सरकारी जमीन रेहड़ी-फड़ी वालों ने जमाया कब्जा, सेटिंग से चलाया जा रहा काम
जो जमीन सरकारी है, वह हमारी है..यह बात पूरी तरह से ट्राई सिटी के बाजारों की स्थिति पर सटीक बैठती है। बाजारों के फुटपाथ, पार्किंग और सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कहीं भी देखा जा सकता है।
चंडीगढ़, [राजेश ढल्ल]। जो जमीन सरकारी है, वह हमारी है..यह बात पूरी तरह से ट्राई सिटी के बाजारों की स्थिति पर सटीक बैठती है। इस समय शहर क्षेत्र के बाजारों के फुटपाथ, पार्किंग और सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कहीं भी देखा जा सकता है। वेंडर एक्ट के नाम पर सरकारी जमीन पर काबिज होने का सिलसिला लगातार जारी है। निगम के अतिक्रमण हटाओ दस्ते का अभियान सिर्फ दिखावा दिखावे के लिए नगर निगम का अतिक्रमण हटाओ दस्ता सिर्फ चालान काटता है, लेकिन दस्ते के चले जाने के बाद फिर से अवैध फड़ियां लग जाती हैं। सूत्रों का कहना है कि इस समय वसूली का यह सारा धंधा सेटिंग से चल रहा है। इसमें सरकारी तंत्र, राजनीति और कब्जा दिलाने के मामले में सक्रिय माफिया तक की भूमिका है। इसी का नतीजा है कि इस समय शहर के सभी प्रमुख बाजारों के फुटपाथ, पार्किंग, दुकानों के बरामदे और कारिडोर तक पर कब्जे हो गएहैं। जबकि ये जगह लोगों के पैदल चलने के लिए रिजर्व हैं।
हाईकोर्ट के फटकार की भी परवाह नहीं
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट भी इस मासले पर सख्त रुख जाहिर कर चुका है। मगर वर्तमान हालात को देखते हुए ऐसा लगता है प्रशासन को इसकी कोई परवाह नहीं है। पिछले माह ही हाईकोर्ट ने यहां से वेंडर हटाने के आदेश देते हुए फटकार लगाई थी। फटकार के बार सिर्फ चालान की संख्या बढ़ाई जा रही है। जबकि कोई स्थायी हल नहीं निकाला जा रहा है। पिछले दो साल से बाजारों में सेवेंडर शिफ्ट करने का शहरवासियों से वादा किया जा रहा है।
क्या कहता है वेंडर एक्ट
वेंडर एक्ट के अनुसार कोई भी लाइसेंस धारक वेंडर पांच फुट चौड़ा और छह फूट से ज्यादा जगह नहीं घेर सकता है, लेकिन इस नियम की पालना 10 प्रतिशत भी नहीं किया जाता। कई वेंडर है, जिन्होंने 20 से 30 फूट की दुकान सजाई हुई है। चंडीगढ़ के इन सेक्टरों में अवैध कब्जे सबसे ज्यादा अवैध कब्जे के तहत सबसे ज्यादा फड़ी का धंधा इन बाजारों में सबसे ज्यादा फड़ियां लगाने का धंधा सेक्टर-22,19,15,34, और 17 में चल रहा है। सेक्टर-15, 22 और 19 में तो कई व्यापारी भी ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी दुकानें किराए पर देकर 3 से 4 फड़ियां लगा ली हैं। दुकान के आगे फड़ी लगाने पर रोजाना 600 तक की वसूली शहर में दुकान के आगे फड़ी लगाने का प्रतिदिन के हिसाब से 300से 600 रुपये चार्ज कर रहे हैं। ऐसे फड़ी वालों को बिजली भी दुकानदार मुहैया करवा रहे हैं। अभी हाल ही में इस तरह की एक शिकायत सेक्टर-15 की मार्केट से अतिरिक्त कमिश्नर तिलक राज को मिली है। यहां तक कि सेक्टर-22 और 15 में जो हरे भरे पेड़ हैं, उन पर भी कब्जे हो गए हैं।
कुछ नेताओं ने भी लगवाई हैं फड़ियां
