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कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का 5 को भारत बंद का ऐलान, 26-27 नवंबर को दिल्ली कूच

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने 5 नबंवर को भारत बंद के लिए चक्का जाम का एलान किया है। किसान 26 व 27 नवंबर को दिल्ली कूच भी करेंगे। यह फैसला आज दिल्ली में किसान संगठनों की बैठक में लिया गया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 05:10 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 05:26 PM (IST)
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का 5 को भारत बंद का ऐलान, 26-27 नवंबर को दिल्ली कूच
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन की सांकेतिक फोटो।

जेएनएन, चंडीगढ़। केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अब किसान देशव्यापी आंदोलन करेंगे। आज इन कानूनों के खिलाफ देश के 250 किसान संगठनों ने 5 नवंबर को भारत बंद का ऐलान किया है। किसान 5 नवंबर भारतभर में सभी सड़कों को जाम करेंगे, लेकिन इन खेती कानूनों के खिलाफ बड़ा आंदोलन 26 और 27 नवंबर को होगा, जिसके लिए सभी राज्यों के किसानों ने दिल्ली चलो का आह्वान कर दिया है।

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आज दिल्ली में हुई बैठक में 250 किसान संगठनों के बीच पांच सदस्यीय तालमेल कमेटी बनाई गई है जो राज्यों की किसान ईकाइयों से 26 और 27 नवंबर के कार्यक्रम के लिए तालमेल करेगी, साथ ही जो संगठन बाहर रह गए हैं उन्हें भी शामिल करेगी। इस कमेटी में योगेंद्र यादव, पूर्व सांसद राजू शैट्टी, भाकियू राजेवाल के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल, हरियाणा के गुरनाम सिंह चड़ूनी और वीएम सिंह को लिया गया है।

बलबीर सिंह राजेवाल ने बताया कि जहां तीन कृषि कानूनों को किसान विरोध कर रहे हैं, वहीं बिजली एक्ट 2020 संशोधन का भी विरोध किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि किसानों की एकता को तोड़ने के लिए केंद्र सरकार ने फिर से मालगाड़ियों को चार दिन के लिए बंद कर दिया है। यह केंद्र का अनुचित कदम है। इसका भी विरोध किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 26 और 27 नवंबर के लिए सभी राज्यों को अपने-अपने यहां तैयारी करने को कहा है। इसमें ज्यादा से ज्यादा लोगों को दिल्ली ले जाकर अब संघर्ष का केंद्र दिल्ली को बनाया जाएगा।

खास बात यह कि पहली बार सभी किसान संगठन अपनी अपनी विचारधारा को एक तरफ रखते हुए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ एकजुट हुए हैं। किसान नेताओं ने कहा कि अब तक संघर्ष का केंद्र पंजाब था, जहां किसानों ने रेल ट्रैक जाम कर दिए और टोल प्लाजा बंद करने के साथ ही भाजपा नेताओं के घरों के बाहर प्रदर्शन किए, लेकिन केंद्र सरकार ने किसानों के संघर्ष के बावजूद जैसा रुख अपनाया हुआ है उससे इस बात की जरूरत महसूस हो रही है कि अब संघर्ष का आकार बड़ा किया जाए। 


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