शहर में कोई भूखा न रहे इस मकसद के साथ चंडीगढ़ के अमरदेव ने शुरू की ये खास पहल
चंडीगढ़ के अमरदेव निट्टर और शहर के विभिन्न होटलों के मालिकों के साथ मिलकर यह काम कर रहे हैं। वह हर रोज रात करीब 11 बजे घर से निकलते हैं और होटलों और मैस की रसोई में बचे खाने को एकत्र करते हैं। फिर सुबह जरूरतमंद लोगों को बांटते हैं।
चंडीगढ़ [सुमेश ठाकुर]। चंडीगढ़ में बचा हुआ खाना बेकार न हो और न ही शहर में कोई भूखा रहे। इस मकसद से नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नीकल टीचर्स ट्रेनिंग एंड रिसर्च (निट्टर) सेक्टर-26 के अस्सिटेंट प्रोफेसर अमरदेव ने एक खास पहल की है।
अमरदेव निट्टर और शहर के विभिन्न होटलों के मालिकों के साथ मिलकर यह काम कर रहे हैं। इसके तहत वह हर रोज रात करीब 11 बजे घर से निकलते हैं और होटलों और मैस की रसोई में बचे खाने को एकत्र करते हैं। फिर सुबह करीब पांच बजे उठकर वह खुद की गाड़ी में सवार होकर विभिन्न स्थानों पर रहने वाले जरूरतमंद लोगों को वह खाना मुहैया कराते हैं। यह कार्य अमरदेव करीब दो सालों से कर रहे हैं। उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान इस काम को कुछ समय के लिए रोका था, लेकिन जैसे ही कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी हुई वह एक बार फिर अपने काम में जुट गए।
दोस्तों से प्रेरित होकर की शुरुआत, अब मिल रहा स्टूडेंट्स का सहयोग
अमरदेव ने बताया कि खाना एकत्र करके उन्हें बांटने का काम अपने कालेज के कुछ दोस्तों के साथ शुरू किया था, लेकिन किन्हीं कारणों से मैं उनके साथ लंबे समय तक यह काम नहीं रह सका। जब दोस्तों के साथ मिलकर यह काम किया तो समझ आया कि जरूरतमंद बहुत सारे लोग हैं। अब मैंने अपने स्टूडेंट्स के साथ इस काम को शुरू किया है। जहां पर भी कुछ लोगों के लिए खाना बनता है वहां पर कुछ न कुछ खाना बचता ही है। बचे हुए खाने को कोई नहीं खाना चाहता, जिसके कारण उसे बेकार समझकर फेंकना पड़ता है। लेकिन हम उससे जरूरतमंदों का पेट भर सकते हैं। जब भी किसी होटल या मैस के पास खाना बचता है वह रात 11 बजे के बाद मुझे पहले काल कर बताते हैं। मैं वहां पर पहुंचकर पहले उसे एकत्र करता हूं और उसे प्रिजर्व कर दूसरे दिन सुबह-सुबह खाने को जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने से पहले चैक करता हूं और उन्हें देता हूं। इस समय मेरा परिवार भी इस काम में मेरा सहयोग कर रहा है।