बीमार कुत्ते-बिल्लियों की देखभाल के लिए बनाए गए केंद्र की दशा बेहद बदतर
शहर में बीमार कुत्ते-बिल्लियों की देखभाल के लिए बनाए गए केंद्र की दशा जेल से भी बदतर है। पशु प्रेमी इसे देख न सकें इसलिए उनके यहां आने पर भी रोक लगा दी गई है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : शहर में बीमार कुत्ते-बिल्लियों की देखभाल के लिए बनाए गए केंद्र की दशा जेल से भी बदतर है। पशु प्रेमी इसे देख न सकें, इसलिए उनके यहां आने पर भी रोक लगा दी गई है। पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने इससे जुड़ी याचिका पर यूटी प्रशासन व अन्य को अदालत ने नोटिस जारी किया है। पूछा है कि क्यों न पशु प्रेमियों के यहां जाने पर लगाई गई रोक के आदेश पर ही रोक लगा दी जाए।
याचिका दाखिल करते हुए अभिषेक भातेजा ने हाई कोर्ट को बताया कि चंडीगढ़ में जानवरों पर अत्याचार रोकने के लिए सोसायटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ क्रुएलिटी टू एनिमल (एसपीसीए) सेक्टर-38 है। यह एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया से मान्यता प्राप्त है। कई शिकायतों के बाद एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट सौंपी थी, इसमें एसपीसीए के कार्य में बहुत सी खामियों का जिक्र था। एसपीसीए में जो सुपरवाइजर व फिल्ड इंस्पेक्टर हैं वह योग्य, कुशल व प्रशिक्षित नहीं हैं। इसके साथ ही एसपीसीए में जानवरों के कल्याण के लिए कार्य करने वाले संगठन का कोई सदस्य नहीं है। जानवरों को रखने के लिए अलग-अलग व्यवस्था तक नहीं है। उनकी देखभाल के नाम पर उन्हें एक कमरे में रखा जाता है, जहां पक्का फर्श होता है और कमरे में सूरज की रोशनी की व्यवस्था तक नहीं है। साथ ही यहां पर जिस तरह का माहौल है उससे अंधे जानवरों की मृत्यु दर बढ़ती जा रही है। इलाज के लिए नॉन वैटर्नियन कर्मियों को जिम्मेदारी दी गई है और हैरानी की बात तो यह है कि यह कर्मी सर्जरी तक का काम खुद कर रहे हैं। यहां पर पशु प्रेमी आकर इन जानवरों की देखभाल करना चाहते हैं लेकिन अब आदेश जारी करते हुए इनके किसी भी समय यहां आने पर रोक लगा दी गई है।
याची पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने याचिका पर केंद्र सरकार, यूटी प्रशासन व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। साथ ही पूछा है कि क्यों न पशु प्रेमियों को रोकने के आदेश पर रोक लगा दी जाए।
Edited By Jagran