुख कारण है। इसलिए सरकार को इस पर फोकस होकर काम करना होगा।
पीजीआइ में ऑर्गन के लिए इतने कर रहे इंतजार
ऑर्गन वेटिंग लिस्ट
किडनी- 1749
लिवर- 43
पैनक्रियाज- 15
हार्ट- 1
कॉर्निया-2545
किडनी फेल्योर के लक्षण
लगातार उल्टी आना, भूख न लगना, थकावट और कमजोरी महसूस होना, नींद न आना, पेशाब की मात्रा कम हो जाना, मानसिक स्थिति ठीक न होना, चीजों को समझने में मुश्किल होना, मांसपेशियों मे खिंचाव, पैरों और टखने में सूजन आना।
ये आदतें किडनी कर रही खराब
पेशाब को देर तक रोके रहना, पानी कम मात्रा में पीना, बहुत ज्यादा नमक खाना, हाई ब्लड प्रेशर के इलाज में लापरवाही बरतना, शुगर के इलाज मे लापरवाही करना, अधिक मात्रा में नॉनवेज खाना, दर्द की दवाइयां ज्यादा लेना, ज्यादा शराब पीना, अधिक मात्रा में साफ्ट ड्रिंक्स और सोडा पीने से भी किडनी खराब होने का खतरा रहता है।
रहन-सहन और खान-पान में की जा रही लापरवाही के कारण किडनी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ज्यादा शराब पीना भी इसका एक मुख्य कारण है। इससे बचाव के लिए रूटीन एक्सरसाइज के साथ ही बैलेंस डाइट लेना जरूरी है। -डॉ. केएल गुप्ता, एक्स एचओडी, पीजीआइ नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट
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