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चंडीगढ़ में टेंडर का खेल: 15 लाख का काम 29 लाख रुपये में करेगा प्रशासन का इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट

इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के इलेक्ट्रिकल विंग के अफसरों ने कैमरों की स्पेसिफिकेशन ऐसी रखी है कि अपने चहेते ठेकेदार को ही काम मिले। ऐसी कंपनियां जिनके प्रोडक्ट क्वालिटी में बेहतर और रेट में कम थे उन्हें तकनीकी स्पेसिफिकेशन में उलझा कर बाहर कर दिया गया।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Mon, 23 Aug 2021 12:38 PM (IST)Updated: Mon, 23 Aug 2021 12:38 PM (IST)
चंडीगढ़ में टेंडर का खेल: 15 लाख का काम 29 लाख रुपये में करेगा प्रशासन का इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट
इलेक्ट्रिकल विंग ने जिस कंपनी को काम अलाट कर रही है वह चीन के बने एनबीआर लगाने जा रही है।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ प्रशासन के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में भ्रष्टाचार का खुला खेल चल रहा है। ताजा मामला चंडीगढ़ कॉलेज ऑफ आर्किटेक्ट में सीसीटीवी कैमरे लगाने का है। यहां इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट का इलेक्ट्रिकल विंग 29 लाख रुपये की लागत से सीसीटीवी कैमरे लगा रहा है। जबकि मार्केट में यही काम 15 से 16 लाख रुपये में हो सकता है। इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के इस कारनामे की शिकायत प्रशासन के सीनियर अफसरों तक भी पहुंच गई है।

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इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के इलेक्ट्रिकल विंग के अफसरों ने कैमरों की स्पेसिफिकेशन ऐसी रखी है कि अपने चहेते ठेकेदार को ही काम मिले। ऐसी कंपनियां जिनके प्रोडक्ट क्वालिटी में बेहतर और रेट में कम थे, उन्हें तकनीकी स्पेसिफिकेशन में उलझा कर बाहर कर दिया गया। ओपन मार्केट में इससे कहीं कम कीमत पर सीसीटीवी कैमरे उपलब्ध हैं। इलेक्ट्रिकल विंग के अफसरों ने टेंडर में स्पेसिफिकेशन एक कंपनी विशेष को ध्यान में रखकर ही बनाई है। जिस कंपनी को अफसरों द्वारा काम देने की तैयारी है वह चीन के बने एनबीआर लगाएगी। जनरल फाइनेंशियल रूल्स 2017 के अनुसार चीन के बने प्रोडक्ट का प्रयोग नहीं किया जा सकता। लेकिन प्रशासन के इलेक्ट्रिकल विंग द्वारा जिस कंपनी को काम अलाट किया जा रहा है वह चीन के बने एनबीआर लगाने जा रही है।

अफसरों ने सीसीटीवी कैमरे के इस टेंडर में शर्त ऐसी रखी हैं कि उनकी पसंदीदा कंपनी के अलावा कोई दूसरी पार्टी काम न ले सके। सीसीटीवी कैमरा का काम करने वाली कंपनियों के अनुसार जितने काम और राशि का अनुभव मांगा गया है चंडीगढ़ में इतनी राशि का काम पहले कभी हुआ ही नहीं। यदि किसी ठेकेदार की लिस्टिंग एक करोड़ के काम की है तो वह भी 30 लाख के काम के योग्य नहीं है। इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट द्वारा बॉस कंपनी के कैमरे लगाए जा रहे हैं। जबकि दूसरी तरफ पेल्को जैसी कंपनी को प्री बिड मीटिंग में ही बाहर निकाल दिया गया।

चीफ इंजीनियर को पता ही नहीं

प्रशासन के चीफ इंजीनियर सीबी ओझा को डिपार्टमेंट में चल रहे इस खेल का पता ही नहीं। ओझा का कहना है कि वह इस मामले की जानकारी अफसरों से लेंगे। यदि कुछ गलत हुआ तो जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाएगी।


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