शहर में पहली बार सिख इतिहास को दिखाती पेंटिग्स
शताब्दी का भारत जिसमें अंग्रेजों ने भारत को गुलाम बनाया।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : 19वीं शताब्दी का भारत, जिसमें अंग्रेजों ने भारत को गुलाम बनाया। मगर उसी दौरान, उनके कई पेंटर्स भी भारत पहुंचे। उन्होंने यहां आकर देखा सिख रियासत के राजाओं का शासन। जिससे वो इतना अभिभूत हुए कि उन्होंने राजाओं से लेकर पंजाब के लोगों तक को पेंट किया। इन पेंटिग्स में वह राजाओं की बादशाहत और योद्धा स्वभाव को छुपा नहीं पाए। ऐसे में इन पेंटिग्स की अपनी महत्ता है, जिन्हें विदेशों के विभिन्न म्यूजियम से इकट्ठा कर यहां प्रदर्शित किया गया है। द हुब्रिस फाउंडेशन के संस्थापक गौतम श्रीवास्तव ने कुछ इन्हीं शब्दों में पंजाब कला भवन-16 में प्रदर्शित पेंटिग्स पर बात की। सोमवार से शुरू प्रदर्शनी सिख एन एक्सीडेंटल रोमांस में 19वीं शताब्दी के दौरान विश्वभर के विभिन्न पेंटर द्वारा बनाई गई 80 पेंटिंग्स के प्रिट को प्रदर्शित किया गया। इन पेंटिग्स में महाराज रणजीत सिंह, दलीप सिंह और इसी तरह पंजाब में उस दौरान की विभिन्न घटनाएं शामिल की गई है। जर्मनी से लेकर जापान के पेंटर आते थे पंजाब में
प्रदर्शनी में अनंत बीर सिंह अटारी और इंस्टीट्यूट ऑफ सिख स्टडीज के प्रेसिडेंट गुरप्रीत सिंह भी शामिल हुए। अनंत ने कहा कि प्रदर्शनी में हम दिखाना चाहते हैं कि पंजाब का क्या रूतबा रहा था। कभी अंग्रेज इसको अपनी पेंटिग में भी दबा नहीं पाए। उन्होंने अपनी हर पेंटिग में पंजाब के महाराजा के शौर्य को दिखाया है। अंग्रेजों ने अकसर भारतीय लोगों को अपनी पेंटिग में मजदूर के रूप में दिखाया। ये उनके अहंकार के विरुद्ध था। मगर पंजाबी राजाओं को दिखाते हुए वो हमेशा डरते थे। पेंटिग में आप देख सकते हैं कैसे वर्ष 1877 में रानी विक्टोरिया जब भारत में अपना शासन बनाती है, तो वो पंजाब के राजाओं को भी इसमें आमंत्रित करती हैं और उनका आदर पूरी सद्भावना से होता है। यहां तक कि पेंटिग में कई लड़ाइयों को भी चित्रित किया गया है, जिसमें अंग्रेज अफसर में जमीन पर धूल चाटते दिखते हैं। लाहौर में महाराज दलीप सिंह की पेंटिग खस्ता हालत में
गौतम ने कहा कि इन पेंटिग्स को एक साथ लाना आसान नहीं था। मुझे सिख इतिहास से बहुत प्यार है। क्योंकि इनके इतिहास में कई लड़ाइयां हुई, जिसमें इन्होंने कभी घुटने नहीं टेके। ऐसे में मैंने पूरे विश्व के म्यूजियम और राजाओं के घर से पेंटिग के प्रिट को मंगवाया। कुल 250 पेंटिग्स में से केवल 80 पेंटिग्स ही लगवा पाया। इसमें मेरे लिए सबसे ज्यादा मुश्किल ऑगस्ट शोफे की पेंटिग्स को मंगवाना था, जो लाहौर के म्यूजियम में है। दरअसल महाराज दलीप सिंह की बेटी इन्हें लाहौर ले आई थी। ऐसे में इनके प्रिट मंगवाना मुश्किल हो गया था। लाहौर के म्यूजियम में इसकी हालत खस्ता है। इन पेंटिग्स में 1841 में बनाई पेंटिग शामिल है, जिसमें महाराजा रणजीत सिंह गुरुग्रंथ साहिब का पाठ कर रहे हैं। इसके अलावा राजा शेर सिंह की पेंटिग भी इसमें शामिल हैं, जिन्हें महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु के दो वर्ष बाद राजा बनाया गया था। जापान के पेंटर भी थे पंजाब के मुरीद
गौतम ने कहा कि हैरानी होती है कि जर्मनी, इंग्लैंड, फ्रांस के अलावा जापान के पेंटर भी पंजाब के राज्य को पेंट करना चाहते थे। उनकी कई पेंटिग मुझे वहां मिली। इसमें गोल्डन टेंपल, राजाओं की पोशाक और सिपाहियों को उन्होंने पेंट किया। दरअसल, उस समय वहां के राजा और महाराज पंजाबी कल्चर को देखना चाहते थे, ऐसे में उन्होंने अपने पेंटर से वहां की पेंटिग बनवाई। इन विदेशी पेंटर्स की पेंटिग के प्रिट लगे हैं प्रदर्शनी में
प्रदर्शनी में प्रिस सोल्टीकोफ, फ्रांसिस ग्रांट, जॉन चार्लटन, ऑगस्ट शोफे, जॉर्ज रिचमन्ड, वीलियम कार्पेंटर, रुडोल्फ स्वोबोडा, होरेस वन रूथ, एडविन लॉर्ड, सिडनी परायर हॉल, फ्रांड विटरहेल्टर, एल्फर्ड डी ड्रूक्स, एम्ली एडन, हिरोशी योशिदा, वेलेटाइन प्रिसपे, लूसन धूमर, फ्रेंक सेलिसबूरी, होरेस वैन यूद और लोकविड किपलिग की पेंटिग के प्रिट प्रदर्शित किए गए।
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