लुप्त हो रहे जीव-जंतुओं को बचाना होगा
जीव-जंतु बहुत ही अहम भूमिका निभाते हैं।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पर्यावरण को बेहतर बनाने में जीव-जंतु बहुत ही अहम भूमिका निभाते हैं। हर जीव की प्रकृति के लिए क्या उपयोगिता है, इसे दिखाने के लिए तमिल समुदाय के वार्षिक कार्यक्रम में विशेष भरतनाट्यम का आयोजन किया गया। छिथिराई फेस्टिवल टैगोर थिएटर सेक्टर-18 में आयोजित किया गया। जिसमें भरतनाट्यम गुरु कनका सुधाकर ने शिष्याओं के साथ जीवों के महत्व को डांस के जरिये पेश किया। इस कार्यक्रम में तमिल समुदाय के करीब एक हजार लोगों ने शिरकत की। जिन्होंने तमिल की संस्कृति को पेश करने के अलावा क्लासिकल भरतनाट्यम को पेश किया। कार्यक्रम का आरंभ प्रेसिडेंट महालक्ष्मी सेलवाराज ने स्वागत भाषण से किया। तमिल के पारंपरिक डांस को भी किया गया पेश
कार्यक्रम में बच्चों की तरफ से तमिल के पारंपरिक डांस को भी पेश किया गया। जिसे तमिलनाडू कल्चर डिपार्टमेंट के कलाकारों ने पेश किया। इसमें विभिन्न देवी-देवताओं का पूजा और उनकी मान्यता को पेश किया गया। इसके अलावा मौके पर राजस्थानी डांस और कथक डांस को भी पेश किया गया। क्या होती जंगलों की हालत अगर जीव नहीं होते तो
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण भरतनाट्यम रहा। जोकि गुरु कनका के नेतृत्व में आयोजित किया गया। इसमें गुरु कनका ने सूत्रधार का काम किया और डांस के जरिये जीवों का महत्व सिखाया। सबसे पहले हाथी को मारने से रोका गया, जिसमें बताया गया कि हाथी को गणेश का स्वरूप माना जाता है। उसकी पूजा हर काम से पहले की जाती है। इसके अलावा प्रकृति में इसका अपना ही महत्व है। जितना भार एक हाथी उठा सकता है इतना कोई आम जानवर नहीं उठा सकता। जब मशीनी युग नहीं था, तो उस समय हाथी ने ही हमारी सहायता की है और भविष्य में भी सहायता करेगा। उसके बाद सांप की दशा को दिखाया गया। जैसे ही यह कहीं पर दिखता है तो हर कोई इसे मारने के लिए उतारू हो जाता है, लेकिन शेषनाग पर भगवान विष्णु विराजमान हैं। इसी नाग के फन पर खड़े होकर श्रीकृष्ण ने मुरली बजाई थी। इसी नाग ने समुद्र मंथन में अहम भूमिका निभाई थी। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए गाय को दिखाया गया। जिसे मारने से रोकते हुए बताया गया कि इसका दुध अमृत के समान है। हर प्रकार के पूजा पाठ में इसके घर का उपयोग किया जाता है। लाखों देवताओं का गाय में वास है। इसी प्रकार से वानर को बंदी बनाकर रखने को बताया गया। जिसमें बताया गया कि यदि वानर नहीं होते, तो आज जंगलों की हालत बद से बदतर हो जाती। कम्युनिटी को एक छत के नीचे लाने का प्रयास
तमिल समुदाय की प्रेसिडेंट महालक्ष्मी ने कहा कि हर तीन सालों में एक बार कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। समुदाय का प्रयास एक छत के नीचे ज्यादा से ज्यादा लोगों को इकट्ठा करना है। इसके अलावा इस बार थीम में थोड़ा से बदलाव हुआ है कि जीव-जंतुओं के बचाव का संदेश दिया गया है।