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कांग्रेस के 18 सूत्रीय फार्मूले से शांत नहीं हो रही पंजाब में नाराजगी, कैप्टन करने लगे स्क्रूटनी तो विरोधी मंथन

कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब कांग्रेस में मचे घमासान को शांत करने के लिए 18 सूत्रीय फार्मूला तैयार किया है। सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसकी स्क्रूटनी करनी शुरू कर दी है। वहीं विरोधी भी इस पर मंथन कर रहे हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 24 Jun 2021 06:27 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jun 2021 07:39 AM (IST)
कांग्रेस के 18 सूत्रीय फार्मूले से शांत नहीं हो रही पंजाब में नाराजगी, कैप्टन करने लगे स्क्रूटनी तो विरोधी मंथन
पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की फाइल फोटो।

कैलाश नाथ, चंडीगढ़। पंजाब में कांग्रेस के अंतरकलह को शांत करने के लिए पार्टी हाईकमान ने जो 18 सूत्रीय फार्मूला पेश किया है वह मुख्यमंत्री के विरोधी खेमे को पच नहीं रहा है। कांग्रेस कमेटी के सामने नाराजगी दर्ज करवाकर आए कांग्रेस के मंत्रियों और विधायकों ने वीरवार को हाईकमान के फार्मूले पर मंथन किया। इस मंथन के बाद वह इस नतीजे पर पहुंचे कि फार्मूला केवल समय को बिताने की नीति है।

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एक तरफ जहां नाराज गुट की नाराजगी कम नहीं हो रही है, दूसरी तरफ मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह उन 18 सूत्रीय फार्मूलों की स्क्रूटनी करने लगे है, जिन पर सरकार तीव्र गति से काम कर सके। मुख्यमंत्री के एजेंडे पर सबसे पहले कोटकपूरा गोलीकांड को लेकर बनाई गई एसआइटी, जो कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से पूछताछ करने के बाद अब 26 जून को सुखबीर बादल से पूछताछ करने की तैयारी में है।

दूसरा निजी थर्मल प्लांटों के साथ हुए बिजली खरीद समझौते और ड्रग्स मामले हैं। मुख्यमंत्री ने बुधवार को दिल्ली से लौटने के बाद इस संबंध में अधिकारियों व कुछ करीबियों से चर्चा भी की है। हालांकि इन तीनों ही मामले में कानूनी पेंचीदगियां है, लेकिन माना जा रहा है कि सरकार इस संबंध में अपनी तरफ से कार्रवाई करना चाहती है, ताकि वर्तमान हालात को संभाला जा सके।

वहीं, दूसरी तरफ मुख्यमंत्री से नाराज चल रहा गुट यह मान रहा है कि जो काम साढ़े चार वर्षों में नहीं हो सका अब इतने कम समय में कैसे हो जाएगा। क्या बेअदबी कांड में लोगों को इंसाफ मिल जाएगा, क्या सरकार हाई कोर्ट में पड़ी एसआइटी प्रमुख रहे हरप्रीत सिद्धू द्वारा दी गई ड्रग्स मामले की सीलबंद रिपोर्ट को खुलवा सकेगी, क्या सरकार वास्तव में पावर पर्चेस एग्रीमेंट को रद्द करके आम लोगों को राहत दे पाएगी। इस सबसे बड़ी बात क्या जो आम धारणा है कि कांग्रेस सरकार अकाली दल के साथ मिले हुए हैं, को बदला जा सकेगा।

कांग्रेस के एक मंत्री कहते है, पार्टी हाईकमान ने हमें चुप रहने के लिए कहा है। हम पार्टी हाईकमान की बात को मानेंगे। हम सार्वजनिक मंच पर जाकर कुछ नहीं कहेंगे। सारे सवाल आज भी वहीं पर खड़े है। 2017 में 33 विधायकों ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री को बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ ड्रग्स मामले की जांच करने के लिए कहा था। इस पत्र में वह बयान भी है जो खुद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने चुनाव के दौरान कहे थे। इस पत्र का आज तक मुख्यमंत्री की तरफ से संज्ञान नहीं लिया गया, जो सरकार दो साल से हाईकोर्ट में बंद लिफाफे को नहीं खुलवा सकी जिसमें ड्रग्स मामले की रिपोर्ट है, तो उससे इतने कम समय में क्या उम्मीद की जा सकती है।देखना केवल यह होगा कि हाईकमान आगे क्या कदम उठाता है।

200 यूनिट फ्री बिजली की बात नहीं उतर रही गले

कांग्रेस के नेताओं को पार्टी के प्रभारी हरीश रावत द्वारा सभी बिजली उपभोक्ताओं को 200 यूनिट फ्री बिजली वाली बात कांग्रेस के नेताओं के गले से नहीं उतर रही है। कांग्रेस के नेता यह नहीं समझ पा रहे है कि प्रदेश प्रभारी ने यह बात कैसे कही। क्योंकि कांग्रेस कमेटी के सामने सभी को 200 यूनिट फ्री बिजली का कोई मुद्दा भी नहीं उठा था और न ही कांग्रेस ने 200 यूनिट फ्री बिजली देने का कोई चुनावी वादा किया था। 


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