सूत्रों का कहना है राजनीतिक दलों के चंद नेताओं ने भी अपनी फड़ियां आगे लगवाई हुई है। इनकी वह वसूली कर रहे हैं। ऐसा चलता है सेटिंग के तहत प्रमुख बाजारों में दो तरह के वेंडर बैठे हैं। एक वह जिनके पास लाइसेंस है और दूसरे वह जिनके पास लाइसेंस नहीं है, लेकिन सेटिंग की राशि दोनों को देनी पड़ती है। 20 से 25 फड़ी वालों पर एक पैसे एकत्र करने वाला व्यकित तय है, जो आगे पैसे एकत्र करके देता है। दो साल में बढ़ी माफियागीरी फुटपाथों पर कब्जा दिलाने के मामले में शहर में पिछले दो साल से माफिया सक्रिय हैं। साल 2016 एक आदेश जारी हुआ था कि जब तक सर्वे नहीं हो जाता और बायलाज अधिसूचित नहीं हो जाते, तब तक वेंडर न हटाए जाएं। इन्हीं आदेश के कारण यहां कब्जा दिलाने वालों का माफियाजाल बढ़ता गया।
पब्लिक टायलेट तक की दीवारें पर भी अतिक्रमण
शहर में पब्लिक टायलेट तक की दीवारों पर भी अतिक्रमण है। जबकि कई बाजारों के टायलेट में रात को फड़ी वाले अपना सामान भी रखते हैं। इसके बदले सरकारी टायलेट चलाने वाले कर्मचारी को किराया दिया जा रहा है। शुल्क जमा करवाने की बारी आई तो घट गई वेंडरो की संख्या पिछले साल जब शहर में सर्वे हुआ तो 22 हजार वेंडरो के नाम सामने आए। लेकिन जब लाइसेंस की हर माह शुल्क जमा करवाने की बारी आई तो इनकी संख्या घटकर 9 हजार हो गई। ऐसे में बाकी वेंडर कागजों में गायब हो गए, लेकिन वे आज शुल्क जमा करवाए बिना दुकानें चल रहे हैं।
जांच करवाए प्रशासन
सेक्टर-22 के दुकानदार एवं आप पार्टी के प्रवक्ता योगेश्वर सोनी का कहना है कि पार्किंग और फुटपाथ पर फडियां लगी हुई है। सेटिंग से यह धंधा चल रहा है। मामले की प्रशासन को जांच करवानी चाहिए। फड़ी बाजार के कारण दुकानदारों का कारोबार प्रभावित हो रहा हैं। इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि वेंडरों को यहां से शिफ्ट करने में इतनी देरी क्यों हो रही है। दुकानें बंदकर फड़ियां लगाने को मजबूर होंगे व्यापारी व्यापार मंडल के महासचिव संजीव चढ्ढा का कहना है कि शहर की सूरत खराब कर दी गई है। फड़ियों के कारण दुकानदारों को नुकसान हो रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब दुकानदार अपनी दुकानें बंद कर खुद फड़िया लगाने को मजबूर हो जाएंगे।
कोई भी सीधे तौर पर कर सकता है शिकायत : तिलक राज
अतिरिक्त कमिश्नर तिलक राज का कहना है कि अगर कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी भी तरह से गड़बड़ी में पाया जाएगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। अगर किसी के पास कोई भी गुप्त सूचना है तो वह उनसे मिलकर शेयरकर सकता है। स्ट्रीट वेंडर बायलाज पर आपत्तियां दर्ज करने की अंतिम तारीख समाप्त हो चुकी है। प्रयास है कि इसी माह से वेंडरों को बाजारों से ड्रा के द्वारा तय जोन में शिफ्ट करने का सिस्टम शुरू कर दिया जाए।
मंजूरी के बाद दक्षिण के सेक्टरों से शिफ्ट किए जाएंगे वेंडर
कमिश्नर केके यादव का कहना है अब 14 तारीख तक उनके स्तर पर ही सुझावों और आपत्तियों को देखा जा रहा है। 18 को टाउन वेंडिंग कमेटी की बैठक बुलाई गई। इसके बाद बायलाज अंतिम मंजूरी के लिए 24 दिसंबर को गवर्नर हाउस प्रशासक के पास भेजा जाएगा। गवर्नर की मंजूरी के बाद तय वेंडिंग जोन में बाजारों से वेंडर शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि पहले दक्षिण सेक्टरों से बाजारों से वेंडर हटाकर जोन में शिफ्ट किए जाएं। उसके बाद साउथ सेक्टर सेवेंडर उठाए जाएंगे। एक बात मेरी समझ से परे है कि फुटपाथों पर कब्जे हो रहे हैं या करवाए जा रहे हैं।
चुटकियों में समस्या दूर हो जाएगी
क्राफ़्ड के मुख्य प्रवक्ता डॉ. अनीश गर्ग का कहना है कि जिन फुटपाथों पर नाजायज कब्जा है, वहां के नियुक्त एनफोर्समेंट के कर्मचारियों पर जुर्माना लगाकर देखिए, चुटकियों में समस्या दूर हो जाएगी।