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पाक आर्मी चीफ को झप्‍पी देना सिद्धू पर पड़ा भारी, अब दे रहे सफाई, कैप्‍टन भी हुए गरम

पाकिस्‍तान में इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में वहां के आर्मी चीफ को झप्‍पी देना नवजोत सिंह सिद्धू के लिए मुसीबत बन गया है। पंजाब के सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह भी इससे नाराज हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 19 Aug 2018 05:43 PM (IST)Updated: Mon, 20 Aug 2018 08:58 PM (IST)
पाक आर्मी चीफ को झप्‍पी देना सिद्धू पर पड़ा भारी, अब दे रहे सफाई, कैप्‍टन भी हुए गरम
पाक आर्मी चीफ को झप्‍पी देना सिद्धू पर पड़ा भारी, अब दे रहे सफाई, कैप्‍टन भी हुए गरम

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के पाकिस्‍तान में इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हाेने पर विवाद और गर्मा गया है। वहां पाकिस्‍तान के सेना प्रमुख से गले मिलना सिद्धू के लिए गले की हड्डी बनता दिख रहा है। पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने भी सिद्धू के इस काम को बहुत गलत बताया है और उनकी आलोचना की है। अमरिंदर ने कहा कि सिद्धू को ऐसा कतई नहीं करना चाहिए था। विरोधियों के संग पाकिस्‍तानी सेना की बर्बरता के शिकार हुए शहीद सैनिकों के परिजनों ने भी इसके लिए सिद्धू पर निशाना साधा है। पूरे मामले पर पंजाब में राजनीति गर्मा गई है। दूसरी ओर, पाकिस्‍तान से लौटने के बाद सिद्धू ने पूरे मामले पर सफाई दी है। सिद्धू का कहना है कि पाक आर्मी चीफ ने शांति की बात की तो मैंने उनको झप्‍पी दी।

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वहां से लौटने के बाद सिद्धू ने अटारी बॉर्डर पर खुद को 'शांतिदूत' के रूप में पेश करने की कोशिश की। लेकिन, पंजाब में इस पूरे मामले पर माहौल व राजनीति और गर्मा गई है। विरोधी उनके इमरान खान के समारोह में गुलाम कश्‍मीर के राष्‍ट्रपति के साथ बैठने और पाक सेना के प्रमुख कमर जावेद बाजवा से गले मिलने पर तीखे वार कर रहे हैं।

पाकिस्‍तान जाने को लेकर अब तक सिद्धू का समर्थन करने वाले पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने भी उनके पाकिस्‍तान के आर्मी चीफ बाजवा के गले मिलने पर गहरी नाराजगी जताई। कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में सिद्धू उनके मित्र होने के नाते गए थे और इसमें कोई गलत नहीं है। लेकिन, वहां पाकिस्‍तान के आर्मी चीफ से गले मिलना किसी भी तरीके से सही नहीं है।

कैप्‍टन ने कहा, ' सिद्धू का वहां के प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण जाने का सवाल है तो वह इनके (सिद्धू) मित्र हैं और इसमें मैं गलत नहीं मानता। वह वहां गए तो गए। जहां तक गुलाम कश्मीर के कथिेत राष्‍ट्रपति के साथ बैठने का सवाल है तो हो सकता है वह (सिद्धू) नहीं पहचानते होंगे। लेकिन मैं जो बात गलत समझता हूं वह है वहां के आर्मी चीफ जनरल बाजवा को झप्‍पी देना। हमारे जवान रोज शहीद होते हैं और मैं जिस रेजीमेंट क एक मेजर व दो जवान पाकिस्‍तानी सेना की गोलीबारी में शहीद हुए थे। इसका आदेश को कौन देता है, वहां का आर्मी चीफ। ऐसे में इस व्‍यक्ति (सिद्धू) काे समझना चाहिए कि पाक आर्मी चीफ के प्रति इस तरह का लगाव नहीं दिखाया जा सकता। गुलाम कश्‍मीर के राष्‍ट्रपति को नहीं पहचान सके होंगे, लेकिन बाजवा के बैच पर तो उनका नाम लिखा होगा।' पत्रकारों द्वारा यह पूछे जाने पर विपक्ष ने सिद्धू काे कैबिनेट से हटाने की मांग की है तो कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि इसका तो कोई सवाल नहीं उठता है, लेकिन सिद्धू ने जो किया वह गलत था।

