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एक्टिंग सीखते वक्त डिप्रेशन में चले गए थे करण देओल, फिल्म प्रमोशन के दौरान किए बड़े खुलासे

करण देओल ने कहा कि अकसर स्कूल में यही सुनता था कि स्टार का बेटा हूं तो मुझे फिल्म आसानी से मिल जाएगी। या तो अपने पिता के चेक साइन करूंगा। इन सबने मुझे इतना तोड़ दिया था

By Edited By: Published: Sat, 14 Sep 2019 07:10 PM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 08:27 AM (IST)
एक्टिंग सीखते वक्त डिप्रेशन में चले गए थे करण देओल, फिल्म प्रमोशन के दौरान किए बड़े खुलासे
एक्टिंग सीखते वक्त डिप्रेशन में चले गए थे करण देओल, फिल्म प्रमोशन के दौरान किए बड़े खुलासे

चंडीगढ़ [शंकर सिंह]। स्कूल में मेरे सीनियर मुझसे चिढ़ते थे। वो मुझे सनी का बेटा कहकर अकसर पीटते थे। वो कहते थे कि तेरा बाप बहुत बड़ा स्टार है न, जा बुला उसे, फिल्मों में तो बहुत ढाई किलो का हाथ दिखाता है वो। दरअसल वे खुद को मजबूत साबित करने के लिए मुझे मारते थे। कई बार तो टीचर के सामने भी। वो मुझसे कई क्लास सीनियर थे, ऐसे में मैं उनका सामना नहीं कर पाता था। अकसर स्कूल में यही सुनता था कि स्टार का बेटा हूं तो मुझे फिल्म आसानी से मिल जाएगी। या तो अपने पिता के चेक साइन करूंगा। इन सबने मुझे इतना तोड़ दिया था कि जब मैं एक्टिंग को अपना रहा था तो ये मुझे मुश्किल लगी। मैं एक अलग तरह के डिप्रेशन में था। मगर मेरे पापा ने मुझे हौसला बंधाया। मेरी कई वर्कशॉप करवाई ताकि मैं इस डिप्रेशन से बाहर निकलूं। सच कहूं तो मेरे पापा ही मेरे असली हीरो हैं। एक्टर करण देओल कुछ इन्हीं शब्दों में पिता के साथ अपने संबंध पर बात करते हैं।

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वह यहां एक होटल में फिल्म पल-पल दिल के पास पर बात करने पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि स्कूल में जब कोई सीनियर मुझसे बुरा व्यवहार करता तो मैंने कभी पापा को इसके बारे में नहीं बताया। मैं उस दौरान अपनी मां के काफी करीब रहा, ऐसे में उनसे ही ज्यादातर बातें करता था।

चंडीगढ़ पहुंचा तो लगा कि अब मनाली जाना है

करण ने कहा कि फिल्म की शूटिंग मनाली और हिमाचल की वादियों में हुई। ऐसा लगा कि मैं हिमाचल ही बस गया हूं। यहां तक कि आज चंडीगढ़ पहुंचा तो लगा कि यहां से सीधे मनाली ही जाना है। ये एक खूबसूरत अहसास था जो इन दो सालों में हिमाचल में मिला। वहां के लोगों और जानवरों तक से एक रिश्ता कायम हो गया था। इसके अलावा हिमाचल में एडवेंचर से जुड़ी कई गतिविधियों में हिस्सा लिया जिसकी वजह से वहां मुझे एक अलग अनुभव हुआ। मैं दरअसल शूटिंग से पांच महीने पहले ही मनाली पहुंच गया था। वहां मैंने कई वर्कशॉप में हिस्सा लिया जिसकी वजह से मुझे अपने किरदार में ढलने में आसानी हुई।

स्टार वार सीरिज के दौरान ठान लिया कि एक्टर ही बनूंगा
करण ने कहा कि उन्हें स्टार वार सीरिज देखने के बाद एक्टिंग का विचार दिमाग में आया। हालांकि परिवार ने कभी उन पर फिल्म में आने का दबाव नहीं डाला। बोले कि मैंने जब एक्टिंग में आने की सोची तो पापा ने मुझे प्रोडक्शन में रहकर काम सीखने को कहा। मैंने यमला-पगला-दीवाना के लिए असिस्ट किया जहां से मुझे काफी कुछ सीखने को मिला। इसके बाद पापा ने मुझसे कहा कि क्या मैं सच में एक्टर बनना चाहता हूं, मैंने हां कहा तो उन्होंने कुछ स्क्रिप्ट मंगवाई। मगर हमें कोई स्क्रिप्ट पसंद नहीं आ रही थी। मैं हताश हो गया था मगर तभी पल-पल दिल के पास हमारे पास पहुंची तो हमने इसे फाइनल किया। मुझे खुशी है कि पापा ने मुझे स्क्रिप्ट रीडिंग और उसमें बदलाव के वक्त साथ रखा।

दादा, पापा की तरह अपना नाम बनाना है
करण ने कहा कि दादा धर्मेद्र, पिता सनी, चाचा बॉबी और अभय की तरह वो भी अपनी पहचान बनाएंगे। बोले कि मैं चाहता हूं कि मुझे लोग एक अच्छे एक्टर के रूप में याद रखें। मुझे कोई तकलीफ नहीं है कि अगर मुझे नकारात्मक किरदार भी मिले। मैं वेब सीरिज में भी काम कर लूंगा, मैं एक्टर हूं, चाहता हूं एक्टिंग करूं। वैसे मुझे इस बात का विश्वास है कि मुझे पंजाब से यकीनन प्यार मिलेगा क्योंकि पापा ने कहा था कि पंजाब में फिल्म प्रमोट करने मैं अकेला जा रहा हूं, वहां के लोग बहुत अच्छे हैं, वो तुम्हें दिल से अपनाएंगे, इसलिए यहां प्रमोशन में मैं अकेला आया।
 

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