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पंजाब के पूर्व DGP सैनी को हाई कोर्ट से झटका, IAS के बेटे के अपहरण व हत्या मामले में अग्रिम जमानत की मांग खारिज

आइएएस के बेटे के अपहरण व हत्या मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी की अग्रिम जमानत की मांग खारिज कर दी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 08 Sep 2020 11:00 AM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2020 11:44 AM (IST)
पंजाब के पूर्व DGP सैनी को हाई कोर्ट से झटका, IAS के बेटे के अपहरण व हत्या मामले में अग्रिम जमानत की मांग खारिज
पंजाब के पूर्व DGP सैनी को हाई कोर्ट से झटका, IAS के बेटे के अपहरण व हत्या मामले में अग्रिम जमानत की मांग खारिज

जेएनएन, चंडीगढ़। आइएएस के बेटे के अपहरण व हत्या मामले में गिरफ्तारी से बच रहे पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से झटका लगा है। हाई कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत की मांग खारिज कर दी है। हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत न मिलने के बाद सैनी के पास अब सुप्रीम काेर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर करने या पुलिस के समक्ष समर्पण करने का ही विकल्प बचा है। सैनी की याचिका खारिज होने के बाद पंजाब पुलिस अब उन्हें भगौड़ा करार देने के लिए मोहाली अदालत मेंं कानूनी प्रक्रिया शुरू कर सकती है।

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इससे पूर्व मुल्तानी के अपहरण और हत्या के मामले में सैनी को गिरफ्तारी से बचने के लिए सोमवार को भी पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिल पाई थी। मामले में लगभग एक सप्ताह से फरार सैनी की अग्रिम जमानत याचिका पर लगभग चार घंटे की सुनवाई के बाद जस्टिस फतेहदीप सिंह ने अपना फैसला देने के लिए इसे मंगलवार तक स्थगित कर दिया था। मामले पर आज फैसला सुना दिया गया और सैनी की अग्रिम जमानत खारिज कर दी गई।

हाई कोर्ट ने इसके साथ ही सैनी की दूसरी याचिका पर भी फैसला सुनाया। इसे भी हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। याचिका में सैनी ने मोहाली में दर्ज की गई एफआइआर को चुनौती देते हुए इस मामले की जांच सीबीआइ या किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से करवाए जाने की मांग की थी। याचिका की मेंटेनेबिलीटी पर सवालिया निशान होने के चलते अब तक हाई कोर्ट ने इस पर पंजाब सरकार को नोटिस जारी नहीं किए थे।

इन दोनों याचिका पर सुनवाई के दौरान सैनी की पैरवी करते हुए सीनियर एडवोकेट एपीएस दिओल ने कहा कि दिसंबर, 1990 में बलवंत सिंह मुल्तानी के अपहरण और अवैध हिरासत के मामले में मोहाली पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मामले में उन्हें मोहाली अदालत ने पहले अग्रिम जमानत दे दी थी। इसके बाद पुलिस द्वारा इस मामले में हत्या के आराेप जोड़े जाने के बावजूद यह केस नहीं बदला। ऐसे में जिला अदालत को उनकी अग्रिम जमानत रद्द नहीं करनी चाहिए थी।

उन्होंने कहा कि बलवंत सिंह मुल्तानी की हत्या के मामले में सीबीआई ने 2008 में एफआईआर दर्ज की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। सैनी के वकीलों की इन दलीलों का जवाब देते हुए पंजाब सरकार की पैरवी करते हुए स्पेशल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर सरतेज नरूला ने कहा कि मोहाली अदालत ने याचिकाकर्ता को भादंसं की धारा 364 (अपहरण) के आरोप में अग्रिम जमानत दी थी।

उन्होंने कहा कि तब एसआइटी की जांच आरंभिक चरण में थी और सैनी के खिलाफ मजबूत साक्ष्य जुटाए नहीं जा सके थे। उन्हाेंने कहा कि अब एसआइटी के पास मुल्तानी की हिरासती मौत में सैनी का हाथ होने के पुख्ता सबूत हैं। अदालत को बताया गया कि हिरासत में मुल्तानी के अपहरण, टॉर्चर, मौत और अंतिम संस्कार का विवरण जानने के लिए सैनी की हिरासती जांच करना जरूरी है।

उन्होंने अदालत को बताया कि सैनी के खिलाफ इससे पहले भी दिल्ली की अदालत में तिहरे हत्याकांड का मामले सैनी के सेवानिवृत्त होने के बावजूद भी सीबीआइ अधिकारी अपने बयानों से पलट गए थे। उन्होंने कहा कि सुमेध सैनी ने हाई कोर्ट के ही एक सीटिंग जज को धमकाया था और इस बात का जिक्र जस्टिस वी के झांझी ने अपने फैसले में भी किया था। बहरहाल, हाई कोर्ट ने दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया है।


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