दूसरी ओर, पाकिस्‍तानी सैनिकों की बबर्रता के शिकार हुए सैनिक शहीद परमजीत सिंह के परिवार ने भी सिद्धू से तीखे सवाल पूछे हैं। शहीद परमजीत के परिजनों ने कहा है सिद्धू पाकिस्‍तानी सेना के प्रधान बाजवा से पाक सैनिकों द्वारा शहीद जवानों के काटे गए सिर ही मांग लाएं। अगर सिर नहीं ला सकते ताे वीर जवानों की पगड़ी ही ले आएं।

सिद्धू के पाक दौरे पर कांग्रेस व भाजपा में जंग, गुरु खुद को बता रहे 'शांतिदूत'

दूसरी ओर, भाजपा ने राष्‍ट्रीय शोक के समय इस तरह पाकिस्‍तान जाने के लिए सिद्धू पर हमला किया है। पार्टी ने उनके पाकिस्‍तानी सेना के प्रधान से गले मिलने के लिए सवाल उठाया है। भाजपा ने इसे शहीद सैनिकों का अपमान करार दिया है। दूसरी ओर, कांग्रेस ने सिद्धू का खुलकर समर्थन किया है और उनके इमरान के शपथ ग्रहण समारोह में जाने को बहुत अच्‍छा कदम बताया है। पाक जेल में मारे गए सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर ने भी सिद्धू पर निशाना साधा है। सिद्धू आज दोपहर बाद पाकिस्‍तान से लौटेंगे। वह अटारी बॉर्डर होकर आएंगे।

इमरान खान के शपथ ग्रहण समरोह में पाक सेना प्रमुख से गले मिलने पर उठे गंभीर सवाल

पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा से गले मिलने पर तरनतारन के शहीद परमजीत सिंह का परिवार  सिद्धू से काफी खफा है। शहीद की पत्नी परमजीत कौर ने इसे शहीदों का अपमान बताते हुए कहा- सिद्धू साब, जफ्फी पाउण तों पहलां शहीद दे सिर दा वी पूछ लैंदे.. (सिद्धू साहब, जफ्फी डालने से पहले शहीद के सिर के बारे में पूछ लेते)। बता दें कि पहली मई 2017 को जम्मू-कश्मीर की कृष्णा घाटी में सिख रेजीमेंट में नायब सूबेदार परमजीत पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम (बैट) की गोलाबारी में शहीद हो गए थे। बैट जवान बाउनका सिर काट ले गए थे।

शहीद परमजीत के भाई रणजीत सिंह ने कहा कि भी सिद्धू पर कड़ा हमला किया। उन्‍होंने कहा कि परमजीत की शहादत के बाद सिद्धू दिलासा देने घर आए थे तो पाकिस्‍तान को दुश्‍मन देश बताया था और उसके टुकड़े-टुकड़े करने की बात की थी। अब उसी सिद्धू का पाकिस्‍तान दोस्‍त हो गया है। रणजीत ने कहा, पाक आर्मी चीफ से गले मिलते वक्‍त सिद्धू कम से कम उनसे यह पूछ लेेते कि हमारे सैनिकों के कटे सिर कहां हैं। सिद्धू साहब वे कटे सिर ले आते तो बड़ा एहसान होता। सिर नहीं ला सकते तो उनकी पगड़ी की ले आते।

तरनतारन के गांव वेईपुई में शहीद परमजीत सिंह का परिवार शनिवार को टीवी देख रहा था। इसी दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे सिद्धू द्वारा वहां के आर्मी चीफ से जफ्फी पाने का पता चला। परमजीत कौर ने कहा कि शहादत के बाद उनके पति का बिना सिर वाला शव जब अंतिम संस्कार के लिए लाया गया था तो फौज के अधिकारियों ने बदला लेने का वादा किया था।

