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पीयू की रिसर्च स्कॉलर बनी जरूरतमंद महिलाओं का सहारा, इस तरह बना रहीं आत्मनिर्भर

चंडीगढ़ प्रशासन ने गरिमा शर्मा को शहर का वुमेन वेलफेयर कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया। उन्होंने अस्पतालों से कांटेक्ट करके उन्होंने एप्प्रेन कोट और रेस सिलने का भी काम लिया।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 03:37 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 03:37 PM (IST)
पीयू की रिसर्च स्कॉलर बनी जरूरतमंद महिलाओं का सहारा, इस तरह बना रहीं आत्मनिर्भर
पीयू की रिसर्च स्कॉलर बनी जरूरतमंद महिलाओं का सहारा, इस तरह बना रहीं आत्मनिर्भर

चंडीगढ़, [वैभव शर्मा]। कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन में कई लोगों ने अपने नौकरियां गंवा दी। आर्थिक रूप से सबसे ज्यादा असर रोजाना मजदूरी कर पेट पालने वाले लोगों पर पड़ा। ऐसे लाेगों के हालात सुधारने के लिए पंजाब यूनिवर्सिटी की रिसर्च स्कॉलर गरिमा शर्मा रोजगार का साधन बनी हैं।

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गरिमा पीयू के डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी एजुकेशन एंड डिसेबिलिटी स्टडीज की स्टूडेंट है। लोगों की मदद करना उन्हें शुरू से ही अच्छा लगता था। किसी भी व्यक्ति को तकलीफ में देख गरिमा की हमेशा से कोशिश यही रहती थी कि उसकी परेशानी का किसी तरह हल किया जा सके। गरिमा के इसी जज्बे को देखते हुए चंडीगढ़ प्रशासन ने लॉकडाउन में उन्हें शहर का वुमेन वेलफेयर कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया। गरिमा ने लॉकडाउन में गरीब महिलाओं से लेकर वर्किंग वुमेंस की सहायता की। 

आत्मनिर्भर बनाने के लिए बढ़ाया पहला कदम

जहां एक ओर देश के प्रधानमंत्री ने लोगों ने आत्मनिर्भर बनने का आह्वान किया है, वहीं गरिमा तीन माह पहले ही इस मुहिम को हवा दे चुकी है। उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मास्क सिलने का आइडिया दिया। इस आइडिया से लॉकडाउन अवधि में महिलाओं द्वारा सिले गए दस हजार से ज्यादा मास्क को बेचा गया और उसकी राशि महिलाओं को दी गई।

जरूरतमंद महिलाओं को मार्केटिंग के जरिए दिया प्लेटफॉर्म

लॉकडाउन लगने के बाद जब सब कुछ बंद था तो गरिमा ने खबरों और सोशल मीडिया पर देखा कि कई लोगों की नौकरी चली गई है। इस बात को ध्यान में रख कर गरिमा ने मार्केटिंग प्लेटफार्म का बहुत बेहतरीन ढंग से प्रयोग किया। उन्होंने महिलाओं द्वारा बनाए गए मास्क को मार्केटिंग के मध्यम से शहर और उसके आस-पास के इलाकों में बेचा। इसके अलावा अस्पतालों से कांटेक्ट करके उन्होंने महिलाओं के लिए एप्प्रेन, कोट और ड्रेस सिलने का भी काम लिया।

सीजन के अनुसार काम करने का दिया आइडिया

गरिमा ने बताया कि उन्होंने महिलाओं को बताया कि सीजन के अनुसार वह अपने कार्य प्रणाली को भी बदलें। मौसम के अनुसार वह सिलाई, बुनाई, कढ़ाई आदि का काम करें। इसके लिए उन्होंने एक इंसेंटिव तैयार किया है, जिसके लिए प्रशासन और सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट से जल्द बात की जाएगी।

श्रमिकों को भी बांटे मास्क

गरिमा ने पलायन कर रहे श्रमिकों के अलावा जो श्रमिक शहर में रुक गए थे, उन्हें भी फ्री में मास्क बांटे। इसका शुल्क उन्हाेंने अपनी जेब से दिया। इसके अलावा लॉकडाउन में गरिमा ने शहर में विभिन्न टीमों के साथ मिलकर लोगों की मदद की।


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