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सभा में भिड़ गए कांग्रेस के दो बड़े नेता, हंसराज हंस और चन्‍नी में धक्‍का मुक्‍की

चंडीगढ़ के पास स्थित नयागांव में कांग्रेस द्वारा बुलाई गई दलित समाज की सभा में पार्टी के वरिष्‍ठ नेता हंसराज हंस अौर विधायक दल के नेता चरणजीत चन्‍नी भिड़ गए।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 05 Sep 2016 06:03 PM (IST)Updated: Tue, 06 Sep 2016 09:28 AM (IST)
सभा में भिड़ गए कांग्रेस के दो बड़े नेता, हंसराज हंस और चन्‍नी में धक्‍का मुक्‍की

चंडीगढ़, [जेएनएन]। सिटी ब्यूटीफुल से सटे नयागांव में कांग्रेस की सभा में उस समय विचित्र स्थित के दो वरिष्ठ नेता हंसराज हंस और विधायक दल के नेता चरणजीत सिंह चन्नी अचानक भिड़ गए। देोेनों के बीच धक्का-मुक्की हाे गई और उनके समर्थक भी आपस मेें आमने-सामने हाे गए। सभा में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह आैर प्रदेश प्रभारी आशा कुमार भी मौजूद थीं। इससे हालात यह पैदा हो गए कि हंसराज हंस मंच से कूद कर नीचे आ गए और नारेबाजी करने लगे।

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हुआ यह कि नयागांव मेंं कांग्रेस दलित समाज के लोेगोंं की सभा कर रही थी। इसमेें कैप्टन अमरिदंर सिंह के साथ पार्टी की प्रदेश प्रभारी आशा कुमारी भी मौजूद थीं। सब कुछ ठीकठाक चल रहा था। इसी दौरना कांग्रेस विधायक दल के नेता चरणजीत सिंह चन्नी भाषण देने उठे। मंच पर जाने माने सूफी गायक व कांगेस नेता हंसराज हंस भी बैठे हुए थे।

चन्नी ने भाषण के दौरान कहा कि कांग्रेस समाज के हर धर्म व वर्ग के लोगों को साथ लेकर चलती है। इस पर हंसराज हंस अपनी कुर्सी से अचानक उठे और अचानक चन्नी के पास पहुंच गए। चन्नी कुछ समझ पाते कि हंसराज हंस ने उनसे माइक छीन लिया और कहा कि यह सब झूठ हैं। कांग्रेस पार्टी में मेरे साथ धक्का हुआ है।

गुस्से से तमतमाए हंसराज हंस मंच से यूं कूद गए।

गुस्से से तमतमाए हंसराज हंस ने कहा, चन्नी की बाते झूठी हैं। मुझे राज्यसभा सदस्य बनाए जाने को लेकर जब बात उठी तो रविदासिया समाज के नेताओं ने मेरा विरोध किया। यही कारण था तो उनका टिकट कट गया। अब सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की बात कर रहे हैं। हंसराज हंस के तेवर को देखकर कैप्टन अमरिंदर सिंह और आशा कुमारी सहित सभी नेता हक्के-बक्के रह गए। इस दौरान चन्नी और हंसराज हंस के बीच धक्कामुक्की भी हुई।

हंसराज हंस नारेबाजी भी करने लगे। इसके बाद वहां मौजूद वाल्मीकि समाज के लोग मंच के समाने आ गए और नारेबाजी करने लगे। इसके बाद रविदासिया समाज के लोग भी सामने आ गए और नारेबाजी करनी शुरू कर दी। उस समय हालत हंसराज और बिगड़ गए जब गुस्से से हंसराज हंस ने मंच से नीेचे छलांग लगा दी। इसके बाद दोनों पक्षों में धक्कामुक्की होने लगी। इस दौरान, हंसराज हंस नारे लगाते रहे। बाद में काफी मुश्किल से हंसराज हंस को समझा कर शांत किया।

हुआ यूं कि यहां एक फार्म में दलित सम्मेलन चल रहा था। इसमें कैप्टन अमरिदंर सिंह, प्रदेश प्रभारी आशा कुमारी, सह प्रभारी हरीश चौधरी, राज्य सभा सदस्य शमशेर सिंह दूलों, जालंधर के सांसद संतोख चौधरी समेत दलित समाज से जुड़े विधायक व नेता शामिल थे।

शमशेर सिंह दूलो ने कहा कि दलित समाज से जुड़े हुए लोगों को पार्टी में स्थान तो देती हैं लेकिन सम्मान नहीं देती। इस पर कांग्रेस विधायक दल के नेता चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि पार्टी दलित समाज को काफी कुछ देती है। पार्टी का प्रधान अगर जनरल कटैगरी से बनाया गया तो विधायक दल के नेता को पद दलित समाज को दिया गया, जो मेरे हिस्से आई।

चन्नी ने कहा कि इसी प्रकार राज्यसभा की तीन सीटों में अगर दो सीटें सामान्य वर्ग को गई तो एक दलित समाज को गई और शमशेर सिंह दूलो को राज्य सभा भेजा गया। दूलों का नाम आते ही स्टेज पर मौजूद हंसराज हंस भड़क उठे और चन्नी से माइक छीन लिया।

हंस बोले- एकता का पाठ पढ़ाया जा रहा है लेकिन एेसा नहीं है। वाल्मीकि समाज से जुड़ा होने के कारण जब मुझे राज्यसभा में भेजा जाना था तो दलित समाज के नेताओं ने विरोध किया। पार्टी में पक्षपात किया जा रहा हैं। हंसराज हंस के इतना कहने के साथ ही सम्मेलन में मौजूद वाल्मीकि समाज के लोग मंच के सामने आ गए और नारेबाजी करने लगे। इसे देखकर जोश में भरे हंस भी मंच से कूद कर नीचे आ गए।

करीब दस मिनट तक नारेबाजी चलती रही और सम्मेलन रुका रहा। स्टेज से चन्नी बार-बार शांति बनाए रखने को लेकर अपील करते। करीब दस मिनट बाद हंस वापस अपनी सीट पर गए। इस दौरान कैप्टन ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया। बाद में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि यह पार्टी का अंदरूनी मामला है। परिवार में छोटी-मोटी बाते होती रहती हैं। एेसी बातों का आने वाले चुनाव में कोई असर नहीं होने वाला। उन्होंने कहा कि सभी को उचित मान-सम्मान दिया जाएगा।

बता दें कैप्टन अमरिंदर सिंह हंस राज हंस को कांग्रेस में लाए थे। उन्होंने उन्हें राज्य सभा भेजने का वायदा किया था। लेकिन शमशेर सिंह दूलों ने उनका खासा विरोध किया था। बताया जाता है कि दूलों ने इस मामले में राहुल गांधी पर यह दबाव डाला था कि अगर उन्हें राज्य सभा नहीं भेजा गया तो दलित समाज से बड़ी संख्या में लोग पार्टी छोड़ देंगे। दूलों के विरोध के कारण हंसराज हंस का राज्यसभा जाने का सपना टूट गया।


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