किसान आज लेंगे फैसला-पंजाब में ट्रेनें चलेंगी या नहीं, किसान संगठनों की होगी बैठक
पंजाब में आंदोलन कर रहे किसान संगठन आज तय करेंगे कि राज्य में ट्रेनों का परिचालन होगा या नहीं। राज्य के किसान संगठनों की आज बैठक होगी और इसमें फैसला होगा कि वे मालगाडि़यों के संग यात्री ट्रेनों का परिचालन होने देंगे या नहीं।
चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब में किसान संगठन ट्रेनों का परिचालन फिर शुरू करने को लेकर आज फैसला करेंगे। किसान संगठन तय करेंगे कि वे मालगाडि़यों के साथ यात्री ट्रेनों को भी चलने देंगे या नहीं। किसान संगठनों की इस संबंध में आज चंडीगढ़ में बैठक हाेगी। इस बैठक में केंद्र सरकार के मंत्रियों से पिछले दिनों हुई बातचीत को लेकर विचार-विमर्श होगा।
ऐसे में केंद्रीय मंत्रियों से बैठक के बावजूद कृषि सुधार कानूनों को लेकर राज्य में मचे बवाल के बाद अब सभी की नजरें चंडीगढ़ में किसान संगठनों की आज होने वाली बैठक पर लगी हुई हैं। इस बैठक में किसान नेता जहां कैबिनेट मंत्रियों से हुई बैठक के बारे में साथी संगठनों को अवगत करवाएंगे। वहीं, इसमें यह भी फैसला लिया जाएगा कि कि केंद्रीय मंत्रियों से दूसरे दौर की होने वाली बैठक में किन बिंदुओं को उठाया जाए। राज्य में ट्रेनों के आवागमन पर भी किसान संगठन फैसला ले सकते हैं।
किसान संगठनों की महत्वपूर्ण बैठक आज चंडीगढ़ में
किसान प्रतिनिधियों और केंद्रीय मंत्रियों के बीच हुई बैठक में भी यह मुद्दा उठा था। इस दौरान किसान मालगाडिय़ां चलाने की बात कह रहे थे तो वहीं केंद्रीय मंत्री मालगाडिय़ां और यात्री ट्रेनें दोनों चलाने पर अड़े हुए थे। ऐसे में दोनों पक्षों में कोई सहमति नहीं बन पाई थी।
पंजाब और पड़ोसी राज्यों में गहरा रहा यूरिया संकट
किसान संगठनों के आंदोलन के कारण राज्य में यूरिया का संकट गहराने लगा है। यही नहीं पड़ोसी राज्य जम्मू-कश्मीर और हिमाचल के किसान भी इससे प्रभावित होने लगे हैं। चूंकि इन दिनों गेहूं की फसल की बिजाई अंतिम चरण में है इस कारण किसानों को यूरिया की बेहद जरूरत है। राज्य में डीएपी का स्टाक होने के कारण कोई परेशानी नहीं हुई लेकिन यूरिया की कमी से सीधे किसान भी प्रभावित होने लगे हैं।
दिसंबर महीने तक दस लाख मीट्रिक टन की जरूरत है लेकिन अभी तक यह केवल साढे तीन लाख टन ही उपलब्ध है। कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. बलदेव सिंह ने बताया कि चूंकि मालगाडिय़ां नहीं आ रही हैं इसलिए कुछ कंपनियां हरियाणा तक मंगवाकर उसके आगे ट्रकों के जरिए उपलब्ध करवा रही हैं। नंगल और बठिंडा के एनएफएल प्लांटों में रोजाना एक हजार टन खाद तैयार हो रही है लेकिन हमें जितनी जरूरत है उसके मुकाबले में यह बहुत कम है। जब तक मालगाडिय़ां नहीं चलेंगी तब तक यह दिक्कत रहेगी।
किसान दिल्ली में धरने पर अड़े
उधर, किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल का कहना है, 26-27 नवंबर को दिल्ली घेरने की अपील की जा चुकी है। इसे लेकर आज होने वाली बैठक में चर्चा की जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उन्हें दिल्ली जाने से रोका गया तो वह वहीं धरने पर बैठ जाएंगे। उधर, दिल्ली में कोरोना का संक्रमण बढऩे से किसानों को दिल्ली में धरने की मंजूरी नहीं दी जा रही है।
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