चंडीगढ़ में फिल्म निर्देशक जस ग्रेवाल बोले- मेरी फिल्मों की ताकत उनकी सादगी है...
ग्रेवाल ने कहा कि सादगी मुझे बचपन से ही पसंद रही है। सादगी के साथ सिनेमा बनाना मेरी खासियत रही है मैं ओवर इमोशन की बजाए छोटी छोटी खुशियां और सपने दिखाता हूं। पढ़ाई में कमजोर होने के कारण घरवालों को फिल्मों में आना बुरा नहीं लगा।
चंडीगढ़, [शंकर सिंह]। चंडीगढ़ लिटरेरी सोसायटी की ओर से आयोजित लिटराटी 2020 में लेखक और निर्देशक जस ग्रेवाल ने अपने फिल्म से जुड़े अपने अनुभव साझा किए। उनके साथ समाज सेवी रावी पंधेर ने बात की। इसका विषय लफजां दा सफर रहा। ग्रेवाल ने कहा कि सादगी मुझे बचपन से ही पसंद रही है। हालांकि पढ़ाई में कमजोर रहा, ऐसे में परिवार वालों को मेरा थिएटर और फिर फिल्म की तरफ आना बुरा नहीं लगा। सादगी के साथ सिनेमा बनाना मेरी खासियत रही है, मैं ओवर इमोशन की बजाए, छोटी छोटी खुशियां और सपने दिखाता हूं।
जैसे मेरी फिल्मों में किसी छोटे बच्चे को कहानी सुनाई जाती है। मैं लोगों को ऐसे ही सिनेमा की कहानी सुनाना चाहता हूं। रब दा रेडियो में भी यही रहा। मेरी स्क्रिप्ट राइटिंग से जुड़ी शुरुआत मजेदार रही। मुंबई में थिएटर करने के दौरान, स्क्रिप्ट राइटर अतुल तिवारी से बात हुई। उन्होंने कहा कि राइटिंग के बारे में यही कहूंगा कि इसे सीखा नहीं जाता। इसके बाद मैंने कई फिल्में देखी, जहां से मैंने स्क्रिप्ट राइटिंग सीखी।
खोसला का घोसला से मिली स्क्रिप्ट राइटिंग की प्रेरणा
खोसला का घोसला से मुझे स्क्रिप्ट राइटिंग की प्रेरणा मिली। मुझे इन दिनों आर्क्योलॉजी भी पसंद है। पुरात्तव चीजों को खोजना और मंदिर और पुरानी बिल्डिंग्स के इतिहास को जानना पसंद है। जस ने कहा कि हो सकता है कि मैं जल्द ही इतिहास को लेकर भी कोई फिल्म बनाऊं। ये चुनौतीपूर्ण तो रहेगा, लेकिन यकीनन मजेदार भी।
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