चंडीगढ़ के डड्डूमाजरा डंपिंग ग्राउंड में बार-बार लगती है आग, ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने खड़े किए कई सवाल
चंडीगढ़ के डड्डूमाजरा स्थित डंपिंग ग्राउंड में तीन दिन पहले लगी आग अभी तक सुलग रही है। इसको लेकर ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने कई सवाल खड़े किए हैं। आरोप है कि चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों को कई बार समस्याओं से अवगत करवाया लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं।
चंडीगढ़, जेएनएन। चंडीगढ़ के डड्डूमाजरा स्थित डंपिंग ग्राउंड में बार बार आग लगने की घटना पर ज्वाइंट एक्शन कमिटी के अध्यक्ष दयाल कृष्ण ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि अब के हालत न तो सहने लायक हैं और न ही यहां पर रहने लायक हैं। सोचने वाली बात यह है कि इस क्षेत्र में आने वाले दिनों में स्मार्ट प्रोजेक्ट के नाम पर मरे जानवरों का संस्कार प्लांट, सेनेटरी लैंडफिल, लेचेट ट्रीटमेंट प्लांट (ETP), मटेरियल रिकवरी ट्रीटमेंट सेंटर का निर्माण होगा। ये सब बनने के बाद तो कैसे हालत बनेंगे कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
स्मार्ट सिटी के नाम पर यहां बायोमिंग प्रोजेक्ट भी जोर शोर से लगाया गया, जिसने सिर्फ लोगों की समस्या को ही बढ़ाया है। इन सब परेशानियों को लेकर निगम अधिकारी, पार्षद, मेयर कभी गंभीर नहीं रहे। कई बार निगम और चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों को पत्र लिखकर समस्याओं से अवगत करवाया गया है, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं।
उन्होंने कहा कि कभी निगम सदन की बैठक में इस पर विचार नहीं किया गया कि डंपिंग ग्राउंड में बार-बार आग कैसे लगती है। इसकाे रोकने के लिए क्या समाधान किया जा सकते हैं। यह भी नहीं सोचा जाता कि अगर प्रोजेक्ट लगेंगे तो हालात खुद निगम के काबू से भी बाहर हो जाएंगे। मसला सिर्फ एक कॉलोनी तक नहीं है, आग की आंच धुंए के रूप में पूरे शहर को ढक लेती है। प्रोजेक्ट लगने के बाद शहर बारूद के ढेर पर बैठ जाएगा।
ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने अतीत में लगी आग की जांच रिपोर्ट सावर्जनिक किए जाने की मांग की है, ताकि शहर की जनता को वास्तविकता पता लग सके। ज्वाइंट एक्शन कमेटी के अध्यक्ष दयाल कृष्ण ने कहा है कि कचरे के रखरखाव में जितना पैसा आज तक लगाया गया उसकी CBI से निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। कचरा संबंधी जो कमेटियां बनाई गई हैं उनके सदस्यों से भी पूछताछ होनी चाहिए।
कब कब आग लगी
- पिछले एक वर्षों के अंतराल में आग नियमित तौर लगी। 18 मई 2020 को आग लगने से इलाके में बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। कई लोगों ने रात को गुरुद्वारों में जाकर शरण ली।
- फिर 23 मई को लगी आग का असर 25 मई तक दिखा। 6 अक्टूबर को आग लगी।
- इस वर्ष फरवरी 21 को लगी आग जो 25 फरवरी तक जा कर किसी तरह से नियंत्रित की जा सकती। अब 31 मार्च को आग लगी। जो कि अभी भी सुलग रही है।
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