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Jagjit Singh Birth Anniversary: गजल सम्राट ने बरसाें बाद चुकाया जालंधर में काॅफी का बिल, जानें पूरा मामला

Jagjit Singh Birth Anniversary पंजाब में गजल सम्राट जगजीत सिंह से जुड़़ी बेशुमार यादें हैं। उनसे जुड़ी ऐसे ही अनोखी यादें जालंधर में डीएवी कॉलेज में उनकी पढ़ाई के समय की हैै। कॉलेज के पास स्थित एक काॅफी हाऊस का बिल जगजीत ने बरसों बाद चुकाया।

By Sunil kumar jhaEdited By: Published: Sun, 07 Feb 2021 11:59 PM (IST)Updated: Mon, 08 Feb 2021 07:48 AM (IST)
Jagjit Singh Birth Anniversary: गजल सम्राट ने बरसाें बाद चुकाया जालंधर में काॅफी का बिल, जानें पूरा मामला
गजल सम्राट जगजीत सिंह की फाइल फोटो।

चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। jagjit Singh Birth Anniversary: करोड़ों लोगों के दिलों पर आज भी राज करने वाले गजल सम्राट जगजीत सिंह से बेशुमार यादें पंजाब में हैं। जगजीत सिंह ने कालेज में पढ़ाई के दौरान के काफी बिल काे बरसों बाद चुकाया। सबसे कमाल यह कि जगजीत सिंह उस समय हैरान हो गए थे, जब उनके द्वारा पीए गए एक-एक कप काॅफी का हिसाब काॅफी हाउस के मालिक ने रख दिया।

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जालंधर में पढ़ाई के दौरान होटल ग्रीन में आते थे काफी पीने

बात उन दिनों की है जब जगजीत सिंह जालंधर के डीएवी कालेज में पढ़ते थे। उस समय कंपनी बाग में होटल ग्रीन होता था। वहां पर काॅफी हाउस भी था। जालंधर शहर में उस समय इक्का-दुक्का ही काफी हाउस हुआ करते थे। जगजीत सिंह काॅफी हाउस में अक्सर काफी पिया करते थे। जगजीत सिंह कभी काफी का पेमेंट कर देते थे और कभी मौका देख कर चुपचाप निकल लेते थे। काफी हाउस के मालिक थे संतोख सिंह (अब स्वर्गीय)।

दोस्तों के साथ चलता था गीतों और गजलों का दौर भी

संतोख सिंह के बेटे हरचरणजीत सिंह ने बताया कि जगजीत सिंह अक्सर ही अपने दोस्तों के साथ वहां आते थे। गीतों और गजलों का दौर भी चलता था। संतोख सिंह को भी जगजीत की गजलें काफी भाती थीं, इसलिए जब भी वह (जगजीत सिंह) काॅफी का पैसा दिए बगैर निकल जाते तो वह केवल अपनी डायरी में नोट कर लेते, लेकिन उनसे कभी पैसा नहीं मांगते थे।

कभी-कभी बिना पैसे दिए निकल जाते थे जगजीत, 18 काॅफी का बिल था बकाया

हरचरणजीत सिंह ने बताया, समय का चक्र आगे बढ़ा। जगजीत सिंह की प्रसिद्धी चारों तरफ फैली। मशहूर होने के बाद जगजीत सिंह एक बार जालंधर आए तो पुरानी यादें ताजा करने और काॅफी पीने के लिए होटल ग्रीन पहुंचे। इस दौरान उन्होंने संतोख सिंह से कहा ' मुझे आपके कुछ पुराने पैसे भी चुकाने है। आपको शायद पता नहीं, मैं कई बार काफी पीकर बगैर पैसा दिए हुए चला जाता था।'

संतोख सिंह के बेटे हरचरणजीत सिंह कहते हैं, इस पर संतोख सिंह ने मुस्कुराते हुए कहा, ' मुझे पता है।' इसके बाद संतोख सिंह ने वह डायरी निकाली, जिस पर जगजीत सिंह की काॅफी का हिसाब लिखा हुआ था। कुल 18 काॅफी थी, जिसका जगजीत सिंह ने भुगतान नहीं किया था। इस पर जगजीत सिंह ने उनसे पूछा कि आपको पता था, फिर भी कभी आपने मुझसे पैसे नहीं मांगे। मै तो सोचता था कि भीड़ में आपको पता ही नहीं चलता था। इसके बाद जगजीत सिंह ने 18 काॅफी का पैसा देने के लिए जेब में हाथ डाला, लेकिन संतोख सिंह ने उनका हाथ पकड़ लिया। बोले आपने काॅफी पी तो हमने भी तो आपके गाने का लुत्फ उठाया।

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जगजीत को इंजीनियर या आइएएस बनाना चाहते थे पिता

जगजीत सिंह को उनके पिता एक इंजीनियर या आइएएस अधिकारी बनाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने उनको 1959 में उनको पढ़ाई के लिए जालंधर भेजा। जगजीत ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए डीएवी कालेज में दाखिला लिया। उनके हाॅस्टल के कमरे में किताबों की तुलना में संगीत के उपकरण अधिक नजर आते थे। उन्होंने सेनिया घराने के उस्ताद जमाल खान और पंडित छगनलाल शर्मा से शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण लेने का निश्चय किया।

जालंधर के आल इंडिया रेडियो के स्टेशन में हुई थी पहली रिकार्डिंग

जगजीत सिंह की पहली रिकार्डिंग 52 साल पहले जालंधर के आल इंडिया रेडियो के स्टेशन में हुई थी। उन्होंने एक वर्ष में छह बार लाइ कार्यक्रम पेश किया। बाद में वह मुंबई (तब बांबे) शिफ्ट हो गए।  वह एक्स्ट्रा कलाकार के रूप में काम करने लगे। इसके अलावा वह विज्ञापन जिंगल और शादी समारोह में गाकर गुजारा करते रहे। वह वर्ली में एक कमरे में चार लोगों के साथ रहते थे। वह खाने के लिए दादर जाते थे, जहां एक रेस्टोरेंट के मालिक उनको मुफ्त में खाना देता था। विज्ञापन जिंगल की दुनिया में जगजीत की एक पहचान बन गई। इसके बाद वह एक प्ले बैक सिंगर के रूप में गाने लगे।

1965 में आया पहला एलबम, 1967 में हुई चित्रा से मुलाकात

वर्ष 1965 में जगजीत सिंह का पहला एलबम आया। दो वर्ष बाद उनकी मुलाकात चित्रा से हुई, जो एक बंगाली परिवार से थी और संगीत की औपचारिक ट्रेनिंग नहीं ली थी। उन्होंने जगजीत सिंह के साथ एक विज्ञापन जिंगल गाने से मना कर दिया।

एक इंटरव्यू में चित्रा ने कहा था कि मैंने संगीत निर्देशक को यह कहकर गाने से मना कर दिया था कि मेरी आवाज बहुत भारी है। बाद में चित्रा और जगजीत साथ-साथ गाने लगे और बहुत प्रसिद्ध हो गए। दोनों की 1969 में शादी हुई। वर्ष 1976 में दोनों का चर्चित एलबम 'द अनफारगेटेबल' रिलीज हुआ। यह उस समय सबसे ज्यादा बिका, जब गैर फिल्मी एलबम के लिए कोई बाजार नहीं था।


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