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शहर में बेलगाम दौड़ रहे बाहरी वाहन, कहीं रिश्वत तो कहीं स्टाफ की कमी आ रही आड़े

निजी वाहनों की तरह की कमर्शियल वाहनों का लोड भी निरंतर बढ़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 07:55 AM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 07:55 AM (IST)
शहर में बेलगाम दौड़ रहे बाहरी वाहन, कहीं रिश्वत तो कहीं स्टाफ की कमी आ रही आड़े
शहर में बेलगाम दौड़ रहे बाहरी वाहन, कहीं रिश्वत तो कहीं स्टाफ की कमी आ रही आड़े

बलवान करिवाल, चंडीगढ़ : चंडीगढ़ में निजी वाहनों की तरह की कमर्शियल वाहनों का लोड भी निरंतर बढ़ रहा है। हजारों वाहन तो अवैध तरीके से रोजाना सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इनमें पंजाब नंबर के ऑटो की संख्या सबसे अधिक हैं। कैब भी कम नहीं हैं। यह पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों की हजारों टैक्सी शामिल हैं। ऑटो और टैक्सी बिना चंडीगढ़ का टैक्स दिए यहां दौड़ते हैं। सैकड़ों ऑटो तो कई-कई साल बाद भी टेंपरेरी नंबर पर दौड़ रहे हैं। इन पर न तो ट्रैफिक पुलिस और न ही स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी कोई कार्रवाई कर पाती है। एसटीए में कार्रवाई के लिए स्टाफ ही नहीं

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स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी की जिम्मेदारी शहर में सभी तरह के कमर्शियल वाहनों को रेगुलेट करना है। उनकी खामियों को देखते हुए कार्रवाई करना है। लेकिन एसटीए के पास कार्रवाई के नाम पर गिनती के तीन चार मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर ही हैं। अब यह इंस्पेक्टर पूरे चंडीगढ़ को कैसे कवर करेंगे, खुद अंदाजा लगा सकते हैं। स्कूल बसें नियमों को ताक पर रखकर दौड़ती हैं, जब कोई बड़ा हादसा होता है तभी एसटीए की तरफ से बसों की चेकिग शुरू होती है। यही हाल दूसरे वाहनों की चैकिग में भी है। सबसे ज्यादा नियम भी बाहर के वाहन ही तोड़ते हैं। लाइसेंस भी मेनुअल ही बन रहे

लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया सेंसर बेस्ड नहीं हो पाई है। टू व्हीलर और लाइट मोटर व्हीकल के ड्राइविग लाइसेंस का टेस्ट तो सेंसर बेस्ड ट्रैक पर परखने के बाद बनता है। जिसमें कोई भी खामी कैमरों की नजर से पकड़ी जाती है। लेकिन ट्रांसपोर्ट वाहनों के लिए अभी भी सिस्टम मेनुअल ही है। यहां सेंसर बेस्ड ड्राइविग टेस्ट सही तरीके से शुरू नहीं हो सका है। जबकि रोड पर सबसे ज्यादा यही वाहन रहते हैं। मेनुअल प्रक्रिया में भ्रष्टचार के आरोप भी लगते रहे हैं। ट्रैफिक पुलिस में भ्रष्टाचार नहीं हो रहा खत्म, सख्त कार्रवाई भी हुई

चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस देश की जानी मानी पुलिस में गिनी जाती है। यहां पर जस्टिस, मंत्री, आइपीएस अधिकारी सहित पुलिस विभाग के सरकारी गाड़ियों के भी चालान होते हैं। ट्रैफिक नियमों के प्रति सख्त और अपने अनुशासन की वजह से पुलिस चर्चा में रहती है। इसके बावजूद भी बीच-बीच में नियम तोड़ने वालों को छोड़ने के लिए पैसे लेते पुलिस कर्मियों के मामले सामने आते रहे हैं। हालांकि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करने वाले पुलिस विभाग की तरफ से कई पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर, डिपार्टमेंटल इंक्वायरी और बर्खास्त करने के साथ केस भी दर्ज करवाया गया है। लेकिन ग्राउंड लेवल पर बात करें तो रिश्वत नीति नियमों की पालना के प्रति रुकावट पैदा करती है। नए मोटर व्हीकल एक्ट के बाद कई बर्खास्त

सितंबर 2019 में नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत नई चालान नीति लागू की गई। इसके तहत केंद्रीय कानून में संशोधन करके चालान की राशि कई गुना अधिक करने के साथ कई अन्य नियमों में सख्ती भी बढ़ाई गई। जिसमें रेड लाइट जंप, ओवरस्पीड ड्राइविग, ड्रंक एंड ड्राइव, एंबुलेंस को रास्ता न देना, नाबालिग द्वारा वाहन चलाने में पेरेंट्स के खिलाफ केस दर्ज करने सहित अन्य नियम शामिल हैं। ट्रैफिक पुलिस पकड़े गए कई नाबालिगों के पिता के खिलाफ केस भी दर्ज करवा चुकी है। नए एक्ट में रिश्वत के पहले केस में दो मुलाजिम बर्खास्त, एसएसपी की हिदायत ं

नए एक्ट के तहत चालान के पैसों में कई गुना बढ़ोतरी होने के बाद सेक्टर 34/35 की रोड पर हरियाणा नंबर गाड़ी को ट्रैफिक सिग्नल जंप करने पर ट्रैफिक कर्मियों ने हजार रुपये लेकर वाहन चालक को जाने की अनुमति दे दी। जिसके बाद वाहन चालक की शिकायत पर डीजीपी संजय बेनीवाल ने दोनों मुलाजिमों को बर्खास्त कर संबंधित थाने में केस दर्ज करने के निर्देश दिए थे। नियमों की पालना के प्रति जागरूकता और सख्ती और ड्यूटी में अनुशासन यह पहली प्राथमिकता है। इस मामले में विभाग का रवैया बिल्कुल स्पष्ट है। रिश्वत लेने कि शिकायत पर कई पुलिस कर्मियों को बर्खास्त कर केस भी दर्ज करवाया गया है। हालांकि कई बार चालान से बचने के लिए भी वाहन चालक गलत आरोप लगाते हैं, जिसकी जांच भी करवाई जाती है।

-मनोज कुमार मीणा, एसएसपी ट्रैफिक


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