जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन मामले में ईडी ने फारुक अब्दुल्ला के करीबी को गिरफ्तार किया
जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसाेसिएशन मामले में ईडी की टीम द्वारा एहसान अहमद मिर्जा को गिरफ्तार करने की सूचना है।
चंडीगढ़, [कुलदीप शुक्ला]। जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसाेसिएशन मामले में चंडीगढ़ की ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की टीम द्वारा एहसान अहमद मिर्जा को गिरफ्तार करने सूचना है। बताया जाता है कि ईडी ने मिर्जा को पूछताछ के लिए वीरवार को बुलाया था। इसी दौरान उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला भी आरोपित हैं और ईडी ने पिछले माह उनसे भी पूछताछ की थी। माना जाता है कि मिर्जा उनका करीबी रहा है। वैसे अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
जानकारी के अनुसार, एहसान अहमद मिर्जा को वीरवार ऑफिस में पूछताछ के दौरान गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार किए जोन के बाद ईडी ने मिर्जा को सीजीएम कोर्ट में पेश किया। इसके बाद उसे ट्रांजिट रिमांड हासिल कर ईडी की टीम उसे लेकर जम्मू कश्मीर लेकर रवाना हो गई।
बता दें कि इस मामले में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारुक अब्दुल्ला भी आरोपित हैं। फारुक अब्दुल्ला सहित चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई। मिली जानकारी के अनुसार आठ हजार पन्नों की चार्जशीट में डॉ. फारुक आरोपियों की सूची में चौथे स्थान पर हैं । चार्जशीट में आरोपियों के खिलाफ भादसं की धारा 120-बी, 406 और 409 के तहत आरोप लगाए गए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार सीबीआई ने उस समय रहे जेकेसीए अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला, मोहम्मद सलीम खान (उस समय रहे जनरल सेक्टरी), एहसान अहमद मिर्जा (उस समय के खजांची) और बशीर अहमद मिसगर (जम्मू कश्मीर बैंक में एग्जीक्यूटिव) के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र और विश्वास के आपराधिक उल्लंघन के आरोप लगाए हैं।
2002 से 2011 के बीच जेकेसीए को 112 करोड़ रुपये दिए गए
इस मामले में माजिद अहमद डार वर्ष 2015 में जेकेसीए घोटाले को लेकर पीआइएल(जनहित याचिका) दायर की थी। इसके बाद इस मामले का खुलासा हुआ था। माजिद अहमद डार कश्मीर के एक क्रिकेट खिलाड़ी रहे हैं और साथ ही रणजी ट्रॉफी के लिए कोच और सिलेक्टर के रूप में भी काम कर चुके हैं।
क्रिकेट फंड घोटाले में सुरक्षा कारणों से चंडीगढ़ में हो रही है पूछताछ की प्रक्रिया
बताया जाता है कि क्रिकेट फंड घोटाले के मामले में सुरक्षा कारणों से श्रीनगर ईडी व चंडीगढ़ ईडी टीम चंडीगढ़ में आरोपितों से पूछताछ की है। अधिकारियों के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय की जांच साल 2015 में कई करोड़ के घोटाले को लेकर सीबीआइ की तरफ से दर्ज कराई गई एफआइआर पर आधारित है।