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चंडीगढ़ की सड़कों पर अब नहीं दिखेंगे स्ट्रे कैटल, बरसाना की तर्ज पर नगर निगम बनाएगी गोशाला

बरसाना की तर्ज पर चंडीगढ़ में भी नई गोशाला बनेगी। इसके लिए नगर निगम चंडीगढ़ की टीम बरसाना में इन गोशाला का ग्राउंड सर्वे कर रिपोर्ट तैयार करेगी। गोशाला को बनाने के लिए बजट काऊ फीस का पैसा ही खर्च किया जाएगा।

By Vinay KumarEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 11:36 AM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 11:36 AM (IST)
चंडीगढ़ की सड़कों पर अब नहीं दिखेंगे स्ट्रे कैटल, बरसाना की तर्ज पर नगर निगम बनाएगी गोशाला
चंडीगढ़ नगर निगम बरसाना की तर्ज पर शहर में नई गोशाला बनाएगी।

चंडीगढ़ [बलवान करिवाल]। बरसाना की तर्ज पर चंडीगढ़ में भी नई गोशाला बनेगी। जिसमें गायों के लिए बेहतरीन सुविधाएं और देखभाल खान-पान के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए नगर निगम चंडीगढ़ की टीम बरसाना में इन गोशाला का ग्राउंड सर्वे कर रिपोर्ट तैयार करेगी। हरियाणा की आदर्श गोशाला का माडल भी देखकर बेस्ट प्रेक्टिस अपनाई जाएंगी। गोशाला को बनाने के लिए बजट काऊ फीस का पैसा ही खर्च किया जाएगा। काऊ फीस लगने के बाद नगर निगम को सालाना 20 करोड़ रुपये मिलने लगे हैं। जिससे गोशाला के आपरेशन, मेंटेनेंस और डेवलपमेंट के सभी खर्च इसी से पूरे हो जाएंगे। अतिरिक्त बोझ नगर निगम पर नहीं पड़ेगा। इसमें 2.72 करोड़ रुपये साल भर के चारा पर आता है।

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स्ट्रे कैटल की समस्या होगी खत्म

चंडीगढ़ में लावारिस पशुओं की बहुत बड़ी समस्या है। खासकर सर्दियों में रात के समय यह मौत बनकर सड़कों पर घूम रहे हैं। हर साल कई जान इनकी चपेट में या हादसे की वजह से खप जाती है। नगर निगम की टीम लगातार शिकायत के बाद भी इन्हें पकड़ नहीं पाती है। कहीं न कहीं इन जानवरों को रखने पर आने वाले खर्च की वजह भी आड़े आ जाती रही है। सेक्टरों की अंदरूनी सड़कों से लेकर मुख्य मार्गों पर भी यह अकसर देखे जा सकते हैं। अब काऊ फीस से आया पैसा एमसी के पास होगा। जिसे स्ट्रे कैटल मैनेजमेंट में खर्च कर समस्या को दूर किया जा सकता है।

हर नए वाहन और शराब की बोतल से मिल रही काऊ फीस

इसी साल काऊ फीस चंडीगढ़ में लागू की गई है। कोई भी नया वाहन चंडीगढ़ में पंजीकृत होता है तो उस पर 500 रुपये काऊ फीस लगने लगी है। इसी तरह से शराब की हर बोतल की बिक्री पर भी काऊ फीस लगाई गई है। तीसरा बिजली पर भी इसे लागू किया गया है। बिल में ही यह जुड़ कर आती है। ट्रांसपोर्ट, एक्साइज एंड टेक्सेशन और इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट तीनों ही काऊ फीस का पैसा नगर निगम को ट्रांसफर करते हैं। जिससे एमसी को सालाना 20 करोड़ रुपये रेवेन्यू के तौर पर मिलने लगे हैं। पंजाब और हरियाणा में पहले से ही काऊ फीस ली जाती है।

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