CoronaVirus: इस हाल में कोरोना वायरस से कैसे लड़ेगा पंजाब, छह जिलों में एक भी वेंटिलेटर नहीं
CoronaVirus पंजाब में कोरोना वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर कहर बरपा रही है और तीसरी लहर आने की संभावना भी जताई जा रही है। दूसरी ओर राज्य में चिकित्सा सुविधाओं का बुरा हाल है। छह जिलों में सरकारी अस्पतालाें में एक भी वेंटिलेटर नहीं है।
चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। विशेषज्ञ कोरोना की तीसरी लहर आने की चेतावनी दे रहे हैं, लेकिन पंजाब सरकार की तैयारियां दूसरी लहर के लिए भी पर्याप्त नहीं हैं। कोरोना को पंजाब में दस्तक दिए एक साल से ज्यादा समय हो चुका है, लेकिन अभी तक वेंटिलेटर और बेड जैसी सुविधाएं भी पूरी नहीं हैं। राज्य सरकार भले ही बड़े-बड़े दावे कर रही हो, लेकिन हकीकत यह है कि टेक्निकल स्टाफ न होने के कारण छह जिलों में वेंटिलेटर या तो दूसरे जिलों में शिफ्ट कर दिए गए हैं या प्राइवेट अस्पतालों को सौंप दिए गए हैं। इन जिलों में 1231 लोगों की कोरोना की वजह से मौत हो चुकी है। वहीं, 17 जिलों में लेवल-थ्री का एक भी बेड नहीं है।
टेक्निकल स्टाफ न होने के कारण दूसरे जिलों व प्राइवेट अस्पतालों को शिफ्ट किए
संगरूर, रोपड़, पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के गृह जिले श्री मुक्तसर साहिब, बरनाला, मानसा के अलावा बादल सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे सुरजीत कुमार ज्याणी के गृह जिले फाजिल्का में एक भी वेंटिलेटर नहीं है, जबकि फाजिल्का में ही पांच मई को 317 और मुक्तसर में 268 पाजिटिव केस सामने आए। मुक्तसर में 183 और फाजिल्का में 178 मरीजों की मौत हो चुकी है।
17 जिलों में नहीं है लेवल थ्री का एक भी बेड, एक साल में भी नहीं हुआ इंतजाम
पांच दिन पहले तक राज्य में 2119 वेंटिलेटर एक्टिव थे, जिसमें से तीनों मेडिकल कालेज और छह सरकारी जिला अस्पतलों में 673 वेंटिलेटर थे। वहीं, 1446 वेंटिलेटर प्राइवेट अस्पतालों में थे। चार दिन पहले 809 वेंटिलेटर जिलों को मुहैया करवाए गए, लेकिन इन्हें चलाने के लिए जिला अस्पतालों के पास न तो टेक्निकल स्टाफ है और न ही आधारभूत ढांचा। इसलिए ये प्राइवेट अस्पतालों को दे दिए गए।
फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर गुरपाल चहल के अनुसार आपरेटर की कमी के कारण वेंटिलेटर निजी अस्पतालों को दिए गए। इसमें से भी चार यह कह कर वापस कर दिए गए कि वह खराब हैं। सिविल सर्जन मुक्तसर साहिब डा. रंजू सिंगला का कहना है टेक्निशियन की कमी है। इसलिए सभी 11 वेंटिलेटर फरीदकोट व लुधियाना शिफ्ट कर दिए गए।
टेक्निशियनों के 121 पद खाली
स्वास्थ्य विभाग में टेक्निशियनों के 121 पद लंबे समय से खाली हैं। कई जिलों में वेंटिलेटर या तो स्टोर में पड़े रहे या उनका कवर ही नहीं खोला गया। दूसरी लहर में आक्सीजन के साथ वेंटिलेटर की बढ़ती मांग के बाद स्वास्थ्य विभाग ने टेक्निशियनों की भर्ती के लिए मुख्यमंत्री से इजाजत मांगी। अप्रैल के अंत में मुख्यमंत्री ने 140 टेक्निशियनों व 400 नर्सो के पद तुरंत भरने की मंजूरी दी।
स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू से सवाल
- सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर नहीं हैं, तो सरकार प्राइवेट अस्पतालों को क्यों दे रही है?
- हमारा पहला लक्ष्य लोगों की जान बचाना है। जहां प्राइवेट अस्पताल के पास पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर है, वहीं पर वेंटिलेटर दिए गए हैं। सरकार की ओर से दिए गए वेंटिलेटर पर सरकारी अस्पताल से रेफर मरीजों को ही सेवाएं दी जा रही हैं।
- राज्य में वेंटिलेटरों की कितनी कमी है?
- कमी नहीं है। पांच मई को 240 मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी। एक दिन पहले 231 मरीज को ही वेंटिलेटर पर रखा गया, जबकि राज्य में 2200 से ज्यादा वेंटिलेटर हैं।
- छह जिलों में तो एक भी वेंटिलेटर नहीं है?
- आपको यह देखना होगा कि उसके नजदीक के जिले की दूरी कितनी है। अगर मैं रूपनगर का उदाहरण दूं तो यह मोहाली से आधे घंटे की दूरी पर है। मैं भरोसा दिलाना चाहता हूं कि टेक्निशियन की भर्ती होने के बाद सरकार वेंटिलेटर के मामले में सक्षम हो जाएगी।
- अब तक स्टाफ का इंतजाम क्यों नहीं किया गया?
टेक्निकल स्टाफ को भरने के प्रयास किया जा रहा है। इसकी प्रक्रिया जारी है।
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