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टिकट वितरण में खूब चला परिवारवाद

कांग्रेस और भाजपा दोनों में नेताओं ने अपनी पत्नियों और बेटों को टिकट दिलवाई है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 11:41 PM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 11:41 PM (IST)
टिकट वितरण में खूब चला परिवारवाद
टिकट वितरण में खूब चला परिवारवाद

राजेश ढल्ल, चंडीगढ

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कांग्रेस और भाजपा दोनों में नेताओं ने अपनी पत्नियों और बेटों को टिकट दिलवाई है। आम आदमी पार्टी सीधे तौर पर परिवारवाद का आरोप लगा रही है, जबकि आप में इस समय अधिकतर उम्मीदवार वह हैं जो कि राजनीति में नए चेहरे हैं। आप में सिर्फ महासचिव यादविदर मेहता की पत्नी को टिकट मिली है। उम्मीदवारों की घोषणा के बाद इस समय शहर में परिवारवाद खूब चर्चा में हैं। कांग्रेस में परिवार के इन सदस्यों को मिली टिकट

कांग्रेस में इस बार पार्षद दल के नेता देवेंद्र सिंह बबला टिकट नहीं ले पाए हैं, लेकिन वह पत्नी हरप्रीत कौर बबला और बहन बलविदर कौर को टिकट दिलवाने में कामयाब रहे। इसी तरह से अध्यक्ष बनने के कारण सुभाष चावला पहली बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, जबकि 1996 से लेकर अब तक होने वाले हर नगर निगम चुनाव को लड़ चुके हैं। ऐसे में इस बार वह अपने बेटे सुमित चावला को टिकट दिलवाने में कामयाब रहे। इसी तरह से कांग्रेस उपाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह भी अपने बेटे को उम्मीदवार बनवाने में कामयाब रहे। इस तरह से मनीमाजरा की तीनों सीटें इस बार महिला के लिए रिजर्व हैं, जिनमें से कांग्रेस उपाध्यक्ष हाफिज अनवर ने पत्नी जन्नत जहां को एक सीट पर उम्मीदवार बनवाया। बाकी की दोनों सीटों पर पूर्व मेयर गुरचरण दास काला पत्नी और जिला अध्यक्ष रामेश्वर गिरी बहू को टिकट दिलवाने में कामयाब रहे। भाजपा में परिवार के इन सदस्यों को मिली टिकट

मनीमाजरा से ही भाजपा पार्षद जगतार जग्गा और विनोद अग्रवाल पत्नियों को टिकट दिलवाने में कामयाब रहे हैं। भाजपा पार्षद अनिल दूबे भी पत्नी को टिकट दिलवाने में सफल रहे। वार्ड-10 से जिला अध्यक्ष मनु भसीन और राम दरबार से विक्की शेरा ने पत्नी को टिकट दिलवाया। भाजपा ने इस बार पार्षद चंद्रवती शुक्ला को फिर से टिकट न देकर पति गोपाल शुक्ला को टिकट दी है। वार्ड-1 से भाजपा नेता हुकम चंद की पत्नी को उम्मीदवार बनाया गया है। भाजपा ने वर्तमान के 20 पार्षदों में से अब तक सात को टिकट दी है, जबकि तीन पार्षदों की पत्नियों और एक पति को टिकट दी गई है। वहीं, भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद ने खुद चुनाव न लड़कर अपनी सीट युवा मोर्चा के अध्यक्ष विजय राणा के लिए छोड़कर पार्टी में मिसाल कायम की है।

कोट्स

कांग्रेस और भाजपा दोनों में परिवारवाद खूब है। इसका ताजा उदाहरण टिकट वितरण में ही देखा जा सकता है। इन दोनों दलों में एडजस्टमेंट का नजारा साफ देखा जा सकता है। इन दोनों दलों में कार्यकर्ताओं की अनदेखी करके नेताओं और सिटिग पार्षदों को खुश किया गया है, जबकि आप में ऐसा नहीं है। ग्राउंड पर काम करने वाले नेताओं को टिकट दी गई है।

प्रदीप छाबड़ा, सह प्रभारी, आम आदमी पार्टी


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