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कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ा, चंडीगढ़ मॉडर्न जेल के कैदियों को मिल सकती है जमानत, फैसला जल्द

कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए चंडीगढ़ माडर्न जेल के कैदियों को जमानत पर छोड़ा जा सकता है। बीते साल की तरह इस साल भी यह फैसला लिया जा सकता है। इसी दिशा में पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर्ड कमेटी की वर्चुअल मीटिंग हुई।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 02:14 PM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 02:14 PM (IST)
कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ा, चंडीगढ़ मॉडर्न जेल के कैदियों को मिल सकती है जमानत, फैसला जल्द
चंडीगड़ स्थित मॉडर्न जेल की फाइल फोटो।

चंडीगढ़, [वैभव शर्मा]। देश में कोरोना की दूसरी लहर के बाद बिगड़े हालातों को देखते हुए जेलों को भी संक्रमण से बचाने की कोशिश की जा रही है। इसी दिशा में शनिवार को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा गठित की गई हाई पावर्ड कमेटी की वर्चुअल मीटिंग हुई। ये बैठक जस्टिस जसवंत सिंह की अध्यक्षता में हुई, जिसमें चंडीगढ़ के डीजीपी और होम सेक्रेटरी भी मौजूद रहे। बैठक में चंडीगढ़ की मार्डन जेल में बंद कैदियों तक संक्रमण न पहुंचे इस मुद्दे पर चर्चा हुई।

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बैठक में कैदियों को स्पेशल पैरोल और अंतरिम जमानत दिए जाने पर विचार किया गया।  अब जल्द ही इस पर  कमेटी अपना फैसला लेगी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की निर्णय के बाद चंडीगढ़ में इस दिशा में काम शुरू हुआ है। शनिवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना, जस्टिस नागेस्वर राव और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने एक जजमेंट दी। जिसमें कैदियों और जेल में तैनात पुलिसकर्मियों की सुरक्षा को लेकर फैसला लिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन कैदियों को पिछले साल स्पेशल पैरोल और अंतरिम जमानत दी गई थी उन्हें दोबारा से रिलीज किया जाए ताकि जेलों को कोरोना संक्रमण से बचाया जा सके।

वहीं सूत्रों के अनुसार जेल में जो कैदी छोटे केसों में सजा काट रहे हैं या जिनकी सजा अवधि एक वर्ष से कम है, उनकी सजा को माफ करने की योजना बनाई जा रहा है। सोमवार या फिर मंगलवार को छोट केसों और एक वर्ष से कम की सजा काट रहे कैदियों को लेकर फैसला आ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जेलों में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए जल्द कदम उठाए जाएं। गौरतलब है कि चंडीगढ़ की मॉर्डन जेल में कोरोना ने दस्तक दे दी है। ऐसे में सोमवार को कैदियों को लेकर कोई बड़ा फैसला आने की उम्मीद है। कोरोना काल में पिछले साल भी कैदियों को पैरोल पर छोड़ा गया था, जिन्हें 4 से 5 महीने बाद दोबारा जेल में बुलाया गया था। 


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