पंजाब में किसान आंदोलन का खेती पर असर, यूरिया की कालाबाजारी, खाद न मिलने से सड़कों पर कृषक
पंजाब में किसानों के आंदाेलन का अब कृषि क्षेत्र पर भी असर दिख रहा है और खेतीबाड़ी इससे प्रभावित हो रही है। उर्वरकों खास की यूरिया खाद की आपूर्ति बंद होने से खेती कर रहे किसानों को भारी दिक्कत हो रही है। किसान अब सड़काें पर उतर आए हैं।
चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब में किसानों के आंदोलन का अब खेती पर सीधा असर पडने लगा है। खेती बाड़ी में लगे किसानों को उर्वरक नहीं मिल रहे हैं और खासकर यूरिया की भारी किल्लत हो गई है। इस कारण इसकी कालाबाजारी भी शुरू हो गई है। किसानों के रेल रोको आंदोलन के कारण पंजाब में आठ लाख टन यूरिया खाद नहीं पहुंच पाई है। किसान राजस्थान, हरियाणा व हिमाचल प्रदेश से खाद ला रहे हैं। दूसरी ओर, किसान खाद न मिलने के विरोध में अब सड़काें पर उतर आए हैं। बठिंडा मेंं क्रुद्ध किसानों ने सड़क जाम कर दिया।
पंजाब यूरिया उर्वरक नहीं मिलने के विरोध में अब किसान मुखर हो गए हैं। एनएफएल से यूरिया खाद न मिलने के विरोध में शनिवार को बठिंडा में किसान सड़क पर उतर आए और जाम लगा दिया। किसानों ने बठिंडा-श्री अमृतसर साहिब रोड पर जाम लगा दिया और धरना देकर बैठ गए। इस कारण यातायात पूरी तरह बाधित हो गया और सड़क पर वाहनों की लंबी-लंबी लाइनें लग गई। इसस कारण लोगों को काफी परेशान होना पड़ा।
बठिंडा में किसानों के धरने के कारण जाम में फंसे वाहन चालक।
राजस्थान, हरियाणा व हिमाचल प्रदेश से ला रहे किसान
कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी और निदेशक डा. राजेश वशिष्ट हालात का जायला लेने के लिए जिलों का दौरा कर रहे हैं। वे शुक्रवार को फतेहगढ़ साहिब पहुंचे। उन्होंने कहा कि अगर किसानों ने रेल रोको आंदोलन खत्म न किया तो इसका नुकसान उन्हें ही सबसे अधिक होगा। पंजाब की आर्थिक स्थिति पर भी इसका असर दिखेगा।
अब तक आठ लाख यूरिया पंजाब नहीं आ सका, खाद की किल्लत के कारण कई जिलों में कालाबाजारी शुरू
वे गांव कोटला भाईका और कृषि विज्ञान केंद्र का दौरा करने पहुंचे थे। तिवारी ने कहा कि रेल यातायात ठप होने से अक्टूबर व नवंबर में चार-चार लाख टन यूरिया खाद पंजाब आनी थी, लेकिन अब तक नहीं पहुंच पाई है। इस समय नेशनल फर्टीलाइजर्स लिमिटेड (एनएफएल) के नंगल व बठिंडा में दो प्लांट चल रहे हैं। दोनों की क्षमता मात्र 60 हजार टन उत्पादन की है। कृषि विभाग के पास जितनी यूरिया खाद उपलब्ध है, वह ट्रकों के जरिये जिलों में भेजी जा रही है।
दूसरी तरफ फिरोजपुर में परेशान किसान राजस्थान व हरियाणा से पूल करके यूरिया खाद ला रहे हैं। जिले के दुकानदारों के पास भी स्टाक नहीं बचा है। राजस्थान के गंगानगर, मुटीली बार्डर, हरियाणा के डबवाली व रतिया से खाद लाई जा रही है। होशियारपुर में भी किसान हिमाचल प्रदेश से खाद ला रहे हैं।
270 रुपये वाला यूरिया खाद का बैग 425 रुपये में मिल रहा
किल्लत का असर रेट पर भी पडऩे लगा है। किसानों का आरोप है कि व्यापारी कालाबाजारी कर रहे हैं। 270 रुपये में मिलने वाला बैग 375 से 425 रुपये तक मिल रहा है। होशियारपुर में 265 का बैग 365 में बेचा जा रहा है। यहां मुकेरियां और गड़दीवाल में ज्यादा परेशानी है। फिरोजपुर में भी प्रति बैग सौ से डेढ़ से रुपये अतिरिक्त वसूले जा रहे हैं। तरनतारन जिले के डेरा साहिब में खाद स्टोर के डीलर पर कालाबाजारी का आरोप लगाते हुए किसानों ने चौकी डेरा साहिब का घेराव किया।
किसान बोले- खाद नहीं मिली तो कम होगा गेहूं का झाड़
फिरोजपुर के गांव गोलूके के किसान जगदीश कुमार ने बताया कि गेहूं की बुआई के 20 दिन के अंदर पहला पानी लगने के साथ ही अगर यूरिया खाद नहीं डाली गई तो फसल को नुकसान होना तय है। गेहूं का झाड़ कम होगा। फसल पकने तक एक एकड़ में 115 किलो यूरिया खाद डाली जाती है। नंगल व बठिंडा के सरकारी एनएफएल प्लांट से यूरिया खाद भी नहीं आ रही। यदि इन दोनों प्लांटों से खाद मिलना शुरू हो जाए तो हालात कुछ संभल सकते हैं।
मक्खू के एक किसान ने कहा कि शुरुआत में ट्रकों के ट्रक भर यूरिया राजस्थान व हरियाणा से लाया गया, लेकिन बाद में सख्ती होने कारण अब किसान अपने ट्रैक्टर-ट्रालियों से खाद ला रहे हैं। संगरूर में 2.90 लाख हेक्टेयर में गेहूं की फसल होती है। इसके लिए 1.15 लाख मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत रहती है। कृषि विभाग के पास पिछले साल का 30 फीसद स्टाक है। अगर 25 नवंबर तक और खाद नहीं आई तो संकट खड़ा हो जाएगा।
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