Move to Jagran APP

पीजीआइ चंडीगढ़ एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के पूर्व हेड व देश के पहले मेडिसिन डॉक्टरेट प्रो. आरजे दाश का निधन

देश के पहले मेडिसिन में डॉक्टरेट करने वाले और पीजीआइ चंडीगढ़ के एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के पूर्व हेड प्रोफेसर आरजे दाश का निधन हो गया। बीते शनिवार को सुबह करीब दो बजे भुवनेश्वर में उनका निधन हुआ। रोफेसर आरजे दाश 37 साल तक चंडीगढ़ में कार्यरत रहे।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Mon, 23 Aug 2021 11:47 AM (IST)Updated: Mon, 23 Aug 2021 11:47 AM (IST)
पीजीआइ चंडीगढ़ एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के पूर्व हेड व देश के पहले मेडिसिन डॉक्टरेट प्रो. आरजे दाश का निधन
पीजीआइ के एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के पूर्व हेड प्रोफेसर आरजे दाश। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। देश के पहले मेडिसिन में डॉक्टरेट करने वाले और पीजीआइ के एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के पूर्व हेड प्रोफेसर आरजे दाश का निधन हो गया। बीते शनिवार को सुबह करीब दो बजे भुवनेश्वर में उनका निधन हुआ। प्रो. दाश एक प्रख्यात एंडोक्रिनोलॉजिस्ट थे। उन्होंने 37 साल तक पीजीआइ में अपनी सेवाएं दी थी। उनका जन्म ओड़िसा के कटक जिले एक छोटे से गांव मटिया में हुआ था।

loksabha election banner

सामान्य परिवार से होने के बावजूद सभी कठिनाईयों का सामना करते हुए प्रो. दाश ने रवेनशॉ कॉलेज से अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की।इसके बाद कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज से मेडिसिन की पढ़ाई की। इसके बाद पीजीआइ चंडीगढ़ से उन्होंने एमडी मेडिसिन और डीएम एंडोक्रिनोलॉजी में शिक्षा हासिल की।

1966 में थे पीजीआइ के रेजिडेंट डॉक्टर

पीजीआइ चंडीगढ़ में प्रो. दाश ने 37 साल तक सेवाएं दी। वर्ष 1966 में वे पीजीआइ के मेडिसिन के रेजिडेंट डॉक्टर थे। उसके बाद वर्ष 1969 से 71 तक रजिस्ट्रार, 1971 से 74 तक लेक्चरर और 1981 से 2003 तक पीजीआइ के एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के हेड एंड प्रोफेसर रहे। पीजीआइ में अपनी सेवाओं के अंतिम चरण में वह वर्ष 2001 से 03 तक डीन रिसर्च का पद भी संभाला। पीजीआइ से सेवानिवृत्ति के बाद वह अकादमिक रूप से सक्रिय रहे। उन्होंने प्रशिक्षित विशेषज्ञों के योगदान के साथ एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के विकास में प्रो. चुट्टानी के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए आभार व्यक्त किया।

70 डीएम डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया

पीजीआइ में अपनी सेवाओं के दौरान उन्होंने लगभग 70 डीएम रेजिडेंट्स डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया। जो वर्तमान में भारत और विदेशों में विभिन्न संस्थानों में प्रतिष्ठित पदों पर हैं। उनके राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के कई पुरस्कारों के रूप में पुरस्कृत किया गया। जिसमें देश में एंडोक्रिनोलॉजी की विशेषता विकसित करने के लिए डॉ. बी सी रॉय पुरस्कार भी शामिल है। उनके पास रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन (लंदन), इंटरनेशनल मेडिकल साइंसेज एकेडमी और इंडियन कॉलेज ऑफ फिजिशियन की प्रतिष्ठित फैलोशिप भी है। एंडोक्राइन सोसाइटी ऑफ इंडिया के संस्थापक सदस्य होने के नाते उन्होंने लगभग दो दशकों तक विभिन्न क्षमताओं में संगठन की सेवा की।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.