 दूसरी अोर, नवजोत सिंह सिद्धू  दोपहर बाद अटारी बॉर्डर से भारत पहुंच गए। अटारी बार्डर पर पहुंचने पर कई संगठनों ने उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की और कहा कि सिद्धू ने पाकिस्तानी सेना चीफ को गले लगाकर शहीदों का अपमान किया। वहीं, सिद्धू ने इस मामले पर सफाई दी।

सिद्धू ने कहा, ''मैं वहां नफरत की आग ठंडी करने गया था। उनका यह पाकिस्तान दौरा बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा।'' पाकिस्तान के सेना प्रमुख को जफ्फी डालने के मुद्दे पर सिद्धू ने कहा जब पाक सेना प्रमुख ने गुरु नानकदेव जी के 550 में गुरु पर्व के मौके पर करतारपुर कॉरिडोर खोलने की बात कही तो जफ्फी दे दी।

अटारी बार्डर पर पत्रकारों से बातचीत करते सिद्धू।

गुलाम कश्मीर के राष्ट्रपति मसूद खान के बगल पर बैठने के मुद्दे पर सिद्धू ने कहा कि वह वहां एक अतिथि के रूप में गए थे। वह कहीं और बैठे हुए थे, लेकिन उन्हें बाद में उनके बगल में बैठा दिया गया। जब भी अतिथि कहीं जाता है तो यह मेजबान पर तय होता है कि उसे कहां बैठाना है।

अटारी बार्डर पर सिद्धू का विरोध करते लोग।

दूसरी ओर, पंजाब भाजपा ने सिद्धू के पाकिस्तान में इमरान खान के शपथ समारोह में वहां के सेना प्रमुख के साथ गले मिलने को लेकर उन पर तीखा हमला किया है। भाजपा नेताओं ने कहा कि सिद्धू गुलाम कश्‍मीर (पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर के हिस्‍से) के राष्ट्रपति के साथ भी बैठे। एेसा कर उन्‍हाेंने भारत की फजीहत कराई है। पार्टी ने इस पर सख्त एतराज जताते हुए कांग्रेस से इसका जवाब मांगा है।

भाजपा के पूर्व प्रधान कमल शर्मा ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू केवल मीडिया में बने रहना चाहते हैं और इस मामले में वह यह भी नहीं देखते कि जिससे गले मिलकर वे मीडिया की सुर्खियां बटोर रहे हैं वह कौन है और उसका भारत के प्रति नजरिया क्या है? कमल शर्मा ने कहा कि सिद्धू के पाकिस्तान के सेना  प्रमुख से गले मिलने और उनके साथ हंसी मजाक करने को सही नहीं है।

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सिद्धू ने देशवासियों व सैनिकों का अपमान : तरुण चुग

भाजपा के राष्‍ट्रीय सचिव तरूण चुग ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू का पाकिस्‍तान सेना के प्रमुख गले मिलना 125 करोड़ देशवासियों और सैनिकों व उनके परिवारों का अपमान है। यह शहीद हो रहे सैनिकों के जख्मों पर नमक छिडकने जैसा है।

सुनील जाखड़ ने सिद्धू का किया बचाव, कहा- उनका इमरान के शपथ में जाना सराहनीय

उधर, कांग्रेस के पंजाब प्रधान सुनील जाखड़ ने नवजोत सिंह सिद्धू के इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में जाने की सराहना की है। उन्होंने कहा कि जो लोग इसकी आलोचना कर रहे हैं उन्हें मालूम होना चाहिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शपथ समारोह में नवाज शरीफ को न्यौता देकर बुलाया था। सिद्धू तो फिर भी केंद्र सरकार से अनुमति लेकर पाकिस्तान गए हैं लेकिन नरेंद्र मोदी तो बिन बुलाए मेहमान की तरह नवाज शरीफ के यहां चले गए थे। तब क्या दोनों देशों के बीच माहौल शांत था?

उन्होंने कहा कि पिछले चार सालों में जितनी घुसपैठ हुई है या हमारे जवान मारे गए हैं इतने तो इतिहास में कभी नहीं मारे गए। जाखड़ ने कहा कि आज भाजपा नेताआें को नई-नई बातें सूझ रही हैं, लेकिन क्या उन्हें यह याद नहीं कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी बस लेकर लाहौर गए थे। उसके बाद क्या हुआ कारगिल का युद्ध जिसमें 800 जवान शहीद हो गए।

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जाखड़ ने कहा, मुझे लगता है कि हमें नवजोत सिंह सिद्धू की सराहना करनी चाहिए कि वह अपने दोस्त के शपथ समारोह में गए हैं। अब यह इमरान खान पर निर्भर करता है कि वह इस दोस्ती को किस तरह निभाते हैं। अब यह इमरान खान को साबित करना है कि वह सेना के कठपुतली प्रधानमंत्री नहीं हैं। यदि दोनों देशों के बीच बंद पड़ी वार्ता फिर से शुरू हो जाती है तो इससे बड़ी बात क्या होगी? जाखड़ ने कहा कि हमें सिद्धू के वहां जाने की भावना को समझना चाहिए न कि इस पर राजनीति करनी चाहिए।

सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर ने भी सिद्धू पर साधा निशाना

 दूसरी ओर, पाकि‍स्‍तानी जेल में मारे गए सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर ने भी नवजोत सिंह सिद्धू पर निशाना साधा। दलबीर कौर ने कहा कि सिद्धू ने पाक में शेरो शायरी में कहा कि पाकिस्तान जीवे। दलबीर ने सिद्धू से पूछा उन्होंने तो पाकिस्तान के जिंदा रहने की दुआ कर दी, लेकिन क्या कभी किसी पाकिस्तानी ने भारत की धरती पर आकर जीवे हिंदुस्तान कहा है।

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सिद्धू का विवादों से रहा है पुराना नाता

 - नवजोत सिंह सिद्धू का विवादों से पुराना नाता रहा है। अपने क्रिकेट कैरियर के दौरान भी वह विवादों में रहे। एक बार तो अपने गर्म मिजाज के कारण उनका क्रिकेट कैरियर समाप्‍त सा हो गया था।  भारतीय क्रिकेट टीम के इंग्लैंड दौरे के समय कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन के साथ हुए विवाद के बाद सिद्धू इंग्लैंड का दौरा बीच में ही छोड़कर चले आए थे। इसके बाद उन्हें कहा गया कि अब उनकी भारतीय क्रिकेट टीम में वापसी मुश्किल है, लेकिन भगवान पर भरोसे के चलते उनकी दोबारा टीम में वापसी हुई।

 -1988 में पटियाला में कार पार्किंग को लेकर सिद्धू का विवाद हुआ और हाथापाई भी हुई। इसके बाद 65 साल के गुरनाम सिंह की अस्पताल में मौत हो गई। इसके बाद से 30 सालों तक निचली अदालत से लेकर हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक सिद्धू खुद को बेकसूर साबित करने के लिए लड़ते रहे। आखिरकार सिद्धू को इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने बरी करके बड़ी राहत दी।

 -पटियाला के निवासी सिद्धू को अमृतसर से भाजपा का टिकट मिला तो उन्‍हें बाहरी उम्मीदवार कहा गया। यह मुद्दा गर्मा गया तो उन्होंने अमृतसर के लोगों के साथ वायदा किया कि वह अमृतसर छोड़कर नहीं जाएंगे। पटियाला नहीं जाएंगे। इस पर खासा विवाद हुआ था और उन पर घेरा कसने की कोशिश हुई, लेकिन उन्‍होंने लोगों से किया वादा सांसद रहते पूरी तरह निभाया। वह कहते हैं आज तक वायदे को निभा रहा हूं और आगे भी निभाउंगा।

-भाजपा के लिए अकाली दल के संबंधों को लेकर सिद्धू का विवाद रहा। पहले बादल परिवार की जमकर तारीफ करने वाले सिद्धू ने बादलों पर हमला बोल दिया। वह प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल पर व्‍यक्तिगत हमले करने लगे। गठबंधन में रहने के बावजूद उस समय भाजपा नेता सिद्धू के इस रुख से विवाद पैदा हो गया। सिद्धू इस बात पर अड़े रहे कि पंजाब में भाजपा अकाली दल से गठबंधन तोड़े। इसके बाद भाजपा ने उनको 2014के चुनाव में अमृतसर से टिकट नहीं दिया अौर पंजाब की राजनीति से अलग रखा। भाजपा ने सिद्धू को राज्यसभा सदस्य का सदस्‍य बनाया, लेकिन कुछ दिन बाद ही उन्‍होंने राज्‍यसभा की सदस्‍यता से इस्‍तीफा दे दिया और भाजपा छोड़ दी।

 -भाजपा छोड़ने के बाद सिद्धू का आम आदमी पार्टी के संपर्क हुआ। अरविंद केजरीवाल ने बातचीत लगभग फाइनल होने के बाद बात बिगड़ गई। इसके बाद सिद्धू ने केजरीवाल पर हमला बोला और आरोप लगाए कि केजरीवाल बाहर से कुछ और अंदर से कुछ और हैं। वह पंजाब में राजनीति करने नहीं बल्कि पंजाब को लूटने की नीयत से यहां आ रहे हैं। सिद्धू और केजरीवाल के बीच खूब बयानबाजी का दौर चला। उनके बीच यह राजनीतिक विवाद खूब गर्माया।

 -इसके बाद सिद्धू ने अकाली दल का साथ छोड़कर आए परगट सिंह व बैंस ब्रदर्स सिमरजीत सिंह बैंस व बलविंदर सिंह बैंस के साथ एक माेर्चा बनाया। बाद में उन्‍होंने परगट सिंह के साथ राहुल गांधी से मुलाकात की और उनके कांग्रेस ज्वाइन करने की चर्चाअों ने जोर पकड़ा। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिद्धू का विरोध किया। अंत में राहुल के दबाव में कैप्टन माने और सिद्धू को कांग्रेस में ज्वाइन करवाया गया। चर्चा रही कि कांग्रेस के विधानसभा चुनाव में जीतने पर उन्हें उपमुख्यमंत्री पद दिया जाएगा। लेकिन, चुनाव के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिद्धू को डिप्टी सीएम बनाने से इन्कार कर दिया।

 - सिद्धू ने कैबिनेट मंत्री बनने के बाद शहरी निकाय के साथ हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट विभाग की भी मांग की, लेकिन कैप्टन ने ठुकरा दी। इसके बाद से ही सिद्धू और कैप्‍टन अमरिंदर सिंह में खींचतान शुरू हो गई।

-मंत्री बनने के बाद सिद्धू ने जालंधर, अमृतसर व लुधियाना नगर निगमों में पिछली सरकार के कार्यकाल में तैनात रहे तीन आइएएस अफसरों को खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में कारवाई की सिफारिश की। इस पर काफी विवाद हुआ। सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनकी सिफारिश नहीं मानी।

 - केबल, माफिया, नशा माफिया, रेत माफिया, ट्रांसपोर्ट माफिया के मुद्दे को लेकर सिद्धू ने हर मौके पर अकाली दल व सुखबीर बादल तथा बिक्रम सिंह मजीठिया को घेरने की कोशिश की, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह हर बार सिद्धू  को बैकफुट पर ढकेलते रहे। विवाद आज तक जारी है।

- सिद्धू का अपने सहयोगी मंत्री तृप्‍त राजिंदर सिंह बाजवा से भी विवाद पिछले दिनों खूब सुर्खियों में रहा। दाेनों ने एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी की।

- अब सिद्धू के पाकिस्‍तान जाने पर विवाद पैदा हो गया है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को अपना आदर्श बताने और राजनीति में खुद को लाने का श्रेय देनेवाले सिद्धू उनके निधन के बाद श्रद्धांजलि देने नहीं गए और उनके अंतिम संस्‍कार के दिन पाकिस्‍तान में इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने चले गए।

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