ये दिव्यांगों के साथ अन्याय... चंडीगढ़ में 80 प्रतिशत सरकारी इमारतें ऐसी जहां नहीं जा सकते डिसेबल पर्सन
चंडीगढ़ में दिव्यांग लोगों के साथ यह अन्याय नहीं तो क्या है। शहर में 80 प्रतिशत सरकारी इमारतें ऐसी हैं जो डिसेबल फ्रेंडली नहीं हैं। यानि इन इमारतों में दिव्यांग लोगों के लिए वह सब सुविधाएं नहीं हैं जो होनी चाहिए।
सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़। चंडीगढ़ में दिव्यांग लोगों के साथ यह अन्याय नहीं तो क्या है। शहर में 80 प्रतिशत सरकारी इमारतें ऐसी हैं जो डिसेबल फ्रेंडली नहीं हैं। यानि इन इमारतों में दिव्यांग लोगों के लिए वह सब सुविधाएं नहीं हैं जो होनी चाहिए। डिसेबल फ्रेंडली होने का मतलब इमारत में रैंप जिससे दिव्यांग लोगों को व्हीलचेयर से आसानी से लाया और ले जाया सके। वहीं, दिव्यांगों के लिए शौचालय की भी अलग से सुविधा होनी चाहिए। केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2016 में 21 प्रकार की दिव्यांगता वेरीफाई करके सरकारी इमारतों को डिसेबल फ्रेंडली बनाने के निर्देश दिए गए थे। केंद्र सरकार के निर्देशों के बाद वर्ष 2017 में चंडीगढ़ प्रशासन ने सरकारी कार्यालय और सार्वजनिक स्थानों को डिसेबल फ्रेंडली बनाने की घोषणा की।
शहर में हेरिटेज इमारतें होने के कारण उन्हें डिसेबल फ्रेंडली बनाने की प्लानिंग हुई और कई इमारतों में रैंप और शौचालय बनाए लेकिन 80 फीसद से ज्यादा सरकारी इमारतें और कार्यस्थल आज भी दिव्यांगों की पहुंच से दूर हैं। इन वर्कप्लेस में खुद दिव्यांगता को आश्रय देने वाली सोशल वेलफेयर सेक्टर-17 की इमारत भी शामिल है।
शहर को न्याय दिलाने वाले खुद इंतजार में
नेशनल लीगल सर्विस अथारिटी की तरफ से शहर, प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश में स्टेट लीगल सर्विस अथारिटी सालसा का गठन किया गया है। शहर में सालसा का कार्यालय सेक्टर-9 में है। सालसा का मुख्य कार्य शहर के हर व्यक्ति को उचित और समय पर इंसाफ मुहैया कराना है, लेकिन हैरत की बात है कि खुद सालसा का कार्यालय डिसेबल फ्रेंडली नहीं है।
100 से ज्यादा स्कूल इमारतें डिसेबल फ्रेंडली नहीं
शहर में कुल 115 सरकारी स्कूल हैं। प्रशासन की प्लानिंग के बावजूद शहर की 100 से ज्यादा स्कूल इमारतें ऐसी है जिनमें न तो रैंप है और न ही सुलभ शौचालय। इन स्कूल इमारतों में शारीरिक रूप से दिव्यांग स्टूडेंट्स को पहुंचना मुश्किल होता है।
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डिसेबिल्टी फ्रैंडली बनाने के लिए प्लानिंग बनाई गई है और जो भी नई इमारतें बनाई जा रही है उसमें सभी सुविधाएं दी जा रही है।
-सीबी ओझा, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, यूटी प्रशासन