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आजादी के 73 साल बाद भी नई तालीम समिति के नियम लागू नहीं

महात्मा गांधी द्वारा गठित नई तालीम समिति के नियम अभिभावकों की सोच के कारण आजादी के 73 साल बाद भी लागू नहीं हो पाए है। जिसका मुख्य कारण अभिभावकों की सोच है। महात्मा गांधी ने आजादी के बाद लार्ड मैकाले द्वारा बनाई शिक्षा पद्धति को खत्म करने के लिए वर्ष 1937 में डा. जाकिर हुसैन के नेतृत्व में नई तालीम समिति गठन किया। जिसका उद्देश्य स्टूडेंट्स को स्कूल में पढ़ाई थियौरी के बजाए अनुभव प्रैक्टीकल के जरिए देना था। महात्मा गांधी ने वकालत करने के दौरान नई तालीम समिति को बनाया था जिसे वर्धा योजना के नाम प्रसिद्ध हुआ। आजादी के बाद वर्ष 1964-1966 के बीच डा. दौलत सिंह कोठारी की अध्यक्षता में नई शिक्षा आयोग कोठारी कमीशन का निर्माण किया जिसमें नई तालीम समिति द्वारा तैयार किए गए एंजेडे सम्मिलित किया गया लेकिन वह पद्धति 2020 तक पूरी तरह से स्कूल कॉलेजों में लागू नहीं हो सकी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 Jan 2021 12:00 AM (IST)Updated: Sun, 31 Jan 2021 12:00 AM (IST)
आजादी के 73 साल बाद भी नई तालीम समिति के नियम लागू नहीं
आजादी के 73 साल बाद भी नई तालीम समिति के नियम लागू नहीं

सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़

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महात्मा गांधी द्वारा गठित नई तालीम समिति के नियम अभिभावकों की सोच के कारण आजादी के 73 साल बाद भी लागू नहीं हो पाए है। जिसका मुख्य कारण अभिभावकों की सोच है। महात्मा गांधी ने आजादी के बाद लार्ड मैकाले द्वारा बनाई शिक्षा पद्धति को खत्म करने के लिए वर्ष 1937 में डा. जाकिर हुसैन के नेतृत्व में नई तालीम समिति गठन किया। जिसका उद्देश्य स्टूडेंट्स को स्कूल में पढ़ाई थ्योरी के बजाए अनुभव, प्रैक्टिकल के जरिए देना था।

महात्मा गांधी ने वकालत करने के दौरान नई तालीम समिति को बनाया था जिसे वर्धा योजना के नाम प्रसिद्ध हुआ। आजादी के बाद वर्ष 1964-1966 के बीच डा. दौलत सिंह कोठारी की अध्यक्षता में नई शिक्षा आयोग कोठारी कमीशन का निर्माण किया जिसमें नई तालीम समिति द्वारा तैयार किए गए एंजेडे सम्मिलित किया गया लेकिन वह पद्धति 2020 तक पूरी तरह से स्कूल, कॉलेजों में लागू नहीं हो सकी।

स्कूल में प्रैक्टिकल काम को अभिभावक मानते है चाइल्ड लेबर

पंजाब यूनिवर्सिटी में गांधीयन पीस स्टडीज विभाग के स्टूडेंट प्रियवर्त शर्मा ने स्टेट एजुकेशन इन रूरल एरिया विषय पर पीएचडी रिसर्च वर्क किया। यह रिसर्च वर्क पांच हजार स्टूडेंट्स के अभिभावकों पर किया गया जिसमें सामने आया कि स्कूल में प्रैक्टिकल काम, अनुभव से सीखने के लिए शरीरिक काम करने को चाइल्ड लेबर का नाम दिया जाता है। इसी प्रकार से महात्मा गांधी द्वारा बनाई समिति में बनाए गए नियमों को अभिभावक नहीं जानना चाहते।

न्यू एजुकेशन में शामिल है नई तालीम के नियम- डा. आशु पसरीचा

गांधी पीस स्टडी में कार्यरत गाइड डा. आशु पसरीजा ने बताया कि अभी तक नई तालीम के नियमों को लागू नहीं किया जा सका है लेकिन अप्रैल 2021 से शुरू होने वाली न्यू एजुकेशन पालिसी में नई तालीम के नियमों को जगह दी गई है